News

Operation Sindoor: गौरव आर्या के ईरान विरोधी बयान पर ईरानी मीडिया भड़का

मुस्लिम नाउ ब्यूरो | नई दिल्ली

भारत द्वारा हाल ही में चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर को लेकर एक नए विवाद ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की सतह पर खलबली मचा दी है। भारतीय सेना के पूर्व मेजर और टेलीविजन विश्लेषक गौरव आर्या द्वारा ईरान पर पाकिस्तान की मदद करने का आरोप लगाने और सार्वजनिक मंच से ईरानी नागरिकों को अपमानजनक भाषा में संबोधित करने के बाद, ईरान की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है।

गौरव आर्या ने एक टीवी डिबेट के दौरान कथित रूप से ईरानियों को “सूअर की औलाद” कहा और उन पर पाकिस्तान को भारत के खिलाफ समर्थन देने का आरोप लगाया। इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर न सिर्फ भारी बवाल मचा बल्कि ईरान के प्रमुख मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ईरान ऑब्जर्वर’ ने भी इसे “अज्ञानता, भारत-ईरान रिश्तों को नुकसान पहुंचाने वाली सोच” और “रणनीतिक अपरिपक्वता” करार दिया।

ALSO READ

ऑपरेशन सिंदूर: कंधार अपहरण और पुलवामा हमले के गुनहगारों समेत 100 से ज़्यादा आतंकवादी ढेर: DGMO

भारत ने ताक़त दिखाने की कोशिश की, लेकिन कमज़ोरी उजागर हो गई

CNN Report : भारत – पाकिस्तान में संघर्षविराम, क्या यह कायम रह पाएगा? जानिए पूरी बात


ईरानी मीडिया ने बयान को बताया ‘खतरनाक और बेबुनियाद’

ईरान ऑब्जर्वर ने इस पूरे विवाद पर सोशल मीडिया के माध्यम से दो विस्तृत ट्वीट जारी कर स्पष्ट किया कि:

“कुछ भारतीयों को ईरान के रणनीतिक महत्व और भारत-ईरान के संबंधों की गहराई की कोई जानकारी नहीं है।”
— @IranObserver0

उन्होंने आगे कहा कि अगर वास्तव में ईरान पाकिस्तान का साथ देता, तो भारत को आज भी मध्य-पूर्व से आने वाला 84% कच्चा तेल नहीं मिल पाता।


ईरान ने भारत का साथ दिया, न कि पाकिस्तान का

ईरान ऑब्जर्वर के अनुसार, पहलगाम हमले के बाद ईरान ने भारत के पक्ष में बयान दिया था और आतंकवाद की निंदा की थी।

“ईरान ने पाकिस्तान का पक्ष नहीं लिया है। ईरान ने कश्मीर में आतंकी हमले की निंदा की है और हमेशा भारत के साथ खड़ा रहा है।”
— ईरान ऑब्जर्वर

ईरान ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी पाकिस्तान को भारत के खिलाफ हथियार नहीं दिए, और यदि ऐसा होता, तो भारत की ऊर्जा आपूर्ति पूरी तरह से ठप हो जाती।


भारत की रणनीतिक निर्भरता: ईरान की भूमिका अहम

ईरान ऑब्जर्वर ने अपने ट्वीट में चार अहम तथ्यों के माध्यम से भारत की ईरान पर भू-राजनीतिक और व्यापारिक निर्भरता का खुलासा किया:

  1. भारत काकेशस, मध्य एशिया और अफगानिस्तान तक पहुँचने के लिए ईरानी बंदरगाहों का उपयोग करता है, खासकर चाबहार पोर्ट
  2. भारत का अधिकांश तेल आयात होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है, जो ईरान की भौगोलिक सुरक्षा छत्र में आता है।
  3. भारत का लगभग 80% निर्यात यूरोप को लाल सागर के रास्ते से होता है, जिसे यमन में ईरान-समर्थित समूह नियंत्रित करते हैं।
  4. भारत और ईरान दोनों ही ब्रिक्स और एससीओ जैसे वैश्विक मंचों के सदस्य हैं, जो दोनों देशों के साझा हितों का प्रतीक हैं।

‘रणनीतिक मूर्खता’ की ओर इशारा

ईरान ऑब्जर्वर ने अपने एक अन्य ट्वीट में कहा:

“भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा अनुसरण किए जाने वाले इस रिटायर्ड मेजर ने आरोप लगाया कि ईरान पाकिस्तान को हथियार दे रहा है, जबकि यह पूरी तरह से झूठ और रणनीतिक मूर्खता है।”

उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के पास बैलिस्टिक मिसाइलें ईरान से बहुत पहले से थीं और ईरान ने अपने सुरक्षा हितों के लिए हथियार विकसित किए, न कि भारत के खिलाफ।


गौरव आर्या की टिप्पणियों को बताया ‘अविवेकी राष्ट्रवाद’

ईरान से आए इन बयानों को भारत में कई विश्लेषकों ने भी ‘गैर-राजनयिक उकसावे’ और ‘टेलीविजन राष्ट्रवाद की बर्बर परिणति’ बताया है। गौरव आर्या जैसे लोग अक्सर टीवी चैनलों पर चरम राष्ट्रवादी बयानों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इस बार उनका बयान अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक रिश्तों को चोट पहुंचाता दिख रहा है।


निष्कर्ष: भारत-ईरान रिश्तों को लेकर गंभीरता की दरकार

भारत और ईरान का रिश्ता केवल तेल और ट्रांजिट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और रणनीतिक साझेदारी पर आधारित है।

ईरान ऑब्जर्वर की यह प्रतिक्रिया न सिर्फ गौरव आर्या के बयान पर करारा जवाब है, बल्कि यह एक चेतावनी भी है कि भारत के अंदर से उठने वाले बेबुनियाद आरोप भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि और कूटनीतिक संबंधों को कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *