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वक्फ संशोधन विधेयक पर सियासी भूचाल: मुस्लिम संगठनों ने सेक्युलर पार्टियों से किया किनारा

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली

मुसलमानों के वोट से सत्ता तक पहुंचने वाली तथाकथित सेक्युलर पार्टियों के लिए वक्फ संशोधन विधेयक अब मुसीबत बनता जा रहा है। मुस्लिम संगठनों और इस्लामिक विद्वानों ने अब ऐसी पार्टियों से दूरी बनानी शुरू कर दी है, जिसकी झलक इफ्तार पार्टियों के बहिष्कार में साफ देखी जा रही है।

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इफ्तार पार्टियों के बहिष्कार से सियासी हलचल

अचानक मुसलमानों के इन सेक्युलर दलों और नेताओं से मुंह मोड़ने का नतीजा यह हुआ है कि राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। बिहार में सत्ता के करीब रहने वाले उपेंद्र कुशवाहा और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की प्रतिक्रिया इसका स्पष्ट संकेत देती है। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आयोजित इफ्तार दावत का मुस्लिम नेताओं और इस्लामिक विद्वानों ने विरोध किया, जिससे यह मामला और गरमा गया।

बिहार वक्फ बोर्ड द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। इसमें शामिल होने वाले नेताओं को लेकर भी मुस्लिम समाज में चर्चा शुरू हो गई है कि ऐसे नेताओं के साथ क्या रुख अपनाया जाए।

चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद (JUIH) द्वारा लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की इफ्तार पार्टी के बहिष्कार के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई। वहीं, बिहार में उपेंद्र कुशवाहा ने भी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह रवैया उचित नहीं है।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख अरशद मदनी ने शनिवार को घोषणा की थी कि विरोध के प्रतीक के रूप में उनकी संस्था नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान जैसे नेताओं की ओर से आयोजित इफ्तार, ईद मिलन और अन्य ऐसे आयोजनों का बहिष्कार करेगी।

मदनी का आरोप: सेक्युलर नेता वक्फ विधेयक पर चुप क्यों?

अरशद मदनी ने इन नेताओं पर मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अन्याय पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ बिल पर इन नेताओं का अस्पष्ट रुख उनके दोहरे चरित्र को उजागर करता है।

AIMPLB की चेतावनी: वक्फ बिल के विरोध में खुलकर आएं तथाकथित सेक्युलर नेता

अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस बहिष्कार अभियान को और तेज करते हुए कांग्रेस, नीतीश कुमार, चिराग पासवान और चंद्रबाबू नायडू जैसे नेताओं से स्पष्ट रुख अपनाने की मांग की है। AIMPLB ने इन नेताओं से अपने आंदोलन में शामिल होने का आग्रह किया है। यदि ये नेता वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ नहीं आते हैं, तो मुस्लिम रहनुमा उनके खिलाफ और कड़ा रुख अख्तियार कर सकते हैं।

क्या AIMPLB का आंदोलन बदलेगा सियासी समीकरण?

अब यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि तीन तलाक, मदरसा, बाबरी मस्जिद विवाद, समान नागरिक संहिता (UCC), शादी की उम्र, और सामाजिक बहिष्कार जैसे मुद्दों पर चुप्पी साधने वाले तथाकथित सेक्युलर दल वक्फ संशोधन विधेयक पर किस हद तक जाते हैं

मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि यह विधेयक मस्जिदों, मदरसों और मुस्लिम अधिकारों पर सरकारी नियंत्रण स्थापित करने की साजिश है। ऐसे में मुस्लिम नेतृत्व के तेवर और कड़े हो सकते हैं।

राजनीतिक दलों पर बढ़ता दबाव

AIMPLB के राष्ट्रव्यापी आंदोलन और इफ्तार बहिष्कार के चलते राजनीतिक दलों पर भारी दबाव बन रहा है। सेक्युलर छवि का दावा करने वाले नेताओं के लिए यह परीक्षा की घड़ी है—क्या वे वक्फ विधेयक के खिलाफ खुलकर मुस्लिम समुदाय के साथ खड़े होंगे, या फिर सत्ता की राजनीति में व्यस्त रहेंगे?

काबिल ए गौर

वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ AIMPLB के कड़े रुख और इफ्तार पार्टियों के बहिष्कार ने सियासत में नया मोड़ ला दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या मुस्लिम संगठन अपने विरोध को और आक्रामक बनाएंगे, और क्या तथाकथित सेक्युलर दल उनके समर्थन में खुलकर सामने आएंगे या नहीं।

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