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एक देश, एक चुनावः कमेटी में शामिल किए गए गुलाम नबी आजाद, क्या दे सकते हैं निष्पक्ष सलाह ?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ घनिष्ठता और कांग्रेस छोड़ने के बाद केंद्र और बीजेपी के प्रति बढ़ते झुकाव को लेकर गुलाम नबी आजााद की निष्पक्ष सियासत पर उंगली उठ रही हैं. इसका परिणाम है कि कांग्रेस से अलग होने के बाद जितने कश्मीरी कांग्रसी उनके साथ आए थे, उनमें से अधिकांश ने उनका साथ छोड़ दिया है.

इस बीच केंद्र सरकार ने एक देश, एक चुनाव के लिए देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है, जिसमें गुलाम नबी आजाद शामिल किए गए हंै.केंद्र सरकार की इस पहल को कांग्रेस ही नहीं विपक्षी दलों का इंडिया ग्रुप भी विरोध कर रहा है. ऐसे में यह उच्च स्तरीय कमेटी कितना निष्पक्ष काम करेगी, इसको लेकर सवाल है. यही नहीं इस समिति में विपक्ष को ज्यादा तरजीह नहीं देना भी सवाल का दायरा बढ़ाता है.

केंद्र सरकार की 2 सितंबर को जारी अधिसूचना के मुताबिक, समिति में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चैधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद,15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी को सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है.

केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर समिति की बैठक में शामिल होंगे और विधि कार्य विभाग के सचिव नितेन चंद्र को सचिव बनाया गया है.केंद्र सरकार की अधिसूचना में कहा गया है कि इस उच्चस्तरीय समिति का मुख्यालय नई दिल्ली में होगा. समिति तुरंत कार्य आरंभ करेगी और यथाशीघ्र सिफारिशें करेगी.