ईरान के हिजाब विवाद को लेकर नया दावा, सैन्य कार्रवाई में मारे गए 326 लोग
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,पेरिस
ईरान के हिजाब विवाद में पश्चिमी देश और मीडिया गहरी दिलचस्पी ले रही है. अब उसकी ओर से नया दावा किया गया है कि महसा अमिनी की हिरासत में मौत के बाद ईरानी सुरक्षा बलों ने राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शनों के दौरान कम से कम 326 लोगों को मौत के घाट उतार दिया. ईरान के कुछ कथित मानवाधिकार कार्यकर्ताआंे ने इस आंकड़े को शनिवार को उजागर किया है.
अभी ईरान और पश्चिमी देशों में छत्तीस का रिश्ता है. परमाणु हथियार की आड़ में इसने ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगा रखा है. साथ ही मौका बे मौका ईरान को घेरे की भी कोशिशें चलती रहती हैं. हिजाब विवाद ईरान के खिलाफ दुष्प्रचार का बढ़िया हथियार हाथ लग गया है.
बता दें कि ईरान में महिलाओं के लिए सख्त ड्रेस कोड के कथित उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तारी के तीन दिन बाद 16 सितंबर को अमिनी की मौत पर कुछ पश्चिमपरस्त विरोध प्रदर्शनों पर आ गए. इसकी वजह से इस्लामी गणराज्य ईरान बुरी तरह प्रभावित हो गया.
महिलाओं के ड्रेस नियमों के नाम पर विरोध में लोगों को भड़काया गया. दावा किया गया कि 1979 की क्रांति के बाद से ईरान के शासन के खिलाफ इतना व्यापक आंदोलन पहली बार हुआ है.
अरब न्यूज में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, ओस्लो स्थित आईएचआर ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान में दावा किया है कि ईरान भर में चल रहे विरोध प्रदर्शनों में 43 बच्चों और 25 महिलाओं सहित कम से कम 326 लोग मारे गए.
ताजा मौतों में 22 का इजाफा दर्ज किया गया है. यह आंकड़े 5 नवंबर के हैं. इन आंकड़ों में पाकिस्तान के साथ ईरान की दक्षिण-पूर्वी सीमा पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में मारे गए कम से कम 123 लोग भी शामिल हैं. एक आंकड़ा जो आईएचआर के पिछले टोल में 118 से ऊपर है.
आंकड़ों में दावा किया गया कि अधिकांश 30 सितंबर को मारे गए, जब सिस्तान-बलूचिस्तान की राजधानी जाहेदान में शुक्रवार की नमाज के बाद सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई थीं. इसे खूनी शुक्रवार करार दिया गया था.पश्चिमी विश्लेषकों का दावा है कि बंदरगाह के शहर चारबहार में एक 15 वर्षीय बलूची अमिनी की बलात्कार के बाद मौत पर भड़के विरोध से प्रेरित होकर शुरू हुआ आंदोलन महिलाओं के अधिकारों से प्रेरित होकर व्यापक रूप ले लिया था.
आईएचआर के निदेशक महमूद अमीरी-मोगद्दम ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ईरान की इस कार्रवाई को रोकने के लिए जल्द से जल्द हस्ताक्षेप करने का आह्वान किया है.उन्होंने बयान में कहा, संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय जांच और जवाबदेही तंत्र स्थापित करने से भविष्य में ईरान को जवाबदेह ठहराने की प्रक्रिया में मदद मिलेगी और इस्लामी गणराज्य द्वारा निरंतर दमन की कार्रवाई में वृद्धि पर रोक लगेगी.
एक अन्य अधिकार समूह, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी इसी तरह का आह्वान किया है. कहा गया है कि इस मामले को लेकर दस लाख से अधिक लोगों ने हस्ताक्षरित एक याचिका उसे सौंपी है.