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पहलगाम हमले पर बौखलाहट: पाकिस्तान ने तुर्की की सैन्य मदद की फर्जी खबरें फैलाकर भारत पर दबाव बनाने की रची साजिश

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली/इस्लामाबाद।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की संभावित जवाबी कार्रवाई की आशंका से पाकिस्तान के भीतर घबराहट साफ दिखाई दे रही है। इस घबराहट का ताजा उदाहरण सोशल मीडिया पर तुर्की की सैन्य मदद को लेकर फैलाई जा रही फर्जी खबरें हैं। पाकिस्तान का एक तबका अब तुर्की-भारत संबंधों में दरार डालने और भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए सोशल मीडिया का हथियार बना रहा है।

फर्जी तस्वीरें और भ्रामक दावे

‘पाकिस्तान मिलिट्री’ नामक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से ऐसी भ्रामक तस्वीरें पोस्ट की गई हैं, जिनमें दावा किया गया है कि तुर्की से भारी सैन्य साजो-सामान पाकिस्तान पहुंच चुका है। एक अन्य इंस्टाग्राम हैंडल ‘पाकिस्तान फ्रंटियर’ ने भी एक तस्वीर साझा करते हुए दावा किया कि तुर्की वायु सेना का सी-130 विमान उन्नत हथियारों के साथ पाकिस्तान में उतरा है। इस सूचना का स्रोत ‘ईगल आई ऑन एक्स’ नामक अकाउंट को बताया गया है और कहा गया कि यह तस्वीर महज चार घंटे पुरानी है।

पाकिस्तान मिलिट्री के एक्स हैंडल से साझा एक और पोस्ट में दावा किया गया कि तुर्की से जो विमान पहुंचे हैं, वे भारी सैन्य उपकरणों और विभिन्न आपूर्तियों से लदे हुए हैं, जो भारत से संभावित युद्ध के मद्देनजर पाकिस्तान को मजबूती देंगे।

तुर्की का कोई आधिकारिक बयान नहीं

गौरतलब है कि इन दावों के समर्थन में न तो कोई आधिकारिक सूचना है और न ही तुर्की सरकार या वहां की सेना की ओर से कोई बयान जारी हुआ है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया या तुर्की के किसी विश्वसनीय चैनल ने भी ऐसी किसी खबर की पुष्टि नहीं की है। विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की-भारत के रिश्तों में भले ही कुछ मुद्दों पर असहमति रही हो, जैसे कश्मीर पर बयानबाजी, लेकिन तुर्की के भारत के खिलाफ इस तरह खुलकर सैन्य कार्रवाई में कूदने की संभावना नगण्य है।

पाकिस्तान की घबराहट और ‘प्रॉक्सी वॉर’ की रणनीति

जानकारों के मुताबिक, पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा सख्त जवाबी कदम उठाए जाने की संभावनाओं से पाकिस्तान बुरी तरह सहमा हुआ है। भारत की सैन्य तैयारी और कूटनीतिक आक्रामकता को देखते हुए पाकिस्तान एक तरफ तो शांति की बातें कर रहा है, वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया के जरिए ‘प्रॉक्सी वॉर’ छेड़ने की कोशिश कर रहा है।

इस रणनीति के तहत भारत में अस्थिरता फैलाने, जनता के बीच भ्रम पैदा करने और सरकार पर दबाव बनाने के लिए तरह-तरह की अफवाहें उड़ाई जा रही हैं। तुर्की की सैन्य मदद का यह झूठा नैरेटिव उसी प्रॉक्सी वॉर का हिस्सा है।

तुर्की-पाकिस्तान संबंधों की हकीकत

तुर्की और पाकिस्तान के बीच धार्मिक और रणनीतिक सहयोग का पुराना इतिहास रहा है। दोनों देश कई बार एक-दूसरे के हितों का समर्थन करते रहे हैं, खासकर इस्लामी दुनिया के मुद्दों पर। हालांकि, भारत के साथ तुर्की के संबंध आर्थिक और रणनीतिक दृष्टि से कहीं अधिक गहरे हैं। तुर्की ने बीते वर्षों में कई मौकों पर कश्मीर को लेकर बयान दिए हैं, लेकिन कभी भी भारत के खिलाफ प्रत्यक्ष सैन्य समर्थन की बात सामने नहीं आई है।

वर्तमान परिस्थितियों में, जबकि तुर्की खुद आंतरिक आर्थिक संकटों और विदेश नीति के संतुलन को साधने में व्यस्त है, उसके लिए भारत जैसे बड़े व्यापारिक साझेदार के खिलाफ किसी युद्ध में शामिल होना असंभव है।

भारत को सतर्क रहने की जरूरत

विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान की इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य भारत में अविश्वास और भय का माहौल बनाना है। ऐसे में भारत को सतर्क रहना चाहिए और हर अफवाह का तथ्यपरक विश्लेषण करते हुए जनता को सही जानकारी देनी चाहिए। इसके अलावा, कूटनीतिक स्तर पर भी भारत को तुर्की के साथ अपने संवाद को और मजबूत करना चाहिए, ताकि इस तरह की फर्जी खबरों का समय रहते खंडन किया जा सके।

सोशल मीडिया युद्ध में फतह सच की होगी

पाकिस्तान के सोशल मीडिया हैंडल्स द्वारा फैलाए जा रहे फर्जी नैरेटिव का पर्दाफाश एक बार फिर यह दिखाता है कि आधुनिक युद्ध सिर्फ सीमा पर नहीं, बल्कि सूचना के मैदान में भी लड़ा जा रहा है। ऐसे में भारत के लिए सबसे जरूरी है – संयम, सतर्कता और सटीक प्रतिक्रिया। फर्जी खबरों का मुंहतोड़ जवाब तथ्यों से ही दिया जा सकता है, और यही रास्ता भारत को हर स्तर पर मज़बूत करेगा।

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