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ऊंची ब्याज दरों का शिकार हो रहे हैं पाकिस्तान जैसे गरीब देशः यूएन

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, इस्लामाबाद

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गरीब देशों के नागरिकों के कठिन जीवन के लिए दुनिया के अमीर देशों को जिम्मेदार ठहराया है.उन्होंने कहा कि अमीर देश और बड़ी ऊर्जा कंपनियां ब्याज दरें बढ़ाकर गरीब देशों का शिकार कर रही हैं.

बता दें कि अभी पड़ोसी पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे कई गरीब देश चीन सहित दूसरे अमीर देशों के कर्ज तले बुरी तरह दबे हुए हैं.समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक शनिवार को कतर की राजधानी दोहा में एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने कहा कि दुनिया में 40 से ज्यादा देश ऐसे हैं जो घोर गरीबी से जूझ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि अमीर देशों को प्रति वर्ष 500 अरब डॉलर के साथ दूसरों की मदद करनी चाहिए, क्योंकि ये देश उच्च ब्याज दरों से पूंजी बाजार से बाहर हो रहे हैं और बड़ी ऊर्जा कंपनियां रिकॉर्ड मुनाफा कमा रही हैं.एंटोनियो गुटेरेस के अनुसार, यह एक दुष्चक्र है जिसमें गरीब देशों की अर्थव्यवस्था फंसी हुई है और जो इन देशों में स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार के प्रयासों को बाधित करती है.

दुनिया के 46 सबसे कम विकसित देशों का शिखर आम तौर पर हर 10 साल में होता है, लेकिन 2021 के बाद से कोरोनोवायरस महामारी के इसमें तेजी आई है.दो सबसे गरीब देश, अफगानिस्तान और म्यांमार, दोहा में बैठक में भाग नहीं ले रहे हैं, क्योंकि उनकी सरकारें संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं हैं.

मौजूदा बैठक में दुनिया की किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था के नेताओं ने हिस्सा नहीं लिया.शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि गरीब देशों का आर्थिक विकास ऐसे समय में एक कठिन दौर है, जब संसाधनों की कमी है. कर्ज बढ़ रहा है और विकसित देशों को वैश्विक महामारी से निपटने में अनुचित प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ रहा है.

सबसे गरीब देशों ने लंबे समय से शिकायत की है कि उन्हें कोविड वैक्सीन का उचित हिस्सा नहीं मिला. अमीर देशों ने यूरोप और उत्तरी अमेरिका पर ध्यान केंद्रित किया.संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने कहा कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन से पीड़ित देशों के लिए कुछ नहीं किया गया और दी जाने वाली सहायता नगण्य है.

ईंधन से जुड़ी कंपनियां भारी मुनाफा कमा रही हैं, जबकि दुनिया में करोड़ों लोगों को दो वक्त की रोटी भी नहीं मिलती है.गुटेरेस ने कहा कि डिजिटल क्रांति में सबसे गरीब देशों को पीछे छोड़ दिया जा रहा है और यूक्रेन में युद्ध ने खाद्य और ईंधन की कीमतों को बढ़ा दिया है.