कुमार विश्वास और अमीष देवगन से लोगों ने पूछा, जब तैमूर के माता-पिता पीएम मोदी से मिल रहे थे तब यह मुद्दा क्यों नहीं उठाया ?
Table of Contents
मुस्लिम नाउ विशेष
भारत का संविधान हर नागरिक को समान अधिकार और स्वतंत्रता प्रदान करता है. इन अधिकारों में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजी मामलों में हस्तक्षेप न करने का सिद्धांत भी शामिल है. इसके बावजूद, कुछ लोग संविधान और लोकतंत्र की आड़ लेकर समाज में नफरत और भेदभाव फैलाने का काम कर रहे हैं. खासतौर पर, ये लोग ऐसे नामचीन व्यक्तियों को निशाना बनाते हैं जिनका संबंध मुसलमान और इस्लाम से है.
हाल ही में, इसी प्रवृत्ति के तहत, कुमार विश्वास और अमीष देवगन जैसे लोग चर्चाओं में आए हैं. दोनों की मौजूदा स्थिति यह है कि न उनकी लोकप्रियता है और न ही उनकी कथित “दुकानदारी” चल रही है. कुमार विश्वास, जो कभी अपनी शायरी के लिए जाने जाते थे, अब कथावाचन और कुकरी शो में हाथ आजमा रहे हैं. वहीं, अमीष देवगन एक ऐसे न्यूज़ चैनल के एंकर हैं, जिसे लोग देखना भी पसंद नहीं करते. इन दोनों ने सुर्खियों में आने के लिए एक नया तरीका अपनाया है: मुस्लिम समुदाय और उससे जुड़े विषयों पर विवाद खड़ा करना.
Who was #Taimur ❓
— Amish Devgan (@AMISHDEVGAN) January 4, 2025
शायद ही कोई होगा जो विदेशी आक्रमणकारी तैमूर लंग के आतंक के बारे में नहीं जानता होगा। कैसे उसने 15 दिनों में दिल्ली को तहस-नहस करके रख दिया। लाशों का अंबार लगा दिया और बहन-बेटियों की आबरू के साथ खेला। अब सोचिये ऐसे दरिंदे के नाम पर क्या कोई अपने बच्चे का नाम रख… pic.twitter.com/My3t6M0k6L
कुमार विश्वास का विवादित बयान
कुमार विश्वास, जो कभी आम आदमी पार्टी के सदस्य थे, पार्टी छोड़ने के बाद से ही निरंतर सुर्खियों में बने रहने की कोशिश कर रहे हैं.अब उन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी सोनाक्षी सिन्हा की शादी और उनके मुस्लिम पति पर अप्रत्यक्ष रूप से टिप्पणी कर सुर्खियां बटोरने का प्रयास किया है. यही नहीं, उन्होंने सैफ अली खान और करीना कपूर के बेटे तैमूर अली खान को भी निशाना बनाया.
कुमार विश्वास का कहना था कि “तैमूर लंग जैसे विदेशी आक्रमणकारी के नाम पर कोई अपने बच्चे का नाम कैसे रख सकता है.” उनके इस बयान ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी. लोगों ने इसे सीधे-सीधे नफरत फैलाने की कोशिश करार दिया.
तैमूर इस दुनिया का बहादुर शासक था। अब तू चाहे तो बलात्कारी आसाराम, गुरमीत सिंह, नित्यानंद जैसे बाबाओं के नाम पर रख ले। वैसे तेरा गुल्लू नाम बड़ा प्यारा है। जानता है तेरा यह नाम मैंने ही रखा है। तू बिस्किट खा, मालिक की नौकरी बजा, जीभ से चाट-चाट कर जीभ जख्मी कर। तैमूर पर कोई फर्क…
— Wasim Akram Tyagi (@WasimAkramTyagi) January 4, 2025
अमीष देवगन का समर्थन और विवाद
अमीष देवगन ने कुमार विश्वास का समर्थन करते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, “शायद ही कोई होगा जो तैमूर लंग के आतंक के बारे में न जानता हो. उसने 15 दिनों में दिल्ली को तहस-नहस कर दिया था. अब सोचिए, कोई अपने बच्चे का नाम तैमूर कैसे रख सकता है.” उनके इस बयान पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं आईं.
Chullu ,dub kar na mar jaiyo kahi pic.twitter.com/S1bnvSsET1
— kulrajan wadhwa (@KulrajanWadhwa) January 4, 2025
वरिष्ठ पत्रकार वसीम अकरम त्यागी ने जवाब में लिखा, “तैमूर इस दुनिया का एक बहादुर शासक था. तुम चाहो तो आसाराम, गुरमीत सिंह, या नित्यानंद जैसे बाबाओं के नाम पर अपने बच्चों का नाम रख सकते हो. वैसे तुम्हारा गुल्लू नाम बड़ा प्यारा है..”
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
कुमार विश्वास और अमीष देवगन के इन बयानों पर सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हुई. कुलराजन वाधवा ने कुमार विश्वास का एक वीडियो पोस्ट कर उन्हें तंज कसते हुए कहा, “चुल्लू भर पानी में डूब मरो.” एक अन्य यूजर ने लिखा, “तैमूर के माता-पिता हाल ही में प्रधानमंत्री से मिले थे. तब आपने यह सवाल क्यों नहीं उठाया कि प्रधानमंत्री ऐसे लोगों से कैसे मिल सकते हैं जिन्होंने अपने बेटे का नाम तैमूर रखा है?”
मणिपुर मुद्दे पर सवाल
कई लोगों ने कुमार विश्वास और अमीष देवगन को मणिपुर हिंसा जैसे गंभीर मुद्दों पर सरकार से सवाल पूछने की चुनौती दी. लोगों का कहना है कि ये दोनों केवल नफरत फैलाने वाले विषयों पर ही बयान देते हैं, जबकि असली मुद्दों पर चुप्पी साधे रहते हैं.
मणिपुर मणिपुर मणिपुर मणिपुर मणिपुर मणिपुर मणिपुर मणिपुर मणिपुर मणिपुर मणिपुर मणिपुर मणिपुर मणिपुर मणिपुर मणिपुर pic.twitter.com/bkuQJMNMKt
— S Prasad (@SPrasad21703411) January 4, 2025
कुमार विश्वास और अमीष देवगन की विश्वसनीयता पर सवाल
कुमार विश्वास और अमीष देवगन की यह रणनीति उन्हें और अधिक आलोचनाओं का शिकार बना रही है. कुमार विश्वास, जो कभी एक शायर के रूप में सम्मानित थे, अब अपनी विश्वसनीयता खोते जा रहे हैं. दूसरी ओर, अमीष देवगन, जो पत्रकारिता के नाम पर विवादित बयान देने के लिए जाने जाते हैं, भी अपनी छवि को और खराब कर रहे हैं.
तैमूर के मम्मी – पापा हाल में ही प्रधानमंत्री से मिलने गए या उन्हें बुलाया गया था । तैमूर का पूरा ननिहाल वहाँ मौजूद था। तुमने तब क्यों नहीं सवाल उठाया कि पीएम ऐसे लोगों से कैसे मिल सकते हैं जिन्होंने अपने बेटे का नाम तैमूर रखा है ?
— deepu naseer (@deepunasir) January 4, 2025
यह घटना इस बात का उदाहरण है कि कैसे कुछ लोग ध्यान आकर्षित करने के लिए समाज में नफरत और भेदभाव फैलाने का काम करते हैं. न केवल यह संविधान के मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि यह समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश भी है. ऐसे लोगों को यह समझने की जरूरत है कि नफरत की दुकानदारी लंबे समय तक नहीं चल सकती. जनता अब इनकी चालों को समझने लगी है और सोशल मीडिया पर इन्हें जवाब देने में पीछे नहीं रहती.