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सुभाषचंद्र बोस पर एनएसए डोभाल का बयान, कांग्रेस ने घेरा, जयराम रमेश बोले-ये भी हो गए मिथ्यावादी

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोल ने सुभाष चंद्र बोस पर बयान क्या दिया, विवाद शुरू हो गया है.कांग्रेस ने शनिवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की इस टिप्पणी के लिए आलोचना की कि यदि सुभाष चंद्र बोस जीवित होते, तो भारत का विभाजन नहीं होता. कांग्रेस ने कहा कि वह भी मिथ्यावादियों की जमात में शामिल हो गए हैं.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा, अजीत डोभाल, जो ज्यादा नहीं बोलते हैं, अब मिथ्यावादियों की जमात में शामिल हो गए हैं. क्या नेताजी ने गांधी को चुनौती दी थी ? क्या नेताजी वामपंथी थे ? बेशक नेताजी सेक्युलर थे. यदि नेताजी जीवित होते तो क्या विभाजन नहीं होता ? कौन कह सकता है, क्योंकि 1940 तक नेताजी ने फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन कर लिया था. इस पर आपकी राय हो सकती है, लेकिन यह एक विरोधाभासी प्रश्न है.

रमेश ने एनएसए पर निशाना साधते हुए कहा, डोभाल ने एक बात नहीं कही. नेताजी के बड़े भाई शरत चंद्र बोस के कड़े विरोध के बावजूद जिस व्यक्ति ने बंगाल के विभाजन का समर्थन किया, वह श्यामा प्रसाद मुखर्जी थे. मैं डोभाल को रुद्रांशु मुखर्जी की 2015 की बेहतरीन किताब पैरेलल लाइव्स की एक प्रति भेज रहा हूं. उन्हें कम से कम कुछ वास्तविक इतिहास को सूंघना चाहिए.

एसोचैम सुभाष चंद्र बोस स्मारक व्याख्यान देते हुए एनएसए ने कहा कि नेताजी ने जीवन के विभिन्न चरणों में बहुत दुस्साहस दिखाया और यहां तक कि उनमें महात्मा गांधी को चुनौती देने का भी दुस्साहस था.डोभाल ने कहा, लेकिन गांधी अपने राजनीतिक जीवन के चरम पर थे. जब बोस ने इस्तीफा दिया और कांग्रेस से बाहर आए, तो उन्होंने नए सिरे से अपना संघर्ष शुरू किया.

डोभाल ने कहा, मैं अच्छा या बुरा नहीं कह रहा हूं, लेकिन भारतीय इतिहास और विश्व इतिहास में ऐसे लोगों की समानताएं बहुत कम हैं, जिनमें धारा के खिलाफ चलने का दुस्साहस है. नेताजी एक अकेले व्यक्ति थे और जापान के अलावा उनका समर्थन करने वाला कोई देश नहीं था.

एनएसए ने कहा कि उनके मन में यह विचार आया कि मैं अंग्रेजों से लड़ूंगा, मैं आजादी की भीख नहीं मांगूंगा. यह मेरा अधिकार है और मुझे इसे प्राप्त करना ही होगा.डोभाल ने कहा, अगर सुभाष बोस होते तो भारत का विभाजन नहीं होता. जिन्ना ने कहा था कि मैं केवल एक नेता को स्वीकार कर सकता हूं और वह सुभाष बोस है.।

उन्होंने यह भी कहा कि सुभाष चंद्र बोस चाहते थे कि भारतीय पक्षियों की तरह स्वतंत्र महसूस करें और देश की आजादी से कम किसी चीज के लिए कभी समझौता न करें.

सुभाष चंद्र बोस ने भारत की आजादी से कभी समझौता नहीं कियाः डोभाल

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने शनिवार को कहा कि सुभाष चंद्र बोस ने देश की आजादी से कम पर कभी समझौता नहीं किया. राष्ट्रीय राजधानी में नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्मारक व्याख्यान देते हुए डोभाल ने कहा कि बोस न केवल भारत को राजनीतिक अधीनता से मुक्त करना चाहते थे, बल्कि उन्होंने लोगों की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मानसिकता को बदलने की आवश्यकता भी महसूस की.

डोभाल ने कहा, नेताजी (सुभाष चंद्र बोस) ने कहा कि मैं पूर्ण स्वतंत्रता से कम किसी भी चीज के लिए समझौता नहीं करूंगा. उन्होंने कहा कि वह न केवल इस देश को राजनीतिक अधीनता से मुक्त करना चाहते थे, बल्कि देश की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मानसिकता को बदलना भी चाहते थे.

एजेंसी के इनपुट पर आधारित