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पटना: उर्दू के मशहूर पत्रकार अशरफ अस्थानवी नहीं रहे, बिहार के पत्रकारिता जगत एवं सियासी हल्के में मातम

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, पटना

बिहार के चर्चित उर्दू जर्नलिस्ट अशरफ अस्थानवी  मंगलवार शाम इस दुनिया से हमेशा के लिए रुखसत हो गए.उनके इंतकाल की पुष्टि उनके भाई जावेद अशरफ ने की है. उनके गुजर जाने से बिहार की सहाफत और सियासी हलके को झटका लगा है.अशरफ अस्थानवी उर्दू के बड़े पत्रकार थे.बाद में उन्होंने हिन्दी में भी अपनी कलम का जादू दिखाया.मौत से एक दिन पूर्व तक वह सोशल मीडिया पर सक्रीय थे.अंतिम पोस्ट में उन्होंने लिखा था और तुम अपने रब की कौन-कौन सी बात को झुठलाओगे.

बताते हैं कि बिहार के दिवंगत राज्यपाल ए आर किदवई के दौर में उनकी पहुंच राजभवन तक थी.किदवई साहब उन्हें अजीज मानते थे.अस्थानवी नालंदा जिले के अस्थावां के रहने वाले थे. बाद में पटना के फकीरबाड़ा में बस गए.वह कई किताबों के लेखक भी थे.सबसे चर्चित किताब फारबिसगंज घटना पर थी.जहां पुलिस की गोली से चार मुसलमान मारे गए थे. एक शव को खाकी वर्दी ने बूट से रौंद डाला था.बेबाक पत्रकार के निधन पर बिहार की पत्रकार जगत शोक में है.

प्यारी उर्दू के संपादक और पूर्व विधायक डॉ.इजहार अहमद ने अशरफ अस्थानवी के अचानक इंतेकाल पर सदमे का इजहार किया है.उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा है कि उर्दू पत्रकारिता का एक मजबूत स्तम्भ टूट गया.विधानसभा और विधान परिषद की उनकी रिपोर्टिंग जानदार थी.मेहनती और लगनशील थे.उनके नहीं रहने से बहुत अफसोस है.एक अच्छा सहाफी अब हमारे बीच नहीं हैं.

जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक रहमान ने अशरफ अस्थानवी के निधन पर गहरा शोक जताया है.उन्होंने कहा कि वह काफी मिलनसार और खुशमिजाज शख्सियत थे.उर्दू दोस्त थे. अंतिम तक उर्दू की लड़ाई लड़ते रहे.पत्रकारिता उनका ओढ़ना-बिछौना था.सहाफत को उन्होंने आत्मसात कर लिया था.अब जुनूनी और अच्छे सहाफी से पत्रकारिता खाली होती जा रही है.

पटना के पूर्व मेयर अफजल इमाम ने भी अशरफ अस्थानवी के इंतेकाल पर दुःख का इजहार किया है.उन्होंने कहा कि मोहब्बत करने वाला एक शख््स चला गया. अशरफ अस्थानवी आप दिल में रहोगे अलविदा अल्लाह पाक मगफिरत करे. राजनीतिज्ञ और कद्दावर मुस्लिम नेता अबु कैसर ने अशरफ अस्थानवी के निधन पर गहरे सदमे का इजहार किया है.उन्होंने कहा कि अस्थानवी साहब जब भी मिलते खुशदिली से मिलते.हर तहरीक में हमारे साथ रहते.उर्दू से बेपनाह लगाव था.मुद्दा आधारित पत्रकारिता करते थे.उनके इंतेकाल की खबर से बेहद अफसोस हुआ.

युवा पत्रकार मह्फुज आलम ने अपने शोक संदेश में कहा है कि अशरफ अस्थानवी साहब ना सिर्फ एक बेहद मिलनसार, एक दूसरे के कद्र करने वाले और एक बेबाक सहाफी थे ,वो उर्दू की तरक्की के सिलसिले में भी लगातार कोशिश करते रहे.हर मंच पर उन्होंने बेला-खौफ उर्दू के मसले को उठाया.ऐसे लोगों का जाना उर्दू दुनिया और उर्दू सहाफत के लिए एक बड़ा खसारा है.

अशरफ अस्थानवी के निधन पर निरंतर शोक संदेश प्राप्त हो रहा है.जिससे उनकी सहाफती खिदमात का अंदाजा लगता है. पूर्व मंत्री डॉ.मोनाजिर हसन ने अशरफ अस्थानवी के निधन पर अफसोस जताते हुए कहा है कि वह निडर पत्रकार थे.मुस्लिम सवालों पर सरकार से भी भिड़  जाते थे.जनमानस की समस्याओं को गम्भीरता से उठाते थे.जमीन से जुड़े पत्रकार थे.उनकी कलम में दम था.ऐसे वक्त में उनका जाना दुःख की बात है जब उनके जैसे पत्रकारों की आज सख्त जरूरत है.बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड के पूर्व प्रशासक शारिम अली ने बताया कि बीस दिन पूर्व उनसे बात हुई थी.उनका कॉल आया था.अशरफ अस्थानवी साहब के इंतकाल की खबर सुनकर काफी सदमा पहुंचा.वह मेरे उपर खास ख्याल रखते थे.दुआओं से नवाजते थे.मंझे पत्रकार के साथ बेहतरीन इंसान थे.उनका जाना बेहद दुःख की बात है.
 
