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हरियाणा की पंचायतों ने कहा-मुसलमानों को गांवों में घुसने नहीं देंगे, मंत्री बोले करेंगे सख्त कार्रवाई

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, गुरूग्राम/ चंडीगढ.

नूंह और गुरूग्राम में 31 जुलाई की हिंसा में एक इमाम और दो होम गार्ड जवान समेत छह लोगों की मौत के बाद हरियाणा की कुछ पंचायतों ने सूबे के गांवों से मुसलमनानों को निकालने का फरमान जारी किया है. इस पर हरियाणा के विकास और पंचायत मंत्री और जेजेपी नेता देवेंद्र सिंह बबली ने कड़ा ऐतराज जताया है.

द इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार, यह मामला उजागर होने पर कि कई ग्राम पंचायतों द्वारा मुस्लिम समुदाय के सदस्यों का बहिष्कार करने और उनके प्रवेश पर रोक लगाने के प्रस्तावों पर हस्ताक्षर किए हैं, मंत्री ने कहा,“मुझे इस मुद्दे की जानकारी है.कुछ स्थानों पर कुछ लोगों ने इस प्रकार के प्रस्ताव पारित किए हैं, लेकिन मैंने ऐसे सभी स्थानों के जिला प्रशासनों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ऐसा कृत्य कानून के तहत स्वीकार्य नहीं. यदि कोई व्यक्ति ऐसे फरमान जारी करने में लिप्त है, तो ऐसे लोगों के खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी.

बता दें कि 31 जुलाई को नूंह में सांप्रदायिक झड़पों के मद्देनजर पंचायतों द्वारा यह निर्देश जारी किए गए हैं.रेवाडी जिले के अटेली ब्लॉक के सेहतपुर गांव के सरपंच विकास यादव ने कहा, “अटेली ब्लॉक की 43 पंचायतों में से 30-35 पंचायतों ने इसी तरह के प्रस्तावों पर हस्ताक्षर किए हैं. मैं अटेली ब्लॉक की सरपंच एसोसिएशन का अध्यक्ष भी हूं. हमारे गांवों के लोगों में भारी आक्रोश है. हम कोई टकराव या सांप्रदायिक सौहार्द्र में खलल नहीं चाहते.”

इंडियान एक्सप्रेस के विरेंद्र भाटिया की रिपोर्ट के अनुसार, सरपंच विकास यादव ने कहा,इन प्रस्तावों पर हस्ताक्षर करने के पीछे हमारा मुख्य उद्देश्य है कि जो बाहरी लोग हमारे गांवों में आते हैं. व्यापार करते हैं या रहते हैं, उनका सत्यापन किया जाना चाहिए. उनमें कुछ असामाजिक तत्व भी हो सकते हैं, जो कानून-व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न करत सकते हैं. अटेली ब्लॉक में चार-पांच गांव ऐसे हैं, जहां मुस्लिम समुदाय का वर्चस्व है. वे पिछले 40-50 वर्षों से यहां रह रहे हैं. उनसे किसी को कोई परेशानी नही, लेकिन हमारा मुख्य मुद्दा रेहड़ी-पटरी वालों और जानवरों की चोरी की बढ़ती घटनाओं से है. यही वजह है कि हमने ऐसे प्रस्तावों पर हस्ताक्षर किए हैं. जब तक नूंह में माहौल सामान्य नहीं होता, हम किसी भी टकराव से बचने के लिए अपने गांवों में ऐसे किसी भी व्यक्ति के प्रवेश से बच रहेंगे.’’

इसपर नूंह से कांग्रेस विधायक आफताब अहमद इंडियन एक्सप्रेस से कहते हैं कि हमारे संविधान और कानून के तहत, ऐसे प्रस्ताव हमारे संघीय ढांचे के लिए खतरा हैं.भारत के संविधान और राज्य के साथ देश में कानून के शासन की रक्षा के लिए ऐसी गतिविधियों से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. ऐसे कृत्यों से राष्ट्र और उसके संविधान की मूल अवधारणा दूषित और परेशान हो रही है. ”

महेंद्रगढ़ में गोमला ग्राम पंचायत के सरपंच द्वारा 3 अगस्त को लिखे गए और सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (कनीना, महेंद्रगढ़) को सौंपे गए एक पत्र में उल्लेख गया है, “नूंह में हिंदू भाइयों पर हमले और अत्याचार के मद्देनजर, पूरे गांव गोमला और ब्लॉक कनीना, जिला महेंद्रगढ़ ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि मुस्लिम समुदाय के किसी भी व्यक्ति को हमारे गांव में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के साथ कोई व्यापार, उदाहरण के लिए, सड़क किनारे दुकानें, जानवरों की बिक्री-खरीद, भीख मांगना आदि की भी अनुमति नहीं दी जाएगी.

मुस्लिम समुदाय के लोग दिन में सड़क किनारे रेहड़ी लगाते हैं. रात में जानवरों की चोरी करते हैं. नूंह में हुई हिंसा के मद्देनजर हमने सांप्रदायिक सौहार्द के हित में यह फैसला लिया है, लेकिन इससे किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होंगी. पत्र पर सरपंच वेद प्रकाश समेत कुछ लोगों के हस्ताक्षर हैं. इस पर गोमला सरपंच की मोहर भी लगी है.

द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, वेद प्रकाश ने हालांकि कहा, “हमारा मुख्य उद्देश्य रेहड़ी-पटरी वालों या हमारे गांव में किराए पर रहने के लिए आने वाले लोगों के इतिहास की जांच करना है. हम किसी विशेष समुदाय को अकेला नहीं छोड़ना चाहते.हमने जिला प्रशासन से केवल यही अपील की है कि हमारे गांव में आने वाले सभी रेहड़ी-पटरी वालों या अन्य व्यक्तियों के इतिहास की जांच की जाए, चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम. हमारे गांव में 10-15 मुस्लिम परिवार हैं, जो खेतों में काम करते हैं. उन्हें कोई समस्या नहीं है.

इसी तरह का एक प्रस्ताव उसी दिन बिहाली ग्राम पंचायत द्वारा पारित किया गया, जिस पर सरपंच वीना देवी और कुछ अन्य लोगों ने अपने लेटरहेड पर हस्ताक्षर किए है. इसे भी एसडीएम (महेंद्रगढ़) को सौंप दिया गया. हालांकि खबर लिखने के तक प्रशासन का रूख स्पष्ट नहीं हो सकता है और न ही यह खबर आई कि ऐसे किसी सरपंच के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है या नहीं.