ओवैसी ने वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर सरकार को चेताया, कहा: यह सामाजिक अस्थिरता पैदा करेगा
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को सरकार को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के खिलाफ कड़ी चेतावनी दी. ओवैसी ने कहा कि अगर सरकार यह विधेयक मौजूदा स्वरूप में पारित करती है, तो इससे देश में ‘‘सामाजिक अस्थिरता’’ पैदा होगी. उनका यह बयान लोकसभा में दिए गए संबोधन के दौरान आया.
मुस्लिम समुदाय की आपत्ति और विधेयक का विरोध
ओवैसी ने कहा कि इस विधेयक को पूरे मुस्लिम समुदाय ने खारिज कर दिया है. इसे पारित करने से गंभीर परिणाम होंगे. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में सरकार को चेतावनी दी और कहा, ‘‘अगर आप वक्फ कानून को इस रूप में लाते हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 25, 26 और 14 का उल्लंघन करता है, तो इसका परिणाम देश में सामाजिक अस्थिरता के रूप में सामने आएगा. इस विधेयक के जरिए वक्फ संपत्तियों का गलत तरीके से अधिग्रहण किया जाएगा और किसी भी वक्फ संपत्ति को नहीं छोड़ा जाएगा..’’ ओवैसी ने यह भी कहा कि यह विधेयक पूरी तरह से मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ है, और उन्होंने इसे ‘‘अमानवीय’’ और ‘‘अन्यायपूर्ण’’ बताया.
विकसित भारत का सपना और वक्फ संपत्तियों का संरक्षण
लोकसभा में अपने संबोधन में ओवैसी ने यह भी कहा, ‘‘आप भारत को एक ‘विकसित भारत’ बनाना चाहते हैं, और हम भी इसे एक विकसित भारत देखना चाहते हैं. लेकिन अगर आप इस विधेयक के माध्यम से देश को 80 और 90 के दशक के संघर्षों की ओर वापस ले जाना चाहते हैं, तो यह आपकी जिम्मेदारी होगी.’’
ओवैसी ने अपने समुदाय के प्रति अपनी निष्ठा को व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘मैं एक गौरवशाली भारतीय मुसलमान के रूप में यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं अपनी मस्जिद का एक इंच भी नहीं खोने दूंगा, और अपनी दरगाह का एक इंच भी नहीं खोने दूंगा. यह मेरी संपत्ति है, और आप इसे मुझसे नहीं छीन सकते. वक्फ मेरे लिए एक इबादत है, और मैं इसे बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता हूं.’’
विपक्षी सांसदों का भी विधेयक पर विरोध
ओवैसी के बयान से पहले, विपक्षी सांसदों ने भी वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के खिलाफ विरोध जताया. लोकसभा सांसद कल्याण बनर्जी और राज्यसभा सांसद मोहम्मद नदीमुल हक ने इस विधेयक के संबंध में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा सौंपे गए असहमति नोटों के प्रमुख अंशों को हटाए जाने पर कड़ा विरोध किया.
सांसदों ने इस संदर्भ में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक पत्र भेजा, जिसमें आरोप लगाया गया कि उनके असहमति नोटों को बिना पूर्व सूचना और सहमति के हटा दिया गया.
सांसदों ने 3 फरवरी 2025 को ओम बिरला को लिखे अपने पत्र में इस बात पर निराशा जताई और कहा, ‘‘हमें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि हमारे असहमति नोटों के कुछ प्रमुख अंश बिना किसी सूचना या स्पष्टीकरण के हटा दिए गए.’’ यह विरोध उन असहमति अंशों से संबंधित था, जिसमें सांसदों ने वक्फ संशोधन विधेयक के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताई थी.
असदुद्दीन ओवैसी और विपक्षी सांसदों का यह विरोध वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर नए विवाद को जन्म देता है. ओवैसी का यह बयान एक ऐसे समय में आया है जब सरकार इस विधेयक को लेकर अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करने की कोशिश कर रही है, लेकिन विपक्ष और मुस्लिम समुदाय के अंदर इसके खिलाफ गहरी असहमति है.
ओवैसी का कहना है कि इस विधेयक से न केवल मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों पर हमला होगा, बल्कि इससे देश में सामाजिक अस्थिरता भी पैदा हो सकती है. उनके बयान ने वक्फ संपत्तियों के संरक्षण और संविधान द्वारा दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों के महत्व पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं.