Muslim WorldPolitics

बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई पर राजनेता बोले-पीएम मोदी हस्ताक्षेप करें अन्यथा एक वर्ग का शासन-सरकार से यकीन उठ जाएगा !

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

देश के 76 वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लालकिला से भाषण देने के क्रम में जब महिला उत्पीड़न पर भावुक होने की कोशिश कर रहे थे, तभी गुजरात के सांप्रदायिक दंगे के दौरान गर्वती बिलकिस बानो के साथ मुंह काला करने और कई हत्याओं के दोषियों को उनके ‘अच्छे आचरण’ को देखते हुए जेले से रिहा कर दिया गया. यह काम भी उसी प्रदेश में हुआ जहां के नरेंद्र मोदी कई सालों तक मुख्यमंत्री रहे.अब प्रधानमंत्री की खूब फजीहत हो रही है.

चूंकि पीएम मोदी ने इस मामले में न तो कोई हस्ताक्षेप किया है और न ही उनका कोई बयान आया है. इसलिए उनकी कथनी और करनी का अंतर लोगों को समझ में आ गया है. जिस तरह से कुछ साल पहले उन्हांेने इसी लालकिला से देश के सभी बेघरों को घर देने की घोषणा की थी, लगता है उनकी नारी सम्मान वाला ऐलान भी ढपोरशंखी साबित होगा.
गुजरात जेल से बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की रिहाई के बाद अब प्रधानमंत्री पर चौतरफा दबाव है कि इस मामले में हस्ताक्षेप कर दोषियों को पुनः जेल में डालने की व्यवस्था करंे. विभिन्न राजनेताओं को आशंका है कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो न केवल एक वर्ग विशेष के मन में सरकार के प्रति अविश्वास जड़ जमा लेगा. प्रधानमंत्री की निष्पक्षता पर भी सवाल उठेंगे.
बता दें कि बिलकिस बानो के दोषियों को स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज किए जाने के बाद से देशभर में गुस्सा फूट पड़ा है.

कई राजनेताओं, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार के फैसले की निंदा की है.

तेलंगाना के आईटी मंत्री के टी रामाराव ने प्रधानमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने और राष्ट्र को दूरदर्शिता दिखाने की अपील की.

बाद में उन्होंने ट्वीट किया कि कैसे हत्यारों का स्वागत मिठाई और माला पहनाकर किया गया.विधान परिषद सदस्य और टीआरएस नेता के कविता ने इसे शर्मनाक फैसला बताया.

आईएएस स्मिता सभरवाल ने बिलकिस बानो और उनके परिवार के साथ हुए अन्याय पर ट्वीट किया. उन्होंने पूछा कि अगर बलात्कारियों को रिहा कर दिया जाए तो क्या हम खुद को एक स्वतंत्र राष्ट्र कह सकते हैं.

तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने महिलाओं के सम्मान पर व्याख्यान देने के लिए पीएम पर तंज कसा.उन्होंने यह भी पूछा कि क्या बिलकिस महिला की श्रेणी में आती है या मुस्लिम ?

इसके अलावा, उसने गोदी मीडिया के समाचार एंकरों भी खिंचाई की.लोकसभा सदस्य और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री से रिहाई आदेश रद्द करने की मांग की. उन्होंने गुजरात छूट समिति को एक दिखावा समिति के रूप में भी परिभाषित किया.

बाद में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री के पाखंड की ओर इशारा किया.कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पूछा कि तीन साल की बच्ची और पांच माह की गर्भवती महिला से सामूहिक दुष्कर्म समेत सामूहिक हत्या के दोषियों को रिहा कर क्या संदेश दिया जा रहा है.

कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य पी चिदंबरम ने ट्वीट किया कि नारी शक्ति (नारी शक्ति) पर विनाश शक्ति (विनाश शक्ति) की जीत हुई.उन्होंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से जवाब मांगा कि दोषियों को रिहा क्यों किया गया?

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की नेता सुप्रिया सुले ने बिलकिस की कहानी को ट्वीट करते हुए इसे बेहद परेशान करने वाला बताया.

राज्यसभा सांसद और शिवसेना सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया और इस खबर को ट्रिगर कहा.दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने गुजरात सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की. उल्लेखनीय है कि गुजरात में सांप्रदायिक दंगे तब हुए थे जब मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी की वहां सरकार थी.दंगे के सालों बाद तमाम आरोपी धीर-धीरे जेल से बाहर आ गए. मजेदार बात यह है कि जिन्हांेने दंगे को लेकर इंसाफ की लड़ाई या तो वह सलाखों के पीछे हैं या कई तरह के मुकदमों के बोझ तले दबा दिए गए हैं.