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फिलिस्तीनी प्राधिकरण के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने हमास को कहा कुत्तों की औलाद

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,,रामल्लाह/नई दिल्ली


पश्चिम एशिया में फिलिस्तीन-इजरायल संघर्ष एक बार फिर राजनीतिक और मानवीय संकट के दौर में पहुंच गया है। इस बार चर्चा में हैं फिलिस्तीनी प्राधिकरण के राष्ट्रपति महमूद अब्बास, जिन्होंने हमास के खिलाफ अपने अब तक के सबसे तीखे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उसे “कुत्तों की औलाद” कहा है। उन्होंने न केवल गाजा पट्टी से इजरायली बंधकों की रिहाई की मांग की, बल्कि हमास को पूरी तरह निरस्त्र करने की बात भी कही है।


🔥 राष्ट्रपति अब्बास का तीखा भाषण: हमास पर खुला हमला

रामल्लाह से बुधवार को प्रसारित अपने टेलीविज़न संबोधन में महमूद अब्बास ने गाजा पट्टी में हो रही हिंसा और हमास की भूमिका पर खुलकर हमला बोला। उन्होंने कहा:

“कुत्तों की औलाद, बंधकों को रिहा करो और इजरायल को औचित्य देने का बहाना मत दो। ये पूरी इंसानियत के खिलाफ अपराध है।”

उन्होंने इजरायली हमलों को “गाजा में नरसंहार” बताया लेकिन साथ ही हमास को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया कि वह बंधकों को छोड़ने से इंकार करके इजरायल को आक्रमण का बहाना दे रहा है।


🛑 हमास की अब तक की सबसे तीखी आलोचना

यह पहला अवसर है जब अब्बास ने सार्वजनिक रूप से इस कड़े और आक्रामक लहज़े में हमास की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि 2007 में गाजा पर कब्जा करने के बाद से हमास ने फिलिस्तीनी मुक्ति संघर्ष को बहुत नुकसान पहुंचाया है। अब्बास ने कहा:

“हमास ने इजरायल के अवैध कब्जे को मुफ़्त में बहाने दिए हैं, जिससे वह गाजा में अपराधों को अंजाम दे सके।”


🕊️ शांति प्रक्रिया और एकता की अपील

अब्बास ने इस मौके पर फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (PLO) के अधीन एक संयुक्त राजनीतिक मंच बनाने की भी बात दोहराई। उन्होंने कहा:

“हमास को गाजा पर अपना नियंत्रण खत्म कर देना चाहिए और सभी प्रशासनिक जिम्मेदारियां वैध फिलिस्तीनी प्राधिकरण को सौंप देनी चाहिए। साथ ही वह हथियार छोड़कर एक राजनीतिक दल के रूप में काम करे।”


📜 संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील

महबूब अब्बास ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू कराने और एक वैश्विक शांति सम्मेलन बुलाने की मांग की। उन्होंने विशेष रूप से अमेरिका, रूस, चीन और यूरोपीय संघ से हस्तक्षेप की अपेक्षा जताई।


🧨 हमास की प्रतिक्रिया: ‘अब्बास की कोई वैधता नहीं’

अब्बास के भाषण पर हमास की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। संगठन ने बयान जारी कर कहा:

“महबूब अब्बास की टिप्पणी न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि वह इजरायली कब्जे के अपराधों की जिम्मेदारी फिलिस्तीनी जनता पर डालने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें अब किसी भी स्तर पर वैधता प्राप्त नहीं है।”


📜 हमास-फतह संघर्ष की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • 2006 में हुए चुनावों में हमास ने गाजा में जीत हासिल की और धीरे-धीरे पीए को वहां से बाहर कर दिया।
  • 2007 से लेकर अब तक हमास गाजा पर शासन कर रहा है जबकि पीए का नियंत्रण वेस्ट बैंक तक सीमित है।
  • कई बार सुलह समझौते हुए, लेकिन उनमें कोई ठोस अमल नहीं हो सका।
  • 2017 में काहिरा में हुए सुलह समझौते के बावजूद 2018 में रामी हमदल्लाह पर हमले के बाद संबंध और बिगड़ गए।

📌 निष्कर्ष: फिलिस्तीनी नेतृत्व के भीतर टकराव या नई शुरुआत?

अब्बास का हालिया भाषण न केवल हमास पर सीधा हमला है, बल्कि यह संकेत भी है कि फिलिस्तीनी नेतृत्व के भीतर एक नए यथार्थ को स्वीकार करने का वक्त आ चुका है। गाजा की तबाही, बंधक संकट और वैश्विक कूटनीतिक दबाव के बीच अब्बास की यह पहल अगर व्यावहारिक स्तर पर आगे बढ़ाई जाती है, तो यह फिलिस्तीन की राजनीति में निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है।