News

खैबर पख्तूनख्वा में पोलियो उन्मूलन मुहिम: सुरक्षा के साए में नई उम्मीदों की शुरुआत

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, इस्लामाबाद

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पोलियो उन्मूलन अभियान की शुरुआत से पहले एक बार फिर से धारा 144 लागू कर दी गई है. यह अभियान 16 दिसंबर से शुरू होगा, जिसका उद्देश्य पोलियो जैसी घातक बीमारी को जड़ से खत्म करना है.

देश के इतिहास में यह कदम एक चुनौतीपूर्ण लेकिन आवश्यक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. पोलियो उन्मूलन अब भी पाकिस्तान के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बना हुआ है.

सुरक्षा के लिए धारा 144 लागू

खैबर पख्तूनख्वा के बन्नू जिले में 7 दिनों के लिए धारा 144 लागू कर दी गई है. यह कदम पोलियो अभियान को सुरक्षित और प्रभावी बनाने के लिए उठाया गया है. उपायुक्त अब्दुल हमीद ने रविवार को इसकी घोषणा करते हुए बताया कि इस अवधि के दौरान कई सख्त प्रतिबंध लगाए गए हैं.

इन प्रतिबंधों में आग्नेयास्त्र ले जाने पर पूरी तरह से रोक, दो व्यक्तियों का एक साथ मोटरसाइकिल पर सवारी करना, और वाहनों में रंगीन खिड़कियों का उपयोग प्रतिबंधित करना शामिल है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि अभियान सुचारू रूप से चले, जिला प्रशासन ने चेतावनी दी है कि इन प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को सख्त कानूनी परिणाम भुगतने होंगे.

टीकाकरण के खिलाफ चुनौतियां

  • टीकाकरण से इनकार: अब भी कई परिवार और समुदाय धार्मिक या सांस्कृतिक कारणों से टीकाकरण कराने से इनकार करते हैं.
  • लक्षित आबादी तक पहुंचने में बाधा: दुर्गम क्षेत्रों और अशिक्षित समुदायों तक पहुंच बनाना एक बड़ी चुनौती है.
  • गलत उंगली के निशान: कुछ मामलों में टीकाकरण का रिकॉर्ड गलत दर्ज होने की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे अभियान की सफलता पर सवाल खड़े होते हैं.
  • सहयोग की कमी: स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों और जिला प्रशासन के बीच समन्वय की कमी भी इस समस्या को बढ़ाती है.

पोलियो के ताजा आंकड़े

राष्ट्रीय आपातकालीन संचालन केंद्र (EOC) के अनुसार, 2024 में अब तक 63 पोलियो के मामले दर्ज किए गए हैं. इन मामलों में चार नए केस पिछले हफ्ते रिपोर्ट किए गए, जिनमें डेरा इस्माइल खान, टैंक, जैकोबाबाद, और सुक्कुर से मामले सामने आए हैं.

  • बलूचिस्तान में: 26 मामले
  • खैबर पख्तूनख्वा में: 18 मामले
  • सिंध में: 17 मामले
  • पंजाब और इस्लामाबाद में: 1-1 मामला

पोलियो: एक घातक चुनौती

पोलियो एक अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है, जो विशेष रूप से 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। जिन बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, वे इस बीमारी का शिकार हो जाते हैं.यह बीमारी अक्सर विकलांगता का कारण बनती है और इसके रोकथाम के लिए नियमित टीकाकरण जरूरी है.

EOC की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में पोलियो से प्रभावित 60 प्रतिशत बच्चों को नियमित टीकाकरण नहीं मिला। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि देश में अभी भी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में भारी कमी है.

आगे की रणनीति

पोलियो उन्मूलन को प्राथमिकता देते हुए स्वास्थ्य अधिकारियों ने पोलियो उन्मूलन पहल (PEI) और टीकाकरण पर विस्तारित कार्यक्रम (EPI) के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है. इस समिति का उद्देश्य उन बाधाओं को दूर करना है, जो टीकाकरण कार्यक्रम को कमजोर कर रही हैं.

एक उम्मीद भरा प्रयास

पोलियो उन्मूलन का यह अभियान केवल एक स्वास्थ्य अभियान नहीं, बल्कि एक ऐसा प्रयास है, जो पाकिस्तान को एक सुरक्षित भविष्य देने की दिशा में बढ़ा रहा है. यह हर बच्चे को जीवन का अधिकार और बीमारी से मुक्त भविष्य देने की लड़ाई है.

हालांकि, इस राह में चुनौतियां बहुत बड़ी हैं, लेकिन जिला प्रशासन, स्वास्थ्य अधिकारियों और पोलियो कार्यकर्ताओं की अथक मेहनत और जनता के सहयोग से इस बीमारी पर काबू पाने की उम्मीद की जा रही है..

16 दिसंबर से शुरू हो रहा यह अभियान एक बड़ा कदम है, जो यह साबित करता है कि लाख मुश्किलों के बावजूद, मानवता की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास किया जा सकता है. यह केवल पाकिस्तान के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा बन सकता है.