Operation Sindoor: गौरव आर्या के ईरान विरोधी बयान पर ईरानी मीडिया भड़का
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— ‘अगर ईरान पाकिस्तान के साथ होता, तो भारत तक एक कतरा तेल भी न पहुंचता’: ईरान ऑब्जर्वर की तीखी प्रतिक्रिया
मुस्लिम नाउ ब्यूरो | नई दिल्ली
भारत द्वारा हाल ही में चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर को लेकर एक नए विवाद ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की सतह पर खलबली मचा दी है। भारतीय सेना के पूर्व मेजर और टेलीविजन विश्लेषक गौरव आर्या द्वारा ईरान पर पाकिस्तान की मदद करने का आरोप लगाने और सार्वजनिक मंच से ईरानी नागरिकों को अपमानजनक भाषा में संबोधित करने के बाद, ईरान की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है।
गौरव आर्या ने एक टीवी डिबेट के दौरान कथित रूप से ईरानियों को “सूअर की औलाद” कहा और उन पर पाकिस्तान को भारत के खिलाफ समर्थन देने का आरोप लगाया। इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर न सिर्फ भारी बवाल मचा बल्कि ईरान के प्रमुख मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ईरान ऑब्जर्वर’ ने भी इसे “अज्ञानता, भारत-ईरान रिश्तों को नुकसान पहुंचाने वाली सोच” और “रणनीतिक अपरिपक्वता” करार दिया।
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This retired Indian army major, followed by the Indian Prime Minister, says that Iran is giving Pakistan weapons to kill Indians and is siding with Pakistan
— Iran Observer (@IranObserver0) May 11, 2025
First, Iran started manufacturing ballistic missiles during the Iran-Iraq war and Pakistan had ballistic missiles long… pic.twitter.com/saVjnxjOFP
ईरानी मीडिया ने बयान को बताया ‘खतरनाक और बेबुनियाद’
ईरान ऑब्जर्वर ने इस पूरे विवाद पर सोशल मीडिया के माध्यम से दो विस्तृत ट्वीट जारी कर स्पष्ट किया कि:
“कुछ भारतीयों को ईरान के रणनीतिक महत्व और भारत-ईरान के संबंधों की गहराई की कोई जानकारी नहीं है।”
— @IranObserver0
उन्होंने आगे कहा कि अगर वास्तव में ईरान पाकिस्तान का साथ देता, तो भारत को आज भी मध्य-पूर्व से आने वाला 84% कच्चा तेल नहीं मिल पाता।
ईरान ने भारत का साथ दिया, न कि पाकिस्तान का
ईरान ऑब्जर्वर के अनुसार, पहलगाम हमले के बाद ईरान ने भारत के पक्ष में बयान दिया था और आतंकवाद की निंदा की थी।
“ईरान ने पाकिस्तान का पक्ष नहीं लिया है। ईरान ने कश्मीर में आतंकी हमले की निंदा की है और हमेशा भारत के साथ खड़ा रहा है।”
— ईरान ऑब्जर्वर
ईरान ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी पाकिस्तान को भारत के खिलाफ हथियार नहीं दिए, और यदि ऐसा होता, तो भारत की ऊर्जा आपूर्ति पूरी तरह से ठप हो जाती।
From the comments I have read, some Indians seem to lack knowledge about Iran
— Iran Observer (@IranObserver0) May 11, 2025
1. India uses Iranian ports to access the Caucasus, Central Asia and Afghanistan for trade
2. Much of India's oil passes through the Strait of Hormuz
3. About 80% of India's exports to Europe pass… pic.twitter.com/xMGx7pUn4r
भारत की रणनीतिक निर्भरता: ईरान की भूमिका अहम
ईरान ऑब्जर्वर ने अपने ट्वीट में चार अहम तथ्यों के माध्यम से भारत की ईरान पर भू-राजनीतिक और व्यापारिक निर्भरता का खुलासा किया:
- भारत काकेशस, मध्य एशिया और अफगानिस्तान तक पहुँचने के लिए ईरानी बंदरगाहों का उपयोग करता है, खासकर चाबहार पोर्ट।
- भारत का अधिकांश तेल आयात होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है, जो ईरान की भौगोलिक सुरक्षा छत्र में आता है।
- भारत का लगभग 80% निर्यात यूरोप को लाल सागर के रास्ते से होता है, जिसे यमन में ईरान-समर्थित समूह नियंत्रित करते हैं।
- भारत और ईरान दोनों ही ब्रिक्स और एससीओ जैसे वैश्विक मंचों के सदस्य हैं, जो दोनों देशों के साझा हितों का प्रतीक हैं।
‘रणनीतिक मूर्खता’ की ओर इशारा
ईरान ऑब्जर्वर ने अपने एक अन्य ट्वीट में कहा:
“भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा अनुसरण किए जाने वाले इस रिटायर्ड मेजर ने आरोप लगाया कि ईरान पाकिस्तान को हथियार दे रहा है, जबकि यह पूरी तरह से झूठ और रणनीतिक मूर्खता है।”
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के पास बैलिस्टिक मिसाइलें ईरान से बहुत पहले से थीं और ईरान ने अपने सुरक्षा हितों के लिए हथियार विकसित किए, न कि भारत के खिलाफ।
I refuse to call this person a pig because even pigs deserve better than to be compared to someone like them!
— Qasim Suleimani Army 🇮🇷🇵🇸 (@Suleimani_313) May 10, 2025
Do You Agree ? 🇮🇷 pic.twitter.com/9cteb8CCut
गौरव आर्या की टिप्पणियों को बताया ‘अविवेकी राष्ट्रवाद’
ईरान से आए इन बयानों को भारत में कई विश्लेषकों ने भी ‘गैर-राजनयिक उकसावे’ और ‘टेलीविजन राष्ट्रवाद की बर्बर परिणति’ बताया है। गौरव आर्या जैसे लोग अक्सर टीवी चैनलों पर चरम राष्ट्रवादी बयानों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इस बार उनका बयान अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक रिश्तों को चोट पहुंचाता दिख रहा है।
निष्कर्ष: भारत-ईरान रिश्तों को लेकर गंभीरता की दरकार
भारत और ईरान का रिश्ता केवल तेल और ट्रांजिट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और रणनीतिक साझेदारी पर आधारित है।
ईरान ऑब्जर्वर की यह प्रतिक्रिया न सिर्फ गौरव आर्या के बयान पर करारा जवाब है, बल्कि यह एक चेतावनी भी है कि भारत के अंदर से उठने वाले बेबुनियाद आरोप भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि और कूटनीतिक संबंधों को कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं।