भारत-पाक संबंधों में नया मोड़: सिंधु जल संधि स्थगित,पाकिस्तान पर क्या होंगे दूरगामी प्रभाव?
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✍️ मुस्लिम नाउ ब्यूरो | नई दिल्ली/इस्लामाबाद
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने का गंभीर आरोप लगाते हुए कड़े कूटनीतिक कदम उठाए हैं। दो विदेशी पर्यटकों सहित 26 निर्दोष लोगों की मौत के बाद भारत सरकार ने अटारी-वाहगाह सीमा को बंद करने, वीज़ा रद्द करने और पाकिस्तानी कर्मचारियों को निष्कासित करने जैसे निर्णय तो लिए ही, साथ ही एक ऐतिहासिक और सबसे प्रभावशाली कदम उठाया — 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक मंदी, महंगाई और राजनीतिक अस्थिरता जैसे संकटों से जूझ रहा है। सवाल उठता है कि इस संधि के स्थगन का पाकिस्तान पर क्या प्रभाव पड़ेगा? क्या यह केवल एक प्रतीकात्मक कदम है या फिर इसके परिणाम वाकई गंभीर हैं?

🔍 सिंधु जल संधि: एक ऐतिहासिक समझौता
1947 में भारत-पाक विभाजन के समय, सिंधु नदी प्रणाली — जिसमें कुल 6 प्रमुख नदियाँ शामिल हैं — दोनों देशों के बीच विभाजित हो गईं। भारत ऊपरी तटीय (upper riparian) देश है जबकि पाकिस्तान निचले तटीय (lower riparian) देश के रूप में निर्भर रहा।
इस विवाद को सुलझाने के लिए, 1960 में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने विश्व बैंक की मध्यस्थता में एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसे “सिंधु जल संधि” कहा जाता है।
🛑 क्या था संधि का मूल ढांचा?
- पूर्वी नदियाँ: रावी, ब्यास और सतलुज — भारत के नियंत्रण में।
- पश्चिमी नदियाँ: सिंधु, झेलम और चिनाब — पाकिस्तान के लिए आरक्षित, लेकिन भारत को इन पर सीमित उपयोग की अनुमति दी गई (जैसे सिंचाई, बिजली उत्पादन)।
इस संधि को अब तक एक आदर्श अंतरराष्ट्रीय जल समझौता माना जाता रहा है, जो भारत-पाक के तनावपूर्ण संबंधों के बीच भी बरकरार रहा।
📌 भारत ने क्यों किया संधि को स्थगित?
भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान ने एक संधि का पालन करने की बजाय सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देना जारी रखा है, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर को निशाना बनाते हुए।
🔹 विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 23 अप्रैल को कहा:
“जब तक पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं करता, तब तक सिंधु जल संधि स्थगित रहेगी।”
🔹 जल संसाधन सचिव देबाश्री मुखर्जी ने भी अपने पाकिस्तानी समकक्ष को पत्र में लिखा:
“पाकिस्तान की शत्रुतापूर्ण नीतियों ने भारत के वैध जल अधिकारों के उपयोग को बाधित किया है, जिससे संधि का मूल उद्देश्य समाप्त हो गया है।”
⚠️ पाकिस्तान पर संभावित प्रभाव
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कृषि का 23% योगदान है और 70% से अधिक जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। झेलम, चिनाब और सिंधु जैसी नदियाँ पाकिस्तान के लिए जीवनरेखा हैं — सिंचाई, पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए।
📉 सिंधु जल संधि स्थगन से होने वाले प्रभाव:
- कृषि संकट: यदि भारत नदी के प्रवाह को धीमा करता है या मोड़ता है तो पाकिस्तान में फसलों की सिंचाई प्रभावित होगी।
- बिजली उत्पादन पर असर: पाकिस्तान के कई जलविद्युत संयंत्र इन नदियों पर निर्भर हैं।
- पीने के पानी की कमी: शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट गहराने की आशंका।
- राजनीतिक अस्थिरता: पहले से संकटग्रस्त सरकार पर जनता का दबाव और बढ़ेगा।
हालाँकि, अभी तत्काल प्रभाव सीमित है क्योंकि भारत के पास पानी रोकने की पर्याप्त संरचनात्मक क्षमताएँ नहीं हैं। लेकिन लंबी अवधि में यदि भारत बांधों और जलग्रहण योजनाओं में निवेश करता है, तो पाकिस्तान की स्थिति अत्यंत गंभीर हो सकती है।
🔥 पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: “युद्ध की कार्रवाई”
पाकिस्तान ने भारत के इस निर्णय को अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन करार दिया और चेतावनी दी कि यदि पानी के प्रवाह को रोका गया तो उसे “युद्ध की कार्रवाई” माना जाएगा।
विदेश मंत्रालय का बयान:
“पाकिस्तान से संबंधित पानी को मोड़ने या रोकने का कोई भी प्रयास युद्ध के समान होगा।”
❓ क्या भारत संधि को पूरी तरह रद्द कर सकता है?
नहीं, क्योंकि सिंधु जल संधि में कोई भी “एकतरफा निकासी” का प्रावधान नहीं है। यह संधि “पारस्परिक सहमति” के सिद्धांत पर आधारित है और विश्व बैंक की निगरानी में बनी थी।
हालाँकि, स्थगन का निर्णय भारत की ओर से एक कूटनीतिक दबाव का माध्यम है जो पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करने की रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है।

📊 सारांश: भारत की कूटनीतिक चाल और पाकिस्तान की आर्थिक चुनौती
बिंदु | विवरण |
---|---|
घटना | 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमला |
भारत का जवाब | सिंधु जल संधि स्थगन, वीज़ा रद्द, सीमाएँ बंद |
प्रभावित पक्ष | पाकिस्तान की कृषि, बिजली, जल आपूर्ति |
तत्काल असर | सीमित |
दीर्घकालिक असर | संभावित जल संकट और आर्थिक अस्थिरता |
🧩 जल से बनेगी नीति की दिशा
सिंधु जल संधि का स्थगन केवल एक जल-संबंधी मुद्दा नहीं, बल्कि यह दक्षिण एशिया की भू-राजनीति को नए सिरे से परिभाषित कर सकता है। भारत ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देगा, तब तक मैत्री और सहयोग की धाराएं नहीं बह सकतीं।