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पाकिस्तानः सात दशकों के सियासी इतिहास में कौन-कौन राजनेता हमले का शिकार बने ?

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,इस्लामाबाद

पाड़ोसी पाकिस्तान का पिछले सात दशकांे का सियासी इतिहास हत्याओं से भरा पड़ा है. 1951 में पाकिस्तान के इतिहास में एक ऐसी तारीख के रूप में याद किया जाता है, जब देश के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की रावलपिंडिस कंपनी गार्डन में एक सार्वजनिक रैली के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, 1951 में कंपनी गार्डन में गोलियां चलाई गईं, जिसे बाद में लियाकत बाग का नाम दिया गया, लेकिन दुर्भाग्य से, यह अंतिम प्रयास नहीं था. पीटीआई के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान भी राजनेताओं की उस लंबी सूची में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने इस तरह के हमलों का सामना किया है.

सात दशकों से अधिक समय से लगातार अंतराल के साथ जारी गोलीबारी और आतंकवादी हमलों ने कई राजनेताओं की जान ली है, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो, उनके भाई मीर मुर्तजा भुट्टो, गुजरात के चौधरी जहूर इलाही, पंजाब के पूर्व गृह मंत्री शुजा खानजादा और पूर्व अल्पसंख्यक मंत्री शाहबाज भट्टी शामिल हैं.

खैबर-पख्तूनख्वा (के-पी) विधानसभा सदस्य और एएनपी के बशीर अहमद बिलौर और उनके बेटे हारून बिलौर सहित कई अन्य, धार्मिक विद्वान और पूर्व सीनेटर मौलाना समीउल हक, एमक्यूएम के सैयद अली रजा आबिदी और इस तरह के हमलों में पीटीआई के सरदार सोरन सिंह भी मारे गए हैं.

इमरान खान की तरह, पीएमएल-एन के मौजूदा योजना मंत्री अहसान इकबाल भी हत्या के प्रयास में बच गए थे.बेनजीर भुट्टो की 27 दिसंबर, 2007 को एक आत्मघाती हमलावर ने तब हत्या कर दी थी जब वो रावलपिंडी में एक चुनावी रैली कर रही थी.

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, उनके भाई की उनके कार्यकाल के दौरान 20 सितंबर, 1996 को कराची में उनके घर के पास पुलिस मुठभेड़ में छह सहयोगियों के साथ गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.जहूर इलाही की 1981 में लाहौर में कथित तौर पर मुर्तजा भुट्टो के नेतृत्व वाले एक आतंकवादी संगठन अल-जुल्फिकार ने हत्या कर दी थी. इसने हमले की जिम्मेदारी ली थी.

खानजादा की 16 अगस्त, 2015 को शादीखान, अटक में उनके राजनीतिक कार्यालय पर एक आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी. एक आतंकवादी समूह, लश्कर-ए-झांगवी ने उनकी हत्या की जिम्मेदारी ली थी.2 मार्च, 2011 को, बंदूकधारियों ने भट्टी की हत्या कर दी थी, जिन्होंने ईशनिंदा कानून के बारे में बात की थी और देश के संकटग्रस्त अल्पसंख्यकों के अधिकारों का समर्थन किया था.

पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार इलाके में एक आत्मघाती विस्फोट में दिसंबर 2012 में केपी के वरिष्ठ मंत्री बशीर अहमद बिलौर और आठ अन्य लोगों की मौत हो गई थी. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने उस विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी.10 जुलाई, 2018 को पेशावर में एक पार्टी की बैठक के दौरान एक आत्मघाती बम विस्फोट में उनके बेटे की मौत हो गई थी.

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया कि मौलाना समीउल हक, जिन्हें उनके मदरसा दारुल उलूम हक्कानिया की भूमिका के लिए तालिबान के पिता के रूप में जाना जाता है, नवंबर 2018 में रावलपिंडी में उनके आवास पर मारे गए थे.