कश्मीर की राजनीति में नया मोड़: जमात-ए-इस्लामी के पूर्व नेताओं ने बनाई नई पार्टी, JKJDF
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,श्रीनगर
कश्मीर की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ गया है। प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी (JeI) के पूर्व सदस्यों ने ‘जम्मू-कश्मीर न्याय विकास मोर्चा’ (JKJDF) नामक एक नई राजनीतिक पार्टी का गठन किया है। यह पार्टी खुद को एक लोकतांत्रिक पहल के रूप में प्रस्तुत कर रही है और चुनाव आयोग (ECI) से आधिकारिक मान्यता और चुनाव चिन्ह की मांग कर चुकी है।
इस राजनीतिक घटनाक्रम ने जम्मू-कश्मीर के मौजूदा सियासी माहौल में हलचल मचा दी है। विश्लेषकों का मानना है कि यह पार्टी कश्मीर में नई राजनीतिक ध्रुवीकरण का कारण बन सकती है। वहीं, सुरक्षा एजेंसियां इस पर करीबी नजर रखे हुए हैं।
क्यों बनी नई पार्टी?
2019 में भारत सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत जमात-ए-इस्लामी (JeI) पर प्रतिबंध लगाया था। सरकार ने इस संगठन पर अलगाववादी और उग्रवादी समूहों से संबंध होने का आरोप लगाया था, हालांकि जमात-ए-इस्लामी ने हमेशा इन आरोपों को खारिज किया।
अब, उसी संगठन के पूर्व सदस्यों ने ‘न्याय और विकास मंच’ (JDF) या जम्मू-कश्मीर न्याय विकास मोर्चा (JKJDF) के नाम से नई पार्टी बनाई है। पार्टी का कहना है कि वह सामाजिक न्याय, पारदर्शिता और विकास को प्राथमिकता देगी और कश्मीर में शांति और स्थिरता के लिए काम करेगी।
पार्टी के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा:
“जमात-ए-इस्लामी अब प्रतिबंधित है, इसलिए हमने एक नई राजनीतिक पार्टी शुरू की है। हम जमीनी स्तर पर जाएंगे और पूरे कश्मीर में सामाजिक बुराइयों से लड़ेंगे।”
"We are launching a new political party. We will go to grassroots and fight social evils across Kashmir."
— The Kashmiriyat (@TheKashmiriyat) February 23, 2025
Members of banned Jamaat e Islami launched a new political party, Justice and Development Forum in Kulgam.
Danishwar Hameed reports pic.twitter.com/9ShcJtknev
JKJDF का एजेंडा: क्या है पार्टी का उद्देश्य?
पार्टी के अध्यक्ष शमीम अहमद ने कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य कश्मीर के लोगों के लिए एक न्यायसंगत, पारदर्शी और विकास-उन्मुख शासन मॉडल तैयार करना है।
JKJDF की मुख्य प्राथमिकताएँ:
✅ जम्मू-कश्मीर में न्याय और विकास को बढ़ावा देना।
✅ स्थानीय लोगों को सशक्त बनाना और उनके अधिकारों की रक्षा करना।
✅ सामाजिक बुराइयों और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई।
✅ लोकतांत्रिक व्यवस्था में सक्रिय भागीदारी।
✅ शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए नीतियाँ बनाना।
JKJDF के एक अन्य नेता सईर रेशी, जो पहले विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं, ने कहा:
“हम पारंपरिक राजनीतिक दलों की तरह खोखले वादे नहीं करना चाहते। हमारा उद्देश्य लोगों को एक ऐसा मंच देना है जो वास्तविक बदलाव ला सके।”

क्या JKJDF को मिलेगी चुनाव आयोग से मान्यता?
JKJDF ने भारत के चुनाव आयोग (ECI) को एक औपचारिक आवेदन प्रस्तुत किया है, जिसमें आधिकारिक मान्यता और चुनाव चिन्ह की मांग की गई है।
अगर चुनाव आयोग से मान्यता मिलती है तो:
✔️ पार्टी आगामी विधानसभा, नगर निगम और पंचायत चुनावों में भाग ले सकेगी।
✔️ इसे राजनीतिक फंडिंग और अन्य सुविधाओं का अधिकार मिलेगा।
✔️ पार्टी को मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर अधिक पहुंच मिलेगी।
JKJDF के एक प्रवक्ता ने कहा,
“हम कानूनी और संवैधानिक प्रक्रिया के तहत पार्टी को पंजीकृत कराना चाहते हैं। हमारा इरादा जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक बदलाव लाना है।”
कश्मीर की राजनीति पर प्रभाव: नए समीकरण उभरेंगे?
