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सुप्रीम कोर्ट में याचिकाः ‘व्हाई आई किल्ड गांधी‘ पर लगे रोक, इस से बढ़ेगी नफरत, बापू की छवि होगी धूमिल

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

ओटीटी प्लेटफाॅर्म पर विवादास्पद फिल्म दिखाने का रिवाज सा बन गया है. बगैर किसी फिल्म के विवाद में आए चलती ही नहीं. अब महात्मा गांधी को लेकर ओटीटी पर एक ऐसी फिल्म रिलीज होने जा रही है, जिसके बारे में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया है कि इसे दिखाने से देश में हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत की खाई और बढ़ेगी. कुछ कट्टरवादी संगठनों एवं कई प्रदेश सरकारों ने उल्टे-सीधे फैसले लेकर देश का ताना-बाना पहले ही हिला रखा है. अभी यूपी के विधानसभा चुनाव में यह सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है.

बहरहाल,सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर फिल्म ‘व्हाई आई किल्ड गांधी‘ पर रोक लगाने की मांग की गई है, जो महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को विभिन्न ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली है.

याचिकाकर्ता सिकंदर बहल ने सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से विवादित फिल्म की सभी सामग्री (कंटेंट) को हटाने की मांग करते हुए किसी भी ओटीटी प्लेटफॉर्म या किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर किसी भी तरह से फिल्म या इसकी किसी भी सामग्री के प्रदर्शन या प्रकाशन पर रोक लगाने की मांग की है. उन्होंने अधिवक्ता अनुज भंडारी के माध्यम से याचिका दायर की है.

सांसद अमोल कोल्हे

याचिका में कहा गया है, यदि उक्त फिल्म की रिलीज और प्रदर्शन को नहीं रोका गया, तो यह राष्ट्रपिता की छवि को अपूरणीय रूप से खराब करेगा और सार्वजनिक अशांति, घृणा और वैमनस्य का कारण बनेगा.इसमें ओटीटी प्लेटफार्मों के सामग्री विनियमन की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है.

याचिकाकर्ता के अनुसार, फिल्म के दो मिनट बीस सेकेंड के ट्रेलर में, भारत के विभाजन और पाकिस्तान में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार के लिए महात्मा गांधी को दोषी ठहराने का प्रयास किया गया है. इस तरह महात्मा की हत्या को सही ठहराने का प्रयास किया गया है.

पिछले साल, शीर्ष अदालत ने नोट किया था कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फिल्मों को अनियंत्रित और अनस्क्रीन देखना एक मुद्दा है. शीर्ष अदालत ने कहा, मौजूदा मामले के तथ्यों में से एक मुद्दा उन प्लेटफार्मों के नियंत्रण और विनियमन से संबंधित है, जिन पर वेब सीरीज जारी की जाती है.

हाल ही में फिल्म को लेकर एक बड़े विवाद ने जन्म ले लिया है और ऑल इंडिया सिने वर्कर्स एसोसिएशन (एआईसीडब्ल्यूए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर फिल्म पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है. आरोप लगाया जा रहा है कि यह फिल्म गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमामंडन करना चाहती है. अगर यह रिलीज हुई तो यह देश के लोगों को अंदर तक झकझोर देगी.

फिल्म में गोडसे की भूमिका में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सांसद अमोल कोल्हे हैं, जो पिछले कुछ दिनों से सत्ताधारी महा विकास अघाड़ी महागठबंधन के सहयोगी दलों शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच तनाव का कारण बने हुए हैं.

वैसे भी यह फिल्म केंद्र सरकार के लिए चुनौती है. एक तरफ जब सरकार महात्मा गांधी के विचारों को आगे बढ़ाने की बात कर रही है, वहीं गांधी के हत्यारे गोडसे को महामंडित करने के लिए फिल्म दिखाई जाए तो यह सरकार के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं.