TOP STORIES

NRC अभी सर्वे हुआ तो बिहार व असम के 32 जिलों के सवा करोड़ लोग नहीं दिखा पाएंगे कागजात !

ब्यूरो रिपोर्ट।
राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर यानी एनआरसी के तहत यदि अभी असम एवं बिहार में सर्वे हुआ तो इन प्रदेशों के 32 जिलों के करीब सवा करोड़ लोग इससे संबंधित प्रमाण पत्र नहीं दिखा पाएंगे। उनमें से अधिकांश के पास इस समय जरूरी कागजात, क्या घर का कोई सामान भी नहीं बचा है। सैलाब उनका सब कुछ बहा ले गई। जिनके घर बच गए वह भी पानी में पूरी तरह डूबे हैं। शर्मनाक बात है कि नफरती गैंग की ऐसे लोगों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं। उनपर व्यंग कर रहे हैं कि कागज तो फिर भी दिखाना पड़ेगा। मनीष राजपूत जैसे लोगों का कहना है कि ‘‘अल्लाह ताला से उस लॉकर की चाबी मांग, जिसमें काजगात रखे हैं।’’


 अभी असम एवं बिहार के एक हिस्से की हालत है कि गांव, खेत सब बाढ़ के पानी में डूबे हैं। पशुओं को सैलाब बाहा ले गई। खेतों में खड़ी धान व मंग की फसल भी तबाह हो चुकी है। असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनवाल स्वीकारते हैं कि उनके प्रदेश के 70 लाख लोग बाढ़ से तबाह-बर्बाद हो गए। उनके पास आवश्यक सामान भी नहीं बचा है। गांव-घर सब बह गए। पक्के मकान पानी से लबालब भरे हैं। असम में ब्र्रह्रमपुत्रा नदी ने प्रलंकारी रूप ले लिया। असम के  25 जिलांें के 2633 गांवों के 1.14 लाख हेक्टेयर में पानी भरा है। बाढ़ से प्रदेश के 110 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसा ही कुछ हाल बिहार के नौ जिलों गोपालगंज, छपरा, दरभंगा, खगड़िया, सीतामढ़ी, मुंगेर, मधुबनी, सुपौल आदि का है। इनके गा्रमीण इलाके बाढ़ से तबाह हो चुके हैं। लाखों लोग बेघर हो गए। गोपालगंज में गंडक नदी तबाही मचा रही है। नेपाल से बह कर बिहार आने वाली नदी तिलयुरा भी खतरे के निशान से उपर बह रही है। हर साल चीन एवं नेपाल से बहकर आने वाला बरसाती पानी असम व बिहार में तबाही लेकर आता।

नको मगर शर्म नहीं आती
 वैसे तो हर वर्ष ऐसी आपदाओं के ये लोग आदि हो चुके हैं। चूंकि देश में संशोधित नागरिकता कानून लागू होने के बाद एनआरसी के तहत जल्द सर्वे कराए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। ऐेसा में असम और बिहार के बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए यह बड़ी मुसीबत बन सकती है। बाढ़ प्रभावितों का सब कुछ बह जाने के कारण सर्वे होने पर वे खुद के भारतीय होने का किसी तरह का प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाएंगे। सरकार की ओर से भी इस बारे में कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है।

इस ओर उर्दू के चर्चित शायर इमरान प्रतागढ़ी के ध्यान दिलाने पर समाज में नफरत फैलाने वाले उनके पीछे पड़ गए। दयानिधि ट्वीट कर कहती हैं कि कागज तो दिखाना ही पड़ेगा। प्रत्येक चीन और नेपाल से बहकर आने वाला बरसाती पानी, उत्तरी बिहार और असम में तबाही मचाता है। यह जानते हुए भी महेंद्र शर्मा ने ट्वीट किया कि अतिजनसंख्या का परिणाम है  बाढ़, भूकंप और महामारी। जब-जब अतिजनसंख्या होगी, ऐसा ही होगा। तनु कौशिक इमरान प्रतापगढ़ी के ट्वीट के जवाब में लिखती हैं, ‘‘ तुझे इतना ही शर्म आ रही तो उनको बुलाकर अपने घर पर रख। वैसे शिल्पा राजपूत जैसे कई सुलझे लोग भी हैं जो बढ़ की समस्या को लेकर सोशल मीडिया पर खुलकर अपनी रायं रख रहे हैं। ऐसे लोग पूरी तरह इस को लेकर एकमत हैं कि सरकारों की नाकामी के कारण हर साल देश में बाढ़ तबाही मचाती है।

Pic: social media

नोटः वेबसाइट आपकी आवाज है। विकसित व विस्तार देने तथा आवाज की बुलंदी के लिए आर्थिक सहयोग दें। इससे संबंधित विवरण उपर में ‘मेन्यू’ के ’डोनेशन’ बटन पर क्लिक करते ही दिखने लगेगा।
संपादक