लोक जनशक्ति पार्टी(रामविलास)बिहार प्रदेश अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष इमाम गजाली ने अशरफ अस्थानवी के निधन पर दुख जताते हुए कहा है कि पत्रकारिता का एक रौशन सितारा खो गया.उनकी लेखनी लोगों को प्रेरित करती थी.सकारात्मक सोच के पत्रकार थे.आज उनके जैसे सहाफियों की समाज में कमी है.राजद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रियाज अहमद ने अशरफ अस्थानवी के इंतकाल पर अफसोस का इजहार किया है.उन्होंने कहा कि उर्दू पत्रकारिता और उर्दू तहरीक आज एक जांबाज सहाफी से महरूम हो गया.

ईटीवी भारत उर्दू के तेजतर्रार पत्रकार आरिफ इकबाल ने कहा है कि बिहार की पत्रकारिता जगत में मरहूम अशरफ अस्थानवी साहब हमेशा अपनी बेबाकी,उत्तम विश्लेषण और बेहतरीन आलोचक की वजह से जाने जाते थे और जाने जाएंगे.आप का जाना उर्दू पत्रकारिता की सबसे बड़ी क्षति है.अशरफ अस्थानवी के निधन पर किशनगंज के सांसद और कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ मोहम्मद जावेद आजाद ने दुःख प्रकट करते हुए कहा है कि अस्थानवी साहब बेबाक पत्रकार थे.वह सकारात्मक सोच के सहाफी थे.उनके लिखने का मतलब होता था.उनके इंतेकाल से उर्दू सहाफत को गहरा धक्का पहुंचा है.आज उर्दू पत्रकारिता एक बेहतरीन पत्रकार से महरूम हो गया.

नवादा के जाने -माने समाजसेवी मसीह उद्दीन ने असरफ अस्थानवी साहब के निधन को पत्रकारिता जगत की अपूर्णीय क्षति बताया है.उन्होंने कहा कि वे अनुसंधान परक और निर्भीक पत्रकारिता के मजबूत स्तम्भ और कई पुस्तकों के लेखक थे तथा बिहार की अनेक घटनाओं पर उन्होंने बहुत बेबाकी से चर्चित रिपोर्टिंग की थी.बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों की कार्यवाही से संबंधित उनकी रिपोर्टिंग बहुत उम्दा होती थी. उर्दू अख्बारों को जीनत बख््शती थी.

 पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. शकील अहमद ने कहा है कि अशरफ अस्थानवी ने उर्दू पत्रकारिता को सींचने का काम किया.वह उर्दू के लिए जीते थे.हर वक्त उन्हें उर्दू की फिक्र लगी रहती थीं.पत्रकारिता जगत में उनकी बड़ी पहचान थी.पत्रकार के साथ एक अच्छे इंसान थे.रिश्तों को निभाते थे.सबसे जान पहचान रखते थे.उनके निधन से पूरे पत्रकारिता जगत को नुकसान हुआ है.जिसकी भरपाई फिलहाल मुमकिन नहीं है.

तस्दीक न्यूज पोर्टल के संपादक साजिद परवेज कहते हैं कि अशरफ अस्थानवी के इंतकाल की खबर शाम को मिली.जानकर स्तब्ध हूं.एक बेबाक उर्दू पत्रकार हमारे बीच नहीं रहे.उर्दू पत्रकारिता के लिए ये बड़ा नुकसान है.इमरान सगीर,सिमाब अख््तर,अकरम अली आदि पत्रकारों ने भी अशरफ अस्थानवी को बेहतर पत्रकार बताया और गहरे दुःख का इजहार किया ह.

उर्दू पत्रकारिता के जाने माने पत्रकार अशरफ अस्थानवी के निधन पर उपमुख्यमंत्री ने गहरा शोक एवं दुख व्यक्त किया है. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि उन्होंने उर्दू पत्रकारिता को नया आयाम दिया तथा उर्दू पत्रकारिता के विकास में उनके योगदान को सदा याद किया जाएगा.उनकी लेखनी बेबाक निर्भीक होती थी.वे जानदार ,शानदार पत्रकारिता करते थे.स्थानीय उर्दू समाचार पत्रों के साथ वे कई राष्ट्रीय स्तर के उर्दू समाचार पत्रों से जीवन के अंतिम दिनों तक जुड़े रहे.समाज के विभिन क्षेत्रों में उनकी गहरी पैठ थी.उनके निधन से उर्दू पत्रकारिता को गहरी क्षति हुई है.खुदा ए ताला उन्हें जन्नत ए फिरदौस अता करे.परिजनों एवं शुभचिंतकों को सबरे -जमील अता करे.
राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू  प्रसाद और पूर्व मुख्यमन्त्री  राबड़ी देवी ने भी अशरफ अस्थानवी के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है.