‘हमारे बारह’ फिल्म से मुस्लिम समुदाय में आक्रोश, अपमान का आरोप
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
बगैर मुसलमानों और इस्लाम के अपमान के न किसी दोयम दर्जे के निर्माता-निर्देशक की फिल्म चलती है और न ही बीजेपी जैसी पार्टी की सियासत. अगर ये ऐसा न करें तो इनका वजूद ही खत्म हो जाए. इसका जीती-जागती एक नई फिल्म है ‘हमारे बारह’.हालाकि, अभी यह फिल्म कान्स फिल्म फेस्टिवेल में दिखाई गई है. इस दौरान भारत के पर्दे पर 6 जून से दिखाने का ऐलान किया गया है.
मगर फिल्म के आम प्रदर्शन से पहले ही इसके प्रति मुसलमानों का आक्रोश बढ़ने लगा है. इससे पहले कश्मीर फाइल्स, केराल फाइल्स नाम से मुसलमानों और इस्लाम को बदनाम करने वाली कई फिल्में आ चुकी हैं. तब मुसलमानों ने खास प्रतिक्रिया नहीं दी थी, पर हम बारह को लेकर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है.
इस बारे में इस्लामिक स्काॅलर और चर्चित लेखक समीउल्लह खान ने गुस्से में एक्स पर लिखता हंै-मुसलमानों का अपमान करने वाली एक और फिल्म रिलीज होने जा रही है. बॉलीवुड में जो भी लोग ऐसी फिल्में बना रहे हैं जो मुस्लिम समुदाय को अमानवीय बनाती हैं, उन्हें स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि समय आने पर हम इन सभी अपमानों का उचित और कानूनी बदला लेंगे.’’
Another film insulting Muslims is going to be released, all those people in Bollywood who are making such films that dehumanize the Muslim community should clearly understand that when the time comes, we will take just and legal revenge for all these insults.
— Samiullah Khan (@_SamiullahKhan) May 23, 2024
A powerful… pic.twitter.com/Wv9wYuCbcK
वह आगे लिखते हैं-‘‘ स्वाभिमान पर इस जबरदस्त हमले के खिलाफ एक सशक्त लोकतांत्रिक प्रदर्शन शुरू होना चाहिए!ये लोग मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने और उनके प्रति नफरत व्यक्त करने में राक्षस बन गए हैं.!’’ अपनी टिप्पणी के साथ उन्हांेने एक्स पर फिल्म का पोस्टर भी टैग किया है.
हालांकि, समीउल्लह खान के इस टविट से मुसलमानों के खिलाफ अनर्गल वार्तालाप करने वाले बौखला गए हैं. इसके जवाब में मुस्लिमों के अधिक बच्चा पैदा करने वालों पर सवाल उठा रहे हैं. जबकि ऐसे लोग भूल गए कि लालू यादव टाइप लोग मुसलमाना नहीं हैं. यही नहीं, ऐसे लोगों को अपने परिवार पर भी एक नजर डाल लेनी चाहिए कि उनके चाचा-दादा-नाना के कितने संतान थे ?
इस फिल्म के निर्माता वीरेंद्र भगत को मालूम था कि इसपर विवाद होगा, इसलिए उन्हांेने सफाई में कहा है,‘‘ फिल्म के सभी चरित्र मुस्लिम हैं, इसलिए इसमें हिंदू- मुसलमान का एंगल देखना उचित नहीं है.’‘ जनसंख्या वृद्धि एक ग्लोबल मुद्दा है जिसे एक मार्मिक कहानी के माध्यम से उठाया गया है.
यदि ऐसा है तो फिल्म में केवल मुसलमान को क्यों दिखाया गया. यही नहीं इस्लाम पर अप्रत्यक्ष टिप्पणी क्यों की गई ? जनसंख्या वृद्धि की समस्या दिखानी ही थी तो विवाद से बचने के लिए ऐसे दो समुदाय के परिवारों को क्यों नहीं शामिल किया गया ?
कान फिल्म समारोह के बाद लंदन और दुबई में इस फिल्म का प्रीमियर होगा. फिल्म के एक निर्माता रवि गुप्ता कहते हैं कि यह फिल्म 6 जून को भारत और ओवरसीज में रीलिज होगी, तभी दर्शकों की राय का पता चलेगा. मुस्लिम समाज की भावनाएं आहत होने की संभावना से शिव बालक सिंह साफ इंकार करते हैं.
