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बीजेपी को अप्रत्यक्ष रूप से मजबूत करने वाले ओवैसी ने ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग के दावे को खारिज किया

मुस्लिम नाउ ब्यूरो हैदराबाद

कई मोर्चों पर खासकर चुनाव के समय भारतीय जनता पार्टी को अप्रत्यक्ष रूप से मदद करने का आरोप झेलने रहे एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ज्ञानवापी मस्जिद पर आए कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया दी है. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान मतदान से एक दिन पहले ‘इंशाअल्लाह एक दिन हिंदुस्तान का प्रधानमंत्री हिजाबी होगा’ कहकर भाजपा के पक्ष में हिंदुओं को अप्रत्यक्ष तरीके से गोलबंद करने वाले ओवैसी ने अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के समापन के बाद वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में एक शिवलिंग मिलने के याचिकाकर्ता के दावे को खारिज कर दिया है.

उन्हांेने कहा,‘‘यह एक फव्वारा है, ‘शिवलिंग‘ नहीं. हर मस्जिद में यह फव्वारा है. कोर्ट के कमिश्नर द्वारा दावा क्यों नहीं उठाया गया? मौके को सील करने का आदेश 1991 के अधिनियम का उल्लंघन है. ” एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने एक याचिकाकर्ता के इस दावे पर कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में ‘शिवलिंग’ मिला है, गलत बताया है.

वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अदालत द्वारा आदेशित वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के तीसरे दिन सोमवार को संपन्न हुआ, मामले में हिंदू याचिकाकर्ता सोहन लाल आर्य ने दावा किया कि समिति को परिसर में एक शिवलिंग मिला.

मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए अदालत आयोग के साथ गए आर्य ने कहा कि उन्हें ‘‘निर्णायक सबूत‘‘ मिले हैं.यह ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से एक दिन पहले आया है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ कल 17 मई को अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई करेगी. हालांकि तीन दिन लंबा सर्वे पूरा हो चुका है. मस्जिद अधिकारियों की आपत्तियों के बावजूद सर्वेक्षण जारी रखने के वाराणसी सिविल कोर्ट के आदेश के अनुसार सर्वेक्षण किया गया.

सर्वेक्षण के समापन के बाद, वाराणसी की अदालत ने वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा को आदेश दिया, “जहां शिवलिंग पाया गया था, उस क्षेत्र को सील करने और लोगों को उस स्थान पर जाने से रोकने के लिए.”

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सील किए गए इलाके की सुरक्षा की जिम्मेदारी डीएम, पुलिस आयुक्त और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कमांडेंट वाराणसी की होगी.दीवानी अदालत ने साइट का सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी करने के लिए एक अदालत आयुक्त की नियुक्ति की थी और इसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी, जिसने 21 अप्रैल को अपील को खारिज कर दिया था. उच्च न्यायालय के 21 अप्रैल के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई थी.

पांच महिलाओं ने अदालत में याचिका दायर कर श्रृंगार गौरी मंदिर में दैनिक पूजा की अनुमति मांगी थी, जिसके बारे में दावा किया जाता है कि यह ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर स्थित है.

परिसर में सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी करने के लिए सिविल कोर्ट का आदेश बाद में अदालत द्वारा दिया गया था.एक अन्य याचिका, जिसे विजय शंकर रस्तोगी ने दायर किया था, ने तर्क दिया था कि पूरा परिसर काशी विश्वनाथ मंदिर का है और ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर परिसर का केवल एक हिस्सा है, यह भी 1991 से अदालत में लंबित है.

रस्तोगी ने यह भी दावा किया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर दो हजार साल पहले बनाया गया था और मंदिर को मुगल सम्राट औरंगजेब ने ध्वस्त कर दिया था.वाराणसी में कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष सहायक आयुक्त एडवोकेट विशाल सिंह ने कहा कि सर्वे बिना किसी बाधा के किया गया.