बदलते अरब की तस्वीर, बुजुर्ग महिला सलवा अल-ओमानी ने 70 साल में किया स्नातक
मुस्लिम नाउ ब्यूरो,मक्का
वक्त के साथ अरब देशों में भी भारी बदलाव देखने को मिल रहा है. इसकी ताजा और बेहतर मिसाल हैं 70 साल की महिला सलवा अल-ओमानी. उन्होंने 70 साल की उम्र में अल-ओमानी दम्मम में इमाम अब्दुलरहमान बिन फैसल विश्वविद्यालय से कला स्नातक की डिग्री हासिल कर सबसे उम्रदराज महिला होने का रिकाॅर्ड बनाया है.
4.75-5 के अंक के साथ, अल-ओमानी ने अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया. उन्हें विश्वविद्यालय के 44वें स्नातक समारोह में उत्कृष्टता पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया. इस कार्यक्रम में राजकुमारी अबीर बिन्त फैसल बिन तुर्की खास तौर से मौजूद थीं.
अल-ओमानी ने 50 साल के अंतराल के बाद अपनी शिक्षा के प्रति दिलचस्पी दिखाई और यह साबित किया कि दृढ़ संकल्प वालों के लिए कुछ भी असंभव नहीं है.उन्होंने अरब न्यूज से बातचीत में कहा, मैं अपनी भावनाएं बयान नहीं कर सकती. अब मैंने लंबे समय से देख रही सपने को पूरा कर लिया ह.
उन्होंने कहा कि उन्हें शुभचिंतकों से बड़े फोन आ रहे हैं. उन्होंने अपनी सफलता के लिए अल्लाह का शुक्रिया अदा किया.जिस क्षण मुझे राजकुमारी अबीर ने अपना ग्रेजुएशन गाउन पहनाया और 50 साल पहले बाधित हुई यात्रा को पूरा करने के लिए खुशी की भावनाओं से अभिभूत होकर सम्मानित किया, वह अनमोल है.
बता दें कि अल-ओमानी ने 1971 में 18 साल की उम्र में हाई स्कूल छोड़ दिया था. उसके बाद उनका परिवार बसरा, इराक चला गया. रसायन विज्ञान में प्रमुख के लिए उन्हें बसरा विश्वविद्यालय में स्वीकार किया गया. हालाँकि, “पारिवारिक कारणों से, मैंने अपने चचेरे भाई के मुझसे शादी करने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया.इसलिए मैं उस समय अपनी यूनिवर्सिटी की पढ़ाई पूरी नहीं कर सकी. बाद में, परिवार सऊदी अरब के साम्राज्य में बसने के लिए कुवैत चला गया.
अल-ओमानी के दो बेटे और तीन बेटियां हैं जिन्होंने डॉक्टर और इंजीनियर के रूप में स्नातक किया है. वह 1980 के दशक से दम्मम में रह रही हैं.
जब वह अपनी शिक्षा फिर से शुरू करने में सक्षम हुईं, तो उनके खोए हुए हाई स्कूल डिप्लोमा दस्तावेज ने समस्या खड़ी कर दी. तब उन्हांेने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बारे में अपने हाई स्कूल के वरिष्ठ निदेशक को बताई. उन्हांेने बताया कि वो लंबे ब्रेक के बाद फिर से कक्षाएं लेनी चाहती हैं. इसके लिए वो पूर्वी क्षेत्र में महिला शिक्षकों से मिलीं. मुझे अपनी शैक्षिक क्षमता पर बहुत भरोसा था, यह देखते हुए सेभी ने दिलचस्पी दिखाई.
वह बताती हैं कि यह घटना नौ साल पहले की है. अल-ओमानी के तमाम प्रयासों से उन्हंे अपनी पढ़ाई पूरी करने की मंजूरी मिल गई. हालाँकि, उन्हांेने इंटरमीडिएट द्वितीय श्रेणी से पास किया. आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए शिक्षा विभाग की परीक्षा में बैठना पड़ा. बाद में एक माध्यमिक विद्यालय में तृतीय इंटरमीडिएट ग्रेड प्रमाणपत्र प्राप्त किया.
वह बताती हैं कि उस वर्ष स्थिति शर्मनाक थी. यह देखते हुए कि मैं अपने पोते-पोतियों की उम्र की लड़कियों के साथ परीक्षा दे रही थी. उनके चेहरे पर भ्रम की स्पष्ट झलक थी.
इसके बावजूद आसपास के हालातांे ने उनके दृढ़ संकल्प को प्रभावित नहीं किया. वह कहती हैं-मैंने धीरज दिखाते हुए आगे बढ़ने का फैसला किया. मैंने वास्तव में अपना प्रमाणपत्र प्राप्त किया और सीनियर हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के लिए आगे बढ़ गई. मैंने कक्षाओं में नियमित रूप से भाग लिया और अपना पास का प्रमाणपत्र के लिए उत्कृष्ट प्रदर्शन किया.
अल-ओमानी ने अपनी विश्वविद्यालय शिक्षा की तैयारी के लिए जनरल एप्टीट्यूड टेस्ट में 82 और एसएएटी में 83 अंक हासिल किए.
वो बताती हैं-मैंने इमाम अब्दुलरहमान बिन फैसल विश्वविद्यालय में कला संकाय, समाजशास्त्र विभाग में दाखिला लिया. विज्ञान में हाई स्कूल डिप्लोमा होने के बावजूद मुझे साहित्य विभाग में स्वीकार कर लिया गया.मुझे 2019 में समाजशास्त्र विभाग में दाखिला मिल गया और उनका सपना सच हो गया.
अल-ओमानी ने कहा कि ष्दृढ़ संकल्प के साथ, असंभव शब्द मौजूद नहीं है. आशा नहीं खोनी चाहिए और यह कि यह पहले से कहीं बेहतर है.दृढ़ संकल्प और दृढ़ता सफलता की कुंजी है. जो चीज हममें से किसी को जीवन में किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने से अलग करती है, वह है खुद पर विश्वास करना और अपनी क्षमताओं में विश्वास रखना.