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हज को लेकर अल्पसंख्यक मंत्रालय के फैसले के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में जनहित याचिका

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

मोख्तार अब्बास नकवी जब से अल्पसंख्यक मंत्रालय से हटाए क्या गए हैं मंत्रालय के हाल के कई फैसलों ने मुसलमानों को परेशानी में डाला है. अल्पसंख्य मंत्रालय की बजट में कटौती और कई स्काॅलरशिप बंद करने के बाद इसके एक अन्य फैसले से मुसलमाना पशोपेश में हैं.

हज 2023 को लेकर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के एक फैसले के विरूद्ध दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर कर चुनौती दी गई है. मंत्रालय द्वारा इस वर्ष हज अधिकारियों और हज सहायकों के रूप में केवल केंद्रीय पुलिस बल के कर्मचारियों को सऊदी अरब भेजने के फैसले का याचिका में विरोध किया गया है.

याचिकाकर्ता ने कहा कि कोर्ट में अपील अनुच्छेद 226 के तहत की गई है, जिसमें केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को 20 मार्च, 2023 को जारी किए गए कार्यालय ज्ञापन में संशोधन करने का निर्देश देने की मांग की गई है, ताकि सभी को हाजियों की सेवा का अवसर मिल सके.

इस बार केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के मुस्लिम कर्मचारी, अधिकारी और सहायक के रूप में हज यात्रा पर नहीं भेजा जा रहा है. याचिका में इसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताया गया है और इसे असंवैधानिक करार दिया गया है.वर्तमान याचिका इस आधार पर दायर की गई है कि 20 मार्च, 2023 के मंत्रालय के कार्यालय ज्ञापन में केंद्र या राज्य सरकार, केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासनिक कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति के लिए पात्र नहीं दिया गया है.

कहा गया कि पहले भारत सरकार द्वारा पुरुष और मुस्लिम समुदाय की महिला सदस्यों को भारत के महावाणिज्य दूतावास, जेद्दा, सऊदी अरब में अस्थायी आधार पर प्रतिनियुक्ति के लिए विभिन्न सरकारी विभागों के कर्मचारी को हज यात्रियों के समन्वयक (प्रशासन), सहायक हज अधिकारी (एएचओ) और हज में सहायता प्रदान करने के लिए सहायक (एचए) के तौर पर भेजता था.

न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की खंडपीठ के समक्ष 5 अप्रैल को इस जनहित याचिका पर सुनवाई होगