पेशावर : दिलीप कुमार और राज कपूर के पैतृक घरों का नवीनीकरण, 20 करोड़ की लागत से संग्रहालयों में होगा तब्दील
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, पेशावर
दिग्गज बॉलीवुड अभिनेता दिलीप कुमार और राज कपूर के पेशावर स्थित पैतृक घरों को संग्रहालयों में बदलने के लिए पाकिस्तान की खैबर पख्तूनख्वा प्रांतीय सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाया है. इन घरों के नवीनीकरण और पुनर्निर्माण का कार्य विश्व बैंक के फंडिंग से किया जाएगा, जिसकी कुल लागत 20 करोड़ रुपये आंकी गई है. यह कार्य आगामी चार महीनों में पूरा कर लिया जाएगा.
मालिकों से खरीद कर बनेगा संग्रहालय
पेशावर जिला आयुक्त कैप्टन (सेवानिवृत्त) खालिद महमूद ने इन दोनों ऐतिहासिक इमारतों को उनके वर्तमान मालिकों से खरीदने की प्रक्रिया पूरी कर ली है. राज कपूर के पैतृक घर “कपूर हवेली” की कीमत 1.50 करोड़ रुपये और दिलीप कुमार के घर की कीमत 80 लाख रुपये तय की गई थी.
हालांकि, मालिकों ने इस प्रक्रिया में अधिक कीमत की मांग की थी. कपूर हवेली के मालिक अली कादिर ने 20 करोड़ रुपये और दिलीप कुमार के घर के मालिक गुल रहमान मोहम्मद ने 3.50 करोड़ रुपये की बाजार दर पर इसे बेचने की मांग की थी.
प्रांतीय सरकार ने पेशावर के डिप्टी कमिश्नर को 2.3 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं, ताकि इन दोनों धरोहरों का अधिग्रहण कर उन्हें संग्रहालयों में बदला जा सके.
ऐतिहासिक महत्व और संरक्षित करने की योजना
राज कपूर का पैतृक घर, जिसे “कपूर हवेली” के नाम से जाना जाता है, पेशावर के प्रसिद्ध किस्सा ख्वानी बाजार में स्थित है. इसे उनके दादा दीवान बशेश्वरनाथ कपूर ने 1918-1922 के बीच बनवाया था. राज कपूर और उनके चाचा त्रिलोक कपूर का जन्म इसी इमारत में हुआ था. इस इमारत को प्रांतीय सरकार ने राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर दिया है.
वहीं, दिलीप कुमार का 100 साल से भी अधिक पुराना पुश्तैनी घर भी इसी इलाके में स्थित है. यह घर जर्जर अवस्था में है . इसे 2014 में तत्कालीन नवाज़ शरीफ़ सरकार ने राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया था.
पुनर्निर्माण के बाद खुलेगा जनता के लिए
दोनों घरों का नवीनीकरण उनके मूल स्वरूप में किया जाएगा. नवीनीकरण के बाद इन इमारतों में दिलीप कुमार और राज कपूर के जीवन और फिल्मी सफर से जुड़ी वस्तुएं प्रदर्शित की जाएंगी. इसे जनता के लिए खोल दिया जाएगा, ताकि लोग इन महान अभिनेताओं की विरासत और उनके योगदान को करीब से समझ सकें.
वाणिज्यिक प्लाजा बनने से बचाया गया
पिछले वर्षों में इन ऐतिहासिक इमारतों को तोड़कर वाणिज्यिक प्लाज़ा बनाने के कई प्रयास हुए. हालांकि, पुरातत्व विभाग ने उनके ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए ऐसे सभी प्रयासों को रोक दिया और इन धरोहरों को संरक्षित करने का निर्णय लिया.
सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की पहल
पुरातत्व विभाग के निदेशक अब्दुस समद ने कहा, “यह कदम दिलीप कुमार और राज कपूर के भारतीय सिनेमा में योगदान के प्रति सम्मान और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है. नवीनीकरण के बाद ये संग्रहालय फिल्म प्रेमियों और इतिहास के प्रति उत्साही लोगों के लिए प्रेरणा का केंद्र बनेंगे.”
यह पहल न केवल ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण की दिशा में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह भारत और पाकिस्तान की सांस्कृतिक साझेदारी की अनूठी झलक भी प्रस्तुत करती है.