NCERT राजनीति शास्त्र की पाठ्यपुस्तक में जम्मू कश्मीर का नया नक्शा, अनुच्छेद 370 हटाने के पक्ष में दी गई दलीलें
ब्यूरो रिपोर्ट।
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की वर्षगांठ से चंद दिनों पहले नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग एनसीईआरटी ने बारहवीं क्लॉस के राजनीति शास्त्र की पाठयपुस्तक में बड़ा बदलाव किया है। पुस्तक से जम्मू कश्मीर का पुराना नक्शा हटाकर नया नक्शा शामिल करने के अलावा अनुच्छेद हटाने के पक्ष में कई दलीलें दी गई हैं। चैप्टर से एक राजनीतिक कार्टून भी हटाया गया है।
हालांकि, एनसीईआरटी ने पाठ्यक्रम के इस बदलाव को अहमित नहीं दी है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, बारह वीं कक्षा के राजनीति शास्त्र की पाठ्यपुस्तक में बदलाव के बारे में एनसीईआरटी के एक अधिकारी का कहना है कि इसमें कुछ नया नहीं है। केवल एक नक्शा बदला गया है। दूसरी तरफ इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में राजनीति शास्त्र की पुस्तक के नए और पुराने पाठयक्रम की समीक्षा का दावा करते हुए कई अहम जानकारियाँ दी हैं, जिसमें जम्मू कश्मीर की अलगाववादी राजनीति भी शामिल है। इस प्रदेश में 1989 से अलगाववादी राजनीति चल रही है। इसपर प्रकाश डालते हुए रिपोर्ट में बताया गया कि इस तरह की राजनीति करने वाले जम्मू कश्मीर में तीन तरह के गुट हैं। एक हिंदुस्तान-पाकिस्तान से कश्मीर को अलग कर पृथक देश चाहता है, जबकि दूसरा अधिक स्वायत्तता एवं तीसरा जम्मू कश्मीर का पाकिस्तान में विलय का पक्षधर है।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष 5 अगस्त को केंद्र की बीजेपी सरकार ने संसद में प्रस्ताव लाकर अनुच्छेद 370 हटा जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा वापस ले लिया था। साथ ही प्रदेश के दो हिस्से कर दिए थे। जम्मू कश्मीर से लद्दाख को अलग कर बिना विधानसभा वाला अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। जम्मू कश्मीर भी अब अलग केंद्र शासित प्रदेश है। महबूबा मुफ्ती प्रदेश की अंतिम मुख्यमंत्री हैं। बीजेपी ने उनकी सरकार से जून 2018 में समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। कक्षा बारह की राजनीति शास्त्र की पाठ्यपुस्तक में ‘रिजनल एस्पीरेशन’ नामक चैप्टर में नए जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख का परिचय कराने, 370 हटाने व प्रदेश को दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने की जानकारी दी गई है। चैप्टर में एक जगह जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेने के पक्ष में दलील देते हुए कहा गया है , ‘‘अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा मिलने के बावजूद जम्मू कश्मीर में हिंसा, सीमा पर आतंकवाद और आंतरिक व बाहरी प्रभाव से प्रदेश में राजनीति अस्थिर बनी रही। इसके कारण कई लोगों को जान गंवानी पड़ी, जिनमें निर्दोश नागरिक, सेना के जवान और आतंकवादी शामिल हैं।’’ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाने से पहले जनमत तैयार करने के लिए इसी तरह की दलील दी थी। अलग बात है कि जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा छीनने और इसके दो टुकड़े करने के एक वर्ष बाद भी न तो इस खित्ते में शांति आई है, न कश्मीरी पंडित वापस हुए हैं और न ही सीमा पर घुसपैठ और आतंकवादी गतिविधियां थमी हैं।
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संपादक