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Population Control Bill बिहार चुनाव से पहले ‘बड़े धमाके’ की आहट

आपदा में अवसर की चाह रखने वाले नरेंद्र मोदी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ‘बड़ा धमाका’ कर सकते हैंं। अगस्त के अंत या सितंबर के पहले सप्ताह में प्रस्तावित मानसून सत्र् में सरकार की ओर से किसी ऐसे बिल लाने या घोषणा की उम्मीद है, जिसका न केवल बिहार चुनाव पर प्रभाव पड़ सकता है, इसके दूरगामी परिणाम से अगले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी भी लाभ उठा सकती है।

 सियासी मान्यता है कि उत्तर प्रदेश एवं बिहार में सरकार बनाने वाली पार्टी ही केंद्र में सत्तारुढ़ होती है। इस लिहाज से देखें तो बिहार की मौजूदा नीतिश कुमार सरकार से लोग संतुष्ट नहीं। विशेष कर कोरोना नियंत्रण, प्रवासी मज़दूरों की व्यवस्था, भ्रष्टाचार तथा बिगड़ी कानून-व्यवथा को लेकर मतदाता खासे नाराज हैं। ऐसे में अपेक्षित बिहार चुनाव परिणाम नहीं आने पर इसका दुष्प्रभाव केंद्र की भाजपा सरकार को भी झेलना पड़ सकता है। चूंकि यह बिहार सरकार में पार्टनर है, इसलिए सत्ता में बने रहने एवं मतदाताओं की नाराज़गी दूर करने की उसकी भी इतनी ही जिम्मेदार बनती है जितना कि जनता दल यूनाइटेड की। इसलिए भी चुनाव से पहले मोदी की तरकश से किसी दूरगामी परिणाम देने वाले तीर निकलने की आशा की जा रही है।
   सवाल है कि मोदी ऐसा क्या करने वाले हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव में वरदान साबित हो ? तीन तलाक, सीएए, अनुच्छेद 370 एवं आतंकवाद रोकने के नाम पर कई तरह के कानून बनाकर मोदी अपने मतदाताओं को पहले ही खुश कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम मंदिर पर आया फैसला भी मोदी की कूटनीतिक जीत मानी जाती है। ये तमाम बड़े फैसले किसी न किसी चुनाव के आस-पास आए हैं, जिसका उसे लाभ मिला। बावजूद इसके नरेंद्र मोदी की तरकश में अब दो ही अहम तीर रह गए हैं। एक, जनसंख्या नियंत्रण कानून और दूसरा, कॉमन सिविल कोड। चूंकि संशोधित नागरिकता कानून सीएए पर मचे देशव्यापी बवाल सरकार ने हाल में झेले हैं। इस लिए कॉमन सिविल कोड पर कानून लाने से उठने वाले बवंडर को कोरोना काल में झेलना उसके लिए संभव नहीं। ऐसे में मोदी की तरकश में एक ही अहम तीर जनसंख्या नियंत्रण कानून बचता है। इस मुददे पर कांग्रेस सहित दूसरी पार्टियों का रवैया ढुलमुल है। विपक्ष को चित करने एवं वाहवाही बटोरने के लिए बिहार चुनाव से बेहतर प्लेटफॉर्म मोदी को कोई और नहीं मिलने वाला। वैसे भी, राफेल हेलीकॉप्टर सौदा एवं कोरोना प्रबंधन के प्रयासों को सरकार हाईप देने में  असफल रही है।

By 2050, India to have world’s largest populations of Hindus and Muslims

हिंदुओं में भय का माहौल बनाने की साजिश

How many Assembly seats are there in Bihar?
बिहार विधानसभा के 243 सीटों के लिए इस वर्ष अक्तूबर में चुनाव डयू हैं। जनता दल यूनाइटेड की 69 एवं बीजेपी की 54 सहित 130 सीटों के साथ नीतिश कुमार सरकार चला रहे हैं। बीजेपी के सुशील मोदी नायब मुख्यमंत्री के तौर पर उनके सारथी हैं। बिहार में सरकार बनाने के लिए 130 सीटें चाहिए। लालू प्रसाद की राष्ट्रीय जनता दल 80 सीटें जीतकर बिहार में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। पिछला विधानसभा चुनाव नीतिश कुमार ने राजद संग लड़ा था। वह मुख्यमंत्री एवं राजद के तेजस्वी यादव उप-मुख्यमंत्री बने थे। बाद में पलटी मार कर नीतिश भाजपा की नैया में सवार हो गए। इस बार बिना किसी बड़े चमत्कार के जदयू-भाजपा सरकार की वापसी मुश्किल  है। ऐसे में जनसंख्या नियंत्रण कानून जैसी किसी बड़ी घोषणा को लेकर कयास शुरू हो गया है। इस मुद्दे में हिंदू-मुस्लिम  पुट भी है। ऐसे मुद्दों के परिणाम हमेशा भाजपा के पक्ष में गए हैं। हिंदूवादी संगठन इससे संबंधित शोध एवं अध्ययनों के हवाले से एक पक्ष में खौफ का माहौल बनाता रहा है कि 2050 तक मुसलमानों की जनसंख्या इतनी बढ़ जाएगी कि उसके बाद उनकी कौम के लोगों का भारत का प्रधानमंत्री बनना असंभव हो जाएगा। जबकि स्वतंत्रता के बाद से अब तक उसके ही समुदाय के लोग प्रधानमंत्री बनते रहे हैं। ऐसे ही अध्ययनों में एक है 2004 में अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में स्थापित पीईडब्ल्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट ‘वर्ल्डस लार्जेस्ट पॉपुलेशन ऑफ हिंदूज एवं मुस्लिम्स’ (By 2050, India to have world’s largest populations of Hindus and Muslims)। इसमें सेंटर के संस्थापक कॉनराड हैकेट ने दावा किया है कि 2050 तक हिंदुओं की जनसंख्या का  ग्राफ गिरने की ओर बढ़ता रहेगा, जबकि मुसलमानों का उपर की ओर। विश्व की 94 प्रतिशत हिंदू जनसंख्या भारत में रहती है। 2050 में 33 प्रतिशत की बढ़ौतरी के साथ यह 1.3 बिलियन हो जाएगी और मुसलमान 76 प्रतिशत की बढ़ौतरी के साथ 311 मिलियन। मुसलमानों में बच्चे पैदा करने की क्षमता और स्थितियां दूसरे समुदाय से बेहतर हैं। ऐसा इस रिपोर्ट में दावा किया गया है। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 79.80 प्रतिशत हिंदू, 14.23 मुसलमान, 2.30 ईसाई व 1.72 प्रतिशत सिख सहित दूसरे समुदाय के लोग हैं। न्यूज पोर्ट ‘डाउन टू अर्थ’ की एक रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग के हवाले से कहा गया है कि 2030 तक भारत की जनसंख्या 1.3 एवं 2050 तक बढ़कर 1.64 बिलियन हो जाएगी। इस लिहाज से चीन की जनसंख्या 2030 में भारत से कम 1.46 बिलियन रहेगी। अभी दुनिया की 16 प्रतिशत आबादी भारत मंे है एवं विश्व का मात्र चार प्रति जल स्रोत ही इसके पास है।

By 2050, India to have world’s largest populations of Hindus and Muslims

भाजपा-कांग्रेस को सूट करता है मुददा
जनसंख्या नियंत्रण के हिमातियों की दलील है कि निरंतर बढ़ती आबादी से पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधन कम पड़ने लगे हैं। भविष्य में भी यही हाल रहा तो आने वाली पीढ़ी को भारी मुसीबतें झेलनी होंगी। तब प्राकृतिक संपदा के नाम पर कुछ नहीं बचेगा। कुछ ऐसी ही दलीलों के साथ पिछले वर्ष जुलाई में आरएसएस के पक्षधर और भाजपा के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा संसद में जनसंख्या विनियम विधेयक निजी तौर पर पेश कर चुके हैं। कांग्रेस के युवा नेता जितिन प्रसाद भी इसके पक्षधर हैं। पिछले साल मई में दिल्ली भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दिल्ली हाई कोर्ट में इसको लेकर याचिका दाखिल की थी।इस याचिका पर सरकार को 14 अगस्त तक सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करना था। इसी तरह 2018 में 125 से अधिक सांसदों ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर जनसंख्या नियंत्रण पर कोई ठोस नीति लाने का आग्रह किया था। जबकि 2016 में भाजपा सांसद प्रह्रलाद सिंह पटेल भी संसद में  निजी बिल एवं उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ऑनलाइन पोल करा चुके हैं। यह मुद्दा कांग्रेस एवं भारतीय जनता पार्टी को समान रूप से सूट करता है। इसे यूं समझ सकते हैं कि आजादी से  अब तक इसपर सांसदों ने 35 बिल पेश किए जिनमें 15 काँग्रेसी हैं। इस मुद्दे पर वाह-वाही बटोरने के लिए दोनों पार्टियों में होड़ सी है। दो वर्ष पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘जनसंख्या विस्फोट’ पर चिंता प्रकट करने के कुछ दिनों बाद ही असम की बीजेपी सरकार ने आनन-फानन में ‘जनसंख्या एवं महिला सशक्तिकरण नीति’ लागू कर दी। इसके तहत जनवरी 2021 से दो से अधिक बच्चों के पिता को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। कमोबेश इसी तरह का कानून अभी 12 राज्यों में है। बिहार चुनाव में वाहवाही बटोरने के लिए नरेंद्र मोदी इस तरह की घोषणा कर सकते हैं। सरकार के दो बड़े मास्टर माइंड मोदी-अमित शाह की रहस्यमयी खामोशी को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है।
                                                                                        मलिक असगर हाशमी

नोटः नीचे दिया गया वीडिया देखें। जनसंख्या नियंत्रण कानून कितना विवादास्पद साबित होने वाला है।

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संपादक

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