ऑपइंडिया ने किया सुप्रीम कोर्ट का अपमान, टीएमसी प्रवक्ता ने की कार्रवाई की मांग
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता साकेत गोखले ने भारत के महान्यायवादी के के वेणुगोपाल को ऑनलाइन समाचार मीडिया ऑपइंडिया के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही करने के लिए एक पत्र लिखा है.पत्र में कहा गया है कि ऑपइंडिया ने अपने एक लेख में कथित तौर पर उच्चतम न्यायालय का अपमान किया है.
1 जुलाई को जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा पर उनके खिलाफ सभी एफआईआर को नई दिल्ली में स्थानांतरित करने के लिए आवेदन करने के बाद उनकी गंभीर आलोचना की थी. यहां तक कहा था कि उदयपुर सहित देश में आज जो कुछ भी हो रहा है, उसकी एकमात्र जिम्मेदार नूपुर शर्मा हैं.
TMC Leader @SaketGokhale has approached Attorney General for India seeking to initiate criminal contempt of court proceedings against @OpIndia_com for allegedly insulting the Supreme Court over its oral observations in #NupurSharma 's Case pic.twitter.com/jFeKDIyJu0
— Live Law (@LiveLawIndia) July 3, 2022
पीठ ने नूपुर को फटकार लगाते हुए कहा कि देश में जो हो रहा है उसके लिए अकेले वह जिम्मेदार हैं. यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा के दिल्ली में सभी एफआईआर ट्रांसफर करने के अनुरोध को ठुकराया था.टीएमसी प्रवक्ता ने एक ट्वीट को संदर्भित करते हुए पत्र में लिखा है, ऑपइंडिया ने 1 जुलाई को पोस्ट किया , जिसमें मीडिया कंपनी ने सर्वोच्च न्यायालय की तुलना इस्लामवादियों से की है.
Supreme Court speaks like Islamists, conducts a witch trial blaming Nupur Sharma’s ‘loose tongue’ for Hindu man’s beheading by Islamic fanaticshttps://t.co/IDDwvuGRcv
— OpIndia.com (@OpIndia_com) July 1, 2022
ट्वीट में कहा गया, सुप्रीम कोर्ट इस्लामवादियों की तरह बोलता है. इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हिंदू व्यक्ति के सिर काटने के लिए नूपुर शर्मा की ढीली जीभ को दोषी ठहराता है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट शरीयत का अनुसरण करता है? शीर्षक वाला एक लेख का भी उल्लेख किया गया है.
पत्र में कहा गया है,“ऑपइंडिया के उपर्युक्त ट्वीट और उनके द्वारा प्रकाशित और उनके संपादक नूपुर जे शर्मा द्वारा लिखे गए लेखों के बयान स्पष्ट रूप से आम भारतीयों के दिमाग में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार को गंभीर, झूठे और दुर्भावनापूर्ण करार देता है ? भारत के सर्वोच्च न्यायालय की संबंधित डिवीजन बेंच द्वारा की गई मौखिक टिप्पणियों पर आक्षेप है.”