राजा महमूदाबाद के निधन पर लंदन से पूर्वी अफ्रीका आए जहीर और मौलाना रजनी ने उनकी शख्सियत को किया याद
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, दार एस सलाम
पूर्वी अफ्रीका के मोशी में मौलाना हसन अली रजनी ने लंदन से आए जहीर भाई से मुलाकात की और घरेलू और विदेशी स्थिति पर चर्चा की. साथ ही अगले दिन मौलाना रजनी फिर दार एस सलाम में जहीर भाई से मिले और राजा महमूदाबाद के दुनिया से गुजर जाने अपने संवेदनाएं व्यक्त कीं.
उन्हांेने कहा कि राजा महमूदाबाद बहुत ही सभ्य, धर्मपरायण और साहित्यिक व्यक्तित्व थे. उन्हें खगोल भौतिकी में विशेषज्ञता हासिल थी. अनगिनत कविताएं उनकी जुबान पर रहती थीं. बोलने के खास लहजे, उठने-बैठने के अनोखे अंदाज से वो अपने मिलने वालों के दिलों में खास जगह बना लेते थे. स्तुति पाठ में वे किसी से पीछे नहीं थे. वह कई भाषाओं में पारंगत थे. अरबी-फारसी उनकी मातृभाषा थी. उन्होंने विश्व के अधिकांश देशों की यात्रा की थी. उन्हें इन स्थानों के इतिहास और भूगोल से बहुत लगाव था.
राजा महमूदाबाद दो बार कांग्रेस के टिकट पर महमूदाबाद से विधानसभा सदस्य चुने गए थे. वह महमूदाबाद राज्य में बहुत लोकप्रिय थे. स्थानीय नागरिक भी उनसे बहुत प्यार करते थे. मौलाना रजनी ने कहा कि राजा महमूदाबाद द्वारा अपनी मातृभूमि में शोक प्रक्रिया जारी रखकर उजई सैयद-उल-शहादा की स्मृति को बनाए रखने के लिए किए गए प्रयास अविस्मरणीय हैं. उनकी मौत पर परिवार को धैर्य प्रदान करने के लिए दुआ करें.