निर्देशक कमल चंद्रा का मानना है कि यह फैसला दर्शकों पर छोड़ देना चाहिए. अन्नू कपूर कहते हैं कि सच कुछ भी हो, पर मुस्लिम समाज अभी हो सकता है सच को बर्दाश्त करने के लिए तैयार न हो. अन्नू कपूर इस फिल्म मंे लखनऊ के कव्वाल मंसूर अली खान संजरी बने हैं.फिल्म में मंसूर अली खान संजरी ( अन्नू कपूर) के पहले से ही 11 बच्चे हैं. उनकी पहली बीवी छह बच्चों को जन्म देकर मर चुकी है.
वे अपनी उम्र से 30 साल छोटी रुखसाना से दोबारा निकाह करते हैं. पांच बच्चे पैदा कर चुके हैं. रुखसाना छठवीं बार गर्भवती हो जाती है. खान साहब गर्व से कहते हैं कि यदि अगले साल मर्दुमशुमारी होगी तो इस घर में हम दो और हमारे बारह होंगे. इतना ही नहीं वे अपने किसी बच्चे को स्कूल कालेज नहीं भेजते.
हर बात में इस्लाम, हदीस, शरीया, खुदा आदि का हवाला देकर सबको चुप करा देते हैं. वे न तो खुद पढ़े हैं , न हीं अपने बच्चों को सरकारी गैर सरकारी स्कूलों में पढ़ने देते हैं.
यानी फिल्म बनाने वालों की पूरी कोशिश है कि मुसलमानों को हर एंगल से बुरा दिखाया जाए. मुख्य किरदार को कव्वाल दिखाया. उसकी दूसरी बीबी को उससे 30 छोटी दिखाया. सबको जाहिल दिखाया. निर्माता-निर्देशक किस दुनिया में रह रहा है ? अब तो फुटपाथ पर रहने वालों के बच्चे भी तालीमयाफ्ता हो रहे हैं. झोपड़ियांे में पलकर आईएएस बनन रहे हैं. ऐसे में ‘हमारे बारह’ जैसी बेहूदा फिल्म को लेकर मुसलमान गुस्से में हैं तो इसमें गलत क्या है ? सेंसर बोर्ड को ऐसी फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगानी चाहिए, ताकि एक समुदाय आहत न हो.
किसी को सत्ता हासिल करनी है तो मुसलमानों को गाली देता है, बदनाम करता है।
— Rizwan Haider (@ItsRizwanHaider) May 23, 2024
किसी को टीआरपी बढ़ानी है तो वो मुसलमानों को टार्गेट करता है।
किसी को फिल्म के ज़रिए से दौलत कमानी है तो वो भी मुसलमानों को ही टार्गेट करता है।
कब तक मुसलमानो के नाम पर अपना घर चलाओगे?#Islamophobia_in_india pic.twitter.com/DXLqDzRFDF
मुख्य बिंदु:
- फिल्म की आलोचना: ‘हमारे बारह’ फिल्म को मुस्लिम समुदाय के प्रति अपमानजनक माना जा रहा है.
- समीउल्लह खान की प्रतिक्रिया: इस्लामिक स्कॉलर समीउल्लह खान ने फिल्म पर गुस्सा जताते हुए एक्स पर विरोध जताया.
- फिल्म की कहानी: फिल्म में एक मुस्लिम व्यक्ति के 12 बच्चों और उनके जीवन को दिखाया गया है, जिसे समुदाय ने अपमानजनक पाया.
- निर्माताओं का बचाव: निर्माता वीरेंद्र भगत का कहना है कि फिल्म का उद्देश्य जनसंख्या वृद्धि पर ध्यान आकर्षित करना है, न कि किसी समुदाय का अपमान करना.
- समाज की प्रतिक्रिया: मुस्लिम समुदाय ने फिल्म को बायकॉट करने और प्रदर्शन करने की धमकी दी है.
- अन्य फिल्मों से तुलना: पहले भी ‘कश्मीर फाइल्स’ और ‘केरल फाइल्स’ जैसी फिल्मों में मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के आरोप लगे थे.
- प्रदर्शन की तैयारी: फिल्म के प्रदर्शन से पहले ही मुस्लिम समुदाय ने विरोध प्रदर्शन की तैयारी शुरू कर दी है.
- सेंसर बोर्ड की भूमिका: मुस्लिम समुदाय ने सेंसर बोर्ड से फिल्म पर रोक लगाने की मांग की है ताकि उनकी भावनाएं आहत न हों.