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Opinion: भारत-कुवैत संबंध: ऐतिहासिक धरोहर और सतत साझेदारी

महामहिम अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह के नेतृत्व में कुवैत एक नए युग की ओर अग्रसर है. इस क्रम में, सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान महामहिम क्राउन प्रिंस शेख सबा अल-खालिद अल-हमद अल-सबाह और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात के बाद, मोदी 21-22 दिसंबर को कुवैत का दौरा कर रहे हैं. यह यात्रा 43 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है, जो दोनों देशों के गहरे ऐतिहासिक संबंधों और हाल के वर्षों में उनमें आए प्रगति को रेखांकित करती है.

आर्थिक साझेदारी में प्रगति

आर्थिक क्षेत्र में, भारत और कुवैत के बीच व्यापार का कुल मूल्य वित्तीय वर्ष 2023-2024 में 10.479 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया. कुवैत को भारतीय निर्यात 2.1 बिलियन डॉलर रहा, जो सालाना 34.78% की वृद्धि को दर्शाता है. वहीं, कुवैत का भारत को कुल निर्यात, जिसमें मुख्य रूप से कच्चा तेल, गैस और पेट्रोकेमिकल शामिल हैं, 2022 में 15 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया.

प्रवासी समुदाय का योगदान

दोनों देशों के बीच के संबंध केवल व्यापार तक सीमित नहीं हैं. कुवैत में दस लाख से अधिक भारतीयों का जीवंत समुदाय है, जो गैर-अरब प्रवासियों में सबसे बड़ा है. यह समुदाय वित्त और इंजीनियरिंग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कुशल श्रमिक और विशेषज्ञों के रूप में श्रम बाजार में महत्वपूर्ण योगदान देता है.

ऐतिहासिक रिश्तों की जड़ें

भारत और कुवैत के संबंध सदियों पुराने हैं. ऐतिहासिक रूप से, भारत कुवैती परिवारों और वाणिज्यिक अभिजात वर्ग के लिए व्यापार और शिक्षा का प्रमुख केंद्र था. 20वीं सदी में, बॉम्बे (अब मुंबई) कुवैतियों के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था. कुवैत के कई वाणिज्यिक परिवारों ने वहाँ व्यापारिक घराने और कार्यालय स्थापित किए थे. मसालों, घोड़ों, मोतियों और लकड़ी जैसे व्यापारिक वस्तुओं का आदान-प्रदान दोनों देशों के बीच प्राचीन संबंधों का प्रतीक था.

कुवैती शोधकर्ता हेस्सा अवद अल-हरबी ने अपने इतिहास के व्यापक सचित्र विश्वकोश (1896-1965) में दोनों समाजों के बीच आर्थिक और सामाजिक एकीकरण को रेखांकित किया है. मुंबई की प्रसिद्ध ‘मुहम्मद अली स्ट्रीट’, जहाँ कुवैती व्यापारियों के कार्यालय थे, इस ऐतिहासिक संबंध की एक झलक प्रदान करती है.

रणनीतिक समय पर यात्रा

प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब कुवैत खाड़ी सहयोग परिषद की अध्यक्षता कर रहा है. यह यात्रा भारत, कुवैत और खाड़ी देशों के बीच सहयोग को एक नई दिशा देने का अवसर प्रदान करती है.

प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक स्तर पर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है. उनके कार्यकाल में भारत 11वें स्थान से विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. अगले पाँच वर्षों में भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने और 2047 तक एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य है.

मोदी ने सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं. उनके नेतृत्व में भारत ने अपने विरोधाभासों के बावजूद विभिन्न देशों और समूहों के साथ मित्रता को प्राथमिकता दी है. खाड़ी देशों के साथ भारत के संबंधों को सुदृढ़ बनाने में उनका नेतृत्व एक प्रेरक शक्ति के रूप में काम कर रहा है.

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