Culture

‘पटना से पाकिस्तान’ ने बदली भोजपुरी सिनेमा की दिशा, सीक्वल का बेसब्री से इंतजार

यूसुफ तहमी, दिल्ली

भोजपुरी फिल्मों का जलवा भारत में बरसों से कायम है, और इसका जिक्र बॉलीवुड में भी बखूबी देखने को मिला है. चाहे अमिताभ बच्चन की ‘डॉन’ का मशहूर गाना ‘खइके पान बनारसवाला’ हो या फिर दिलीप कुमार की क्लासिक फिल्म ‘गंगा जमना’. भोजपुरी का तड़का सिनेमा में लंबे समय से मौजूद है.

1963 की फिल्म ‘लागी नाहीं छूटे रामा’ का गाना आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है. ऐसे में भोजपुरी फिल्मों का महत्व समय के साथ लगातार बढ़ता गया है.भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री का असली विस्तार 1961 में आई फिल्म ‘गंगा जमुना’ से शुरू हुआ.

इस फिल्म ने भोजपुरी सिनेमा को एक नई पहचान दी. गाने ने दर्शकों के दिलों पर राज किया. इसके बाद 1979 में आई फिल्म ‘बिलम परदेसिया’ ने तो मानो भोजपुरी फिल्मों को पूरे देश में प्रसिद्ध कर दिया. मोहम्मद रफी का गाना ‘गोरकी पतरकी रे ‘ ने फिल्मी दुनिया में धूम मचा दी और सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए.

लेकिन पिछले एक दशक में भोजपुरी सिनेमा ने एक नया मोड़ लिया, जिसने इंडस्ट्री की दिशा और पहचान बदल दी. 2015 में ‘पटना से पाकिस्तान’ नामक फिल्म ने भोजपुरी फिल्मों में पाकिस्तान थीम का नया चलन शुरू किया. यह फिल्म न सिर्फ हिट साबित हुई, बल्कि इसने एक ट्रेंड की शुरुआत कर दी.

इसके बाद ‘ले आइब दुल्हनिया पाकिस्तान से’, ‘तिरंगा पाकिस्तान में’, ‘दुल्हनिया चाहें पाकिस्तान से’ और ‘इलाहाबाद से इस्लामाबाद’ जैसी फिल्मों की बाढ़ सी आ गई.भोजपुरी फिल्म समीक्षक कृष्ण कुमार पांडे बताते हैं कि पाकिस्तान से जुड़ी फिल्मों की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी.इनके टाइटल दर्शकों को खींचने में कामयाब रहे.

‘पाकिस्तान में जयश्री राम’, ‘भारत बनाम पाकिस्तान’, ‘मिशन पाकिस्तान’ जैसी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया. इन फिल्मों में देशभक्ति और भाईचारे का संदेश भी शामिल किया गया, जो दर्शकों को हंसाने और रुलाने दोनों में सफल रहा.

भोजपुरी फिल्मों की सबसे बड़ी खासियत है कि ये समाज से जुड़ी होती हैं. उसकी सच्चाई को साफगोई से पेश करती हैं. खासकर इन फिल्मों की भाषा और संवाद सीधे दर्शकों के दिलों तक पहुंचते हैं. इसी वजह से पाकिस्तान थीम वाली फिल्मों को दर्शकों से खासा प्यार मिला.

अब एक बार फिर भोजपुरिया दर्शक उत्साहित हैं. ‘पटना से पाकिस्तान’ का सीक्वल ‘पटना टू पाकिस्तान 2’ इस साल 20 दिसंबर को रिलीज होने जा रहा है. फिल्म के मुख्य अभिनेता दिनेश लाल यादव उर्फ ​​निरहुआ ने सोशल मीडिया पर इसकी घोषणा की. उनके प्रशंसक इस फिल्म का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

निरहुआ ने पहले ही इस फिल्म की रिलीज डेट शेयर कर दी है, और दर्शकों के बीच खासा उत्साह है.’पटना टू पाकिस्तान 2′ की रिलीज डेट ने भोजपुरी सिनेमा प्रेमियों में हलचल पैदा कर दी है.
इस सीक्वल से उम्मीद की जा रही है कि यह भी पहली फिल्म की तरह धमाल मचाएगी. भोजपुरी सिनेमा के इस जादू को और ऊंचाइयों तक ले जाएगी.

भोजपुरी फिल्मों की बढ़ती लोकप्रियता और उनके अनोखे टाइटल्स ने साबित कर दिया है कि यह इंडस्ट्री अब सिर्फ बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रही, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने पैर पसार रही है.

आमिर खान की फिल्म ‘पीके’ में खुद आमिर खान ने भोजपुरी भाषा का इस्तेमाल किया है.आज भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री 2000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की बताई जाती है. इसके कलाकार राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच रहे हैं, जिनमें रवि किशन, खसारी लाल, दिनेश लाल यादव आदि शामिल हैं जो किसी स्टार से कम नहीं. अभिनेत्रियों की भी एक लंबी लिस्ट है.

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस सिलसिले में पहली फिल्म ‘पटना से पाकिस्तान’ थी. गौरतलब है कि पटना भारत के बिहार राज्य की राजधानी है और भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री का गढ़ भी है. इसके अलावा गोरखपुर, कोसीनगर, मुजफ्फरपुर आदि शहरों में भी भोजपुरी फिल्में छोटे बजट में बनती हैं.

किसी को अंदाजा नहीं था कि फिल्म ‘पटना से पाकिस्तान’ इतनी हिट होगी. कम बजट की इस फिल्म ने अच्छी कमाई की. इसके बाद अगले साल ऐसी ही फिल्म ‘ले आइब दुल्हनिया से’ आई. ये फिल्म भी सुपरहिट साबित हुई.भोजपुरी फिल्म समीक्षक कृष्ण कुमार पांडे कहते हैं कि तब से पाकिस्तान आधारित फिल्मों में तेजी आई है.

भोजपुरी फिल्मों की पहचान भाषा और भाषा की चुटीली या सीधी-सादी प्रस्तुति है, जिसमें भद्दे इशारे और कामुक टिप्पणियां होती हैं जो दर्शकों के दिलों को गुदगुदाती हैं और वे एक फिल्म को बार-बार देखने जाते हैं.

आजतक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान पर बनी फिल्मों ने दर्शकों को खूब हंसाया और रुलाया. कई फिल्मों में भाईचारे का संदेश भी दिया गया. कहानी चाहे जो भी हो, ये फिल्में हिट साबित हुईं, क्योंकि फिल्म के टाइटल और कहानी में पाकिस्तान का जिक्र था.

इस फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि पाकिस्तान की थीम या टाइटल पर बनी सभी फिल्मों ने अच्छा बिजनेस किया. उनके मुताबिक पाकिस्तान के विषय पर बनी फिल्मों ने दर्शकों को निराश नहीं किया है. शायद इन फिल्मों के फिल्म निर्माताओं को पता है कि देशभक्ति और भाईचारे पर बनी फिल्मों की आलोचना की जाएगी.

भोजपुरी फिल्मों की विशेषता यह है कि वे जमीन से जुड़ी हुई हैं और साथ ही समाज के खुलेपन को भी चित्रित करती हैं.अमर अजाला ने एक रिपोर्ट में लिखा था कि मशहूर बॉलीवुड डायरेक्टर संजय लीला भंसाली की फिल्म बदमावत की टक्कर भोजपुरी फिल्म ‘पाकिस्तान में जयश्री राम’ से होगी.

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