CultureMuslim WorldTOP STORIES

जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रोफेसर खालिद जावेद साहित्य के जेसीबी पुरस्कार से सम्मानित

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

जामिया मिलिया इस्लामिया में उर्दू विभाग के प्रोफेसर खालिद जावेद को उनके प्रसिद्ध उपन्यास नेमत खाना, द पैराडाइज ऑफ फूड के अंग्रेजी अनुवाद के लिए जेसीबी साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया. जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली में अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर बरान फारूकी द्वारा निमतखाना का उर्दू से अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है. खालिद जावेद को शनिवार को साहित्य श्रेणी में पांचवें जेसीबी पुरस्कार से नवाजा गया.

डेव डिस्कोर्स डॉट कॉम के मुताबिक, खालिद जावेद को ट्रॉफी के साथ 25 लाख रुपए की इनामी राशि दी गई. वहीं, बरान फारूकी को भी पुरस्कार के लिए 10 लाख रुपये अतिरिक्त मिले. पुरस्कार ग्रहण करते समय जावेद ने कहा कि उन्हें कभी उम्मीद नहीं थी कि उनके उपन्यास को यह पुरस्कार मिलेगा. हम हर दिन और अपनी दुनिया के विभिन्न कोनों में खुशी की तलाश करते हैं, लेकिन आज मुझे असली खुशी महसूस हो रही है. मैंने यह उपन्यास 2014 में लिखा थी. आज इसे पहचान मिली है. खालिद जावेद ने कहा कि बरान फारूकी के अपार कौशल के कारण उपन्यास को पुरस्कार के लिए मान्यता मिली.

उल्लेखनीय है कि विजेता का चयन पांच न्यायाधीशों के एक पैनल द्वारा किया गया, जिसमें पत्रकार और संपादक एएस पन्नीरसिल्वन, लेखक अमिताभ बागची, लेखक और शिक्षाविद् राखी बलराम, अनुवादक और इतिहासकार जय देविका और लेखक जेनिस प्रीत शामिल थे. साहित्य के लिए जेसीबी पुरस्कार 2018 में शुरू किया गया एक भारतीय साहित्यिक पुरस्कार है. अंग्रेजी में काम करने वाले भारतीय लेखक या भारतीय लेखक द्वारा अनुवादित कथा साहित्य के उत्कृष्ट कार्य के लिए इसे 2,500,000 रुपये का पुरस्कार दिया जाता है.

दिल्ली के डॉ. जाकिर हुसैन कॉलेज के प्रोफेसर जहीर रहमती ने लिखा है कि प्रोफेसर खालिद जावेद साहब जिंदाबाद, जेसीबी अवार्ड ने वर्तमान युग में उर्दू भाषा और उर्दू उपन्यास लेखन की महानता की परंपरा को मजबूती दी है. फख्र उर्दू खालिद जावेद की इस उपलब्धि पर आम सभ्यता के अग्रदूतों को बधाई.

यह उपन्यास मूल रूप से उर्दू में 2014 में नेमतखाना शीर्षक से प्रकाशित हुआ था. यह प्रतिष्ठित जेसीबी पुरस्कार के लिए चुना जाने वाला पहला उर्दू उपन्यास है. द पैराडाइज ऑफ फूड पचास वर्षों की अवधि में एक संयुक्त मध्यवर्गीय मुस्लिम परिवार की कहानी प्रस्तुत करता है, जहां उपन्यासकार अपने घर और बाहरी दुनिया में अपने लिए जगह पाता है, और उसी संघर्ष को लगातार प्रस्तुत करता रहा है.