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ओवैसी ने असद अहमद के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने पर उठाए सवाल-कहा बीजेपी धर्म के नाम पर करती है एनकाउंटर

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, हैदराबाद

एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने उमेश पाल की हत्या के आरोपी असद अहमद के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए हैं. एनकाउंटर के बाद मृतक के झकाझक सफेद कुर्ता-पजामा और चप्पल पहने रहने भी सवाल खड़े हो रहे हंै.

यूपी पुलिस ने एनकाउंटर जिस स्थान पर दिखाया है तथा उसने दावा किया है कि भुठभेड़ में आरोपियों की ओर से गोली चलाई गई थी. ऐसे में यह विश्वास करना लोगांे को मुश्किल हो रहा है कि ऐसे स्थान पर पुलिस से मुठभेड़ के बाद भी किसी व्यक्ति के कुर्ता-पाजामे पर कोई दाग कैसे नहीं लग सकता ? इस सवाल का जवाब तो किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच के बाद भी मिल पाएगा. वैसे असद के परिजन बहुत पहले से उसके किसी मुठभेड़ में मारे जाने की आशंका जता रहे थे.

बता दंे कि असद गैंस्टर से नेता बने अतीक अहमद का पुत्र है और उसे उमेश पाल की हत्या में मुख्य आरोपी बनाया गया था. वह घटना के बाद से फरार था. पुलिस ने उसपर पांच लाख रूपये का इनाम रखा था.ओवैसी ने पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद गुरुवार को उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की निंदा की है.

तेलंगाना के निजामाबाद में बोलते हुए, उन्होंने सवाल किया कि क्या बीजेपी जुनैद और नासिर को मारने वालों को भी गोली मारेगी. फरवरी में गो रक्षकों द्वारा कथित तौर पर दो लोगों की हत्या का जिक्र करते हुए उन्होंने यह सवाल किया. उनके जले हुए अवशेष हरियाणा में एक एसयूवी में मिले थे.

ओवैसी ने एक के बाद एक सवाल दागते हुए पूछा है कि क्या जुनैद और नासिर की हत्या करने वालों को भी गोली मार देगी बीजेपी? क्या बीजेपी भी जुनैद और नासिर की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों को एनकाउंटर में मारेगी? नहीं, क्योंकि आप (भाजपा) धर्म के नाम पर एनकाउंटर करते हैं.

यदि आप कानून के शासन को कमजोर करना चाहते हैं, तो संविधान के साथ मुठभेड़ करें. हमारे पास अदालतें… कानून… आईपीसी और न्यायाधीश क्यों हैं? आपने अभी-अभी मुठभेड़ हत्याओं में शामिल होना चुना है. ऐसे मामले में अदालतें क्या करेंगी? यह उनकी जिम्मेदारी है. आपका काम हत्यारों को पकड़ना है. अगर कोई मारता है, तो उसे जेल में डाल दें.

उन्होंने भाजपा के बुलडोजर न्याय पर सवाल खड़ा करते हुए कहा, अगर कोई मारता है, तो उनके घरों को बुलडोजर से नष्ट कर दें.

टीवी चैनलों का रवैया सवालों में

बता दें कि इस मुठभेड़ के मामले मंे टीवी चैनलों का रवैया भी सवालांे के घेरे में है. पत्रकारिता की एथिक के अनुसार किसी का शव दिखाना मना है. इसके बावजूद टीवी चैनलों पर न केवल असद के शव दिखाए जा रहे हैं. इसको लेकर ऐसे-ऐसे आपत्तिजनक और गैर मानवीय शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं कि उनकी निष्पक्षता पर भी सवाल उठने लगे हैं. जुनैद के मामले में टीवी चैनलों ने खामोशी अख्तियार कर ली थी.