अलवर में पुलिस बर्बरता, जमाअत-ए-इस्लामी हिंद का कड़ा रुख, पीड़ित परिवार को दिया न्याय का आश्वासन
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली
राजस्थान के अलवर जिले के कोलानी (तेलिया बास, रघुनाथगढ़) में पुलिस की बर्बरता से नवजात शिशु की मौत के मामले ने देशभर में आक्रोश फैला दिया है। इस गंभीर घटना पर संज्ञान लेते हुए जमाअत-ए-इस्लामी हिंद का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल पीड़ित परिवार से मिलने और उन्हें न्याय दिलाने के लिए आगे आया।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर और राष्ट्रीय सचिव मौलाना शफी मदनी ने किया। उन्होंने गांव का दौरा कर शोकाकुल परिवार से मिलकर संवेदना व्यक्त की और हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। इस दौरान उन्होंने गांव के बुजुर्गों और स्थानीय नेताओं से भी बातचीत कर पूरी घटना की विस्तृत जानकारी ली।
क्या है पूरा मामला?
घटना 2 मार्च की सुबह की है, जब नोगावान पुलिस स्टेशन की टीम ने साइबर अपराध की जांच के नाम पर कोलानी गांव में छापा मारा। इस दौरान पुलिस ने न केवल बिना किसी वारंट के कार्रवाई की, बल्कि महिला अधिकारियों की अनुपस्थिति में घरों में घुसकर तोड़फोड़ की। इस अमानवीय कार्रवाई के दौरान पुलिसकर्मियों के पैर के नीचे आने से एक नवजात शिशु की कुचलकर मौत हो गई। इस दर्दनाक घटना से पूरा गांव शोक में डूब गया और पुलिस की बर्बरता के खिलाफ आक्रोश बढ़ गया।
पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने का संकल्प
प्रतिनिधिमंडल ने पीड़ित परिवार से मिलकर उनकी संवेदनाएं साझा कीं और हर संभव कानूनी सहायता का वादा किया। इस दौरान राजस्थान के पूर्व मंत्री नसरुद्दीन ने भी प्रतिनिधिमंडल को घटना की विस्तार से जानकारी दी और न्याय की लड़ाई में सहयोग की अपील की।
सभा को संबोधित करते हुए प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने कहा, “हमारा अंतिम रक्षक अल्लाह है। हमें अन्याय के खिलाफ डटे रहना चाहिए। इतिहास गवाह है कि संघर्ष में थकान और समझौता उत्पीड़कों को और अधिक अत्याचार करने के लिए प्रेरित करता है। हमें संयम, एकता और आंतरिक सामाजिक सुधारों पर जोर देना होगा।” उन्होंने समुदाय से अपने आस्था के संबंध को और मजबूत करने का आह्वान किया।
पुलिस अत्याचार की निंदा, दोषियों पर कार्रवाई की मांग
मौलाना शफी मदनी ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा, “जमाअत-ए-इस्लामी हिंद नवजात शिशु की निर्मम मौत को लेकर गहरी चिंता व्यक्त करती है। यह न केवल एक परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए त्रासदी है। हम इस मामले में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग करते हैं और पीड़ित परिवार के साथ हर स्तर पर खड़े हैं।”
उन्होंने सरकार और प्रशासन से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न दोहराई जाएं और दोषियों को कड़ी सजा मिले।
समुदाय की एकजुटता और न्याय के लिए संघर्ष जारी रहेगा
सभा के दौरान एडवोकेट लियाकत, मौलाना ताहिर और ओबैदुर रहमान भी मौजूद रहे। उन्होंने पीड़ित परिवार और प्रदर्शनकारी ग्रामीणों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा कि जब तक न्याय नहीं मिलता, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।
गांव के लोगों ने भी इस घटना के खिलाफ एकजुटता दिखाई और न्याय की मांग को लेकर आंदोलन जारी रखने का संकल्प लिया। ग्रामीणों का कहना है कि इस घटना ने पूरे समुदाय को झकझोर दिया है और वे इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
पुलिस प्रशासन पर उठ रहे सवाल
इस घटना के बाद पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बिना वारंट के छापा मारना और महिला अधिकारियों की अनुपस्थिति में घरों में घुसकर कार्रवाई करना कानून के खिलाफ है। इसके बावजूद पुलिस ने बर्बरता दिखाई, जिसका परिणाम एक मासूम की जान जाने के रूप में सामने आया।
इस मामले को लेकर सामाजिक और मानवाधिकार संगठनों की ओर से भी कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। सरकार और प्रशासन से मांग की जा रही है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों को सख्त सजा दी जाए।
निष्कर्ष
अलवर में हुई इस दर्दनाक घटना ने देशभर के संवेदनशील लोगों को झकझोर दिया है। पुलिस की क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जमाअत-ए-इस्लामी हिंद समेत कई सामाजिक संगठन आगे आए हैं। पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की लड़ाई अब राष्ट्रीय स्तर पर लड़ी जाएगी।
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने स्पष्ट कर दिया है कि यह मामला केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज और न्याय व्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन और सरकार इस मामले में कितनी तत्परता दिखाती है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।