JKJDF के गठन को जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। खासतौर पर इसलिए क्योंकि इसमें जमात-ए-इस्लामी के पूर्व सदस्य शामिल हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि:
1️⃣ गुलाम नबी आजाद की नई पार्टी के बाद यह दूसरी बड़ी नई राजनीतिक पहल है, जिससे पारंपरिक दलों पर असर पड़ेगा।
2️⃣ यह देखना दिलचस्प होगा कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP), नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस पर क्या रुख अपनाते हैं।
3️⃣ क्या केंद्र सरकार JKJDF को लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनने देगी, या इस पर भी किसी तरह की कार्रवाई हो सकती है?
सुरक्षा एजेंसियों की कड़ी नजर
कश्मीर में बनी हर नई पार्टी पर सुरक्षा एजेंसियां पैनी नजर रखती हैं, खासकर जब वह किसी प्रतिबंधित संगठन से जुड़ी हो।
सूत्रों के अनुसार:
🔹 JKJDF की गतिविधियों, फंडिंग और संपर्कों की जांच की जा रही है।
🔹 पार्टी पर विदेशी संगठनों या फंडिंग से जुड़े होने के आरोपों की निगरानी की जा रही है।
🔹 अगर पार्टी किसी विवादास्पद गतिविधि में लिप्त पाई जाती है, तो इसे प्रतिबंधित भी किया जा सकता है।
हालांकि, JKJDF के नेताओं का कहना है कि वे किसी भी अलगाववादी एजेंडे से दूर रहेंगे और सिर्फ लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत काम करेंगे।

क्या JKJDF कश्मीर में चुनावी जीत दर्ज कर पाएगी?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या JKJDF जम्मू-कश्मीर में जनता का समर्थन हासिल कर पाएगी?
📌 पारंपरिक पार्टियों की चुनौती: NC और PDP पहले से ही मजबूत आधार रखते हैं।
📌 भरोसे की परीक्षा: लोगों को यह विश्वास दिलाना होगा कि यह पार्टी सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट नहीं है।
📌 युवाओं को जोड़ना: अगर JKJDF बेरोजगारी, शिक्षा और विकास पर ध्यान देती है, तो उसे युवा वर्ग का समर्थन मिल सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि,
“अगर JKJDF वास्तव में एक राजनीतिक पार्टी की तरह काम करती है और सामाजिक न्याय और विकास पर ध्यान देती है, तो यह कश्मीर में एक नया विकल्प बन सकती है। लेकिन अगर यह सिर्फ पुरानी राजनीति का नया रूप है, तो इसका हश्र भी पिछली राजनीतिक पहल जैसी ही होगा।”
निष्कर्ष: नई सुबह या राजनीतिक प्रयोग?
JKJDF का गठन कश्मीर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। लेकिन अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि यह पार्टी वास्तव में कोई बदलाव लाएगी या सिर्फ एक और राजनीतिक प्रयोग साबित होगी।
✅ अगर यह पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से काम करती है, जनता का विश्वास जीतती है और पारदर्शी नीतियों पर चलती है, तो यह जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ सकती है।
❌ लेकिन अगर इसका गठन सिर्फ राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करने के लिए किया गया है, तो यह भी कुछ समय बाद इतिहास का हिस्सा बन सकती है।
आने वाले कुछ हफ्तों में चुनाव आयोग का फैसला और JKJDF की पहली राजनीतिक गतिविधियाँ यह तय करेंगी कि कश्मीर की राजनीति में यह एक नई सुबह होगी या सिर्फ एक और राजनीतिक जुआ!
क्या आपको लगता है कि JKJDF कश्मीर में बड़ा बदलाव ला सकती है? हमें अपनी राय कमेंट में बताएं! 🗳️🚀