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सऊदी अरब और अमेरिका में ऐतिहासिक परमाणु समझौते की तैयारी, जल्द हो सकता है हस्ताक्षर

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,रियाद

सऊदी अरब और अमेरिका के बीच ऊर्जा सहयोग और असैन्य परमाणु तकनीक के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक समझौते की तैयारी चल रही है। अमेरिकी ऊर्जा सचिव क्रिस राइट ने रविवार को रियाद में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि दोनों देश एक प्रारंभिक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जिसकी औपचारिक घोषणा वर्ष के अंत तक की जा सकती है।

सऊदी अरब में वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा उद्योग के विकास पर जोर

राइट ने कहा कि यह सहयोग सऊदी अरब में एक वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा उद्योग के निर्माण पर केंद्रित होगा, जिसका विकास इसी वर्ष शुरू होने की उम्मीद है। उन्होंने स्पष्ट किया, “सऊदी अरब के साथ निश्चित रूप से 123 परमाणु समझौता होगा।” इस समझौते के तहत वाशिंगटन और रियाद के बीच दीर्घकालिक तकनीकी और ऊर्जा साझेदारी का नया अध्याय शुरू होगा।

अमेरिका और सऊदी अरब मिलकर बनाएंगे ऊर्जा का भविष्य

राइट ने बताया कि यह साझेदारी केवल परमाणु ऊर्जा तक सीमित नहीं होगी, बल्कि सौर ऊर्जा, औद्योगिक विकास, खनिज संसाधनों के खनन और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भी सहयोग किया जाएगा। उन्होंने सऊदी अरब के उत्कृष्ट सौर संसाधनों और ऊर्जा विकास में दृष्टिकोण की तारीफ की।

ऊर्जा सहयोग के साथ व्यापार और निवेश पर भी फोकस

द्विपक्षीय संबंधों पर टिप्पणी करते हुए, ऊर्जा सचिव ने कहा कि सऊदी अरब अमेरिका में निवेश करने वाले प्रमुख देशों में से एक बन रहा है, जिससे दोनों देशों को लाभ होगा। उन्होंने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुलअज़ीज़ बिन सलमान द्वारा दिए गए गरमजोशी भरे स्वागत के लिए आभार भी व्यक्त किया।

राइट ने बताया कि सऊदी अधिकारियों के साथ हुई वार्ताओं में ऊर्जा क्षेत्र की चुनौतियों, औद्योगिक उत्पादन, आर्थिक सहयोग और मानव जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने पर चर्चा हुई।

निष्पक्ष व्यापार की वकालत, टैरिफ को बताया रणनीतिक कदम

अमेरिकी टैरिफ पर बात करते हुए, राइट ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आर्थिक एजेंडे का समर्थन किया और कहा कि टैरिफ अमेरिकी निवेश और घरेलू निर्माण को प्रोत्साहित करने का एक तरीका है। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य है निष्पक्ष और पारस्परिक व्यापार को बढ़ावा देना, न कि प्रतिबंधात्मक व्यापार को थोपना।”

राइट ने यह भी बताया कि अमेरिका कई ऊर्जा-गहन उद्योगों को फिर से देश में लाने की कोशिश कर रहा है, जो पिछले दो दशकों में विदेशों में चले गए थे। उनका मानना है कि इससे अमेरिकियों को बेहतर नौकरी के अवसर और वस्तुओं की कम लागत मिल सकेगी।

ऊर्जा कीमतों पर ट्रंप प्रशासन की नीति को बताया प्रभावशाली

तेल कीमतों और ऊर्जा लागत पर चर्चा करते हुए, उन्होंने विश्वास जताया कि अगर ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बने, तो आने वाले चार वर्षों में ऊर्जा की औसत कीमतें वर्तमान प्रशासन की तुलना में कम होंगी। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी नागरिक ऊर्जा लागतों में हो रही बढ़ोतरी से निराश हैं, और अब व्यावहारिक व टिकाऊ ऊर्जा विकास की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।


काकिल ए गौर:

अमेरिका और सऊदी अरब के बीच संभावित परमाणु समझौता ना केवल ऊर्जा क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार खोल सकता है, बल्कि यह भविष्य की वैश्विक ऊर्जा रणनीति में भी एक अहम भूमिका निभा सकता है। यह सहयोग दोनों देशों के बीच निवेश, तकनीक और व्यापार के क्षेत्रों में नए युग की शुरुआत कर सकता है।

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