इतिहास के ज़र्रे हुए रोशन : जामिया मिल्लिया में भारत की पहली महिला प्रेस फोटोग्राफर की दुर्लभ तस्वीरों की प्रदर्शनी
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,,नई दिल्ली
भारत की फोटोजर्नलिज़्म की दुनिया में एक प्रेरणादायक और ऐतिहासिक नाम श्रीमती होमाई व्यारावाला की दुर्लभ तस्वीरों की एक विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन 8 अप्रैल को जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के प्रेमचंद अभिलेखागार एवं साहित्यिक केंद्र (जेपीएएलसी) में हुआ। यह प्रदर्शनी, जो 30 अप्रैल 2025 तक चलेगी, भारतीय प्रेस फोटोग्राफी के स्वर्ण युग में झांकने का एक ऐतिहासिक अवसर प्रदान कर रही है।
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📸 शानदार उद्घाटन, ऐतिहासिक विरासत को नया जीवन
इस ऐतिहासिक प्रदर्शनी का उद्घाटन जामिया के कुलपति प्रोफेसर मजहर आसिफ ने किया। उद्घाटन समारोह में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और केंद्रों से आए छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया।
प्रो. आसिफ ने कहा,
“श्रीमती व्यारावाला के जीवन और कार्य से प्रेरणा लेना समय की ज़रूरत है। उनका कार्य सिर्फ फोटोग्राफी नहीं, बल्कि एक युग का दस्तावेज़ है।“

👩🏻🎓 होमाई व्यारावाला: एक साहसी महिला, एक नज़ीर
- जन्म: 1913, नवसारी, गुजरात, एक पारसी परिवार में
- पहली महिला प्रेस फोटोग्राफर का दर्जा
- करियर: 1930 के दशक से 1970 तक सक्रिय
- उन्हें पेशेवर फोटोग्राफी की दुनिया में अपने जीवनसाथी मानेकशॉ व्यारावाला के माध्यम से प्रवेश मिला।
🚫 उस दौर की सच्चाई:
महिलाओं को उस समय प्रेस या कैमरे से जुड़े पेशों में देखना असामान्य था। इसलिए उनके शुरुआती काम मानेकशॉ के नाम से प्रकाशित होते थे — जाम-ए-जमशेद, बॉम्बे क्रॉनिकल और इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में।
🇮🇳 ब्रिटिश भारत से लेकर आज़ाद भारत तक की तस्वीरें
1942 में जब दंपति दिल्ली आए और ब्रिटिश सूचना सेवा के लिए काम शुरू किया, तब से होमाई व्यारावाला की तस्वीरों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, राष्ट्र निर्माण और ऐतिहासिक घटनाओं को अमर किया।
🔹 प्रदर्शनी में शामिल कुछ यादगार तस्वीरें:
- इंडिया गेट के ऊपर से लिया गया दूसरे गणतंत्र दिवस का हवाई दृश्य
- महात्मा गांधी के अंतिम संस्कार का जुलूस
- गांधी जी और खान अब्दुल गफ्फार खान की ऐतिहासिक मुलाकात
- लाल बहादुर शास्त्री और डॉ. जाकिर हुसैन की संसद भवन तक जाती दुर्लभ तस्वीर
इन तस्वीरों में न सिर्फ ऐतिहासिक पल कैद हैं, बल्कि वक्त की नब्ज और संवेदना भी झलकती है।
🕯️ प्रसिद्धि से गुमनामी तक और फिर पुनर्जागरण
फोटोग्राफी से स्वैच्छिक संन्यास लेने के बाद होमाई व्यारावाला एकांतप्रिय हो गईं और धीरे-धीरे सार्वजनिक स्मृति से ओझल हो गईं।
लेकिन 1990 के दशक में एजेके मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर, जामिया मिल्लिया इस्लामिया की डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता और प्रोफेसर सबीना गाडिहोक ने महिला फोटोग्राफरों के इतिहास पर शोध करते हुए व्यारावाला को पुनः खोजा।
- प्रो. गाडिहोक ने 15 वर्षों के अथक शोध के बाद होमाई व्यारावाला की सचित्र जीवनी और उनका पूरा फोटोग्राफिक संग्रह सामने लाया।
इस प्रदर्शनी में दिखाई गई अधिकांश तस्वीरें और स्मृति वस्तुएं प्रो. गाडिहोक के निजी संग्रह से ली गई हैं।
🧭 प्रदर्शनी में क्या है खास?
- 40 वर्षों के फोटोग्राफिक करियर की प्रामाणिक तस्वीरों का संकलन
- महापुरुषों के अनदेखे लम्हों की झलक
- निर्देशित टूर छात्रों के लिए, जिसमें व्यारावाला की तकनीक, दृष्टिकोण और सामाजिक प्रभाव पर चर्चा होगी
- दृश्य व्याख्यान, जिनमें अभिलेखीय मूल्य पर प्रकाश डाला जाएगा

🎓 छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए प्रेरणा का केंद्र
यह प्रदर्शनी न केवल मीडिया और इतिहास के छात्रों के लिए एक समृद्ध शैक्षणिक संसाधन है, बल्कि यह महिलाओं की सशक्त भागीदारी की भी एक मिसाल है।
“यह प्रदर्शनी कैमरे से इतिहास लिखने वाली एक महिला की कहानी है — एक ऐसी कहानी जिसे हर पीढ़ी को जानना चाहिए।“
– प्रो. सबीना गाडिहोक
🏛️ कब और कहां देखें यह प्रदर्शनी?
- स्थान: प्रेमचंद अभिलेखागार एवं साहित्यिक केंद्र (जेपीएएलसी), जामिया मिल्लिया इस्लामिया
- समयसीमा: 8 अप्रैल से 30 अप्रैल 2025 तक
- प्रवेश: सभी छात्रों, शोधकर्ताओं और आम दर्शकों के लिए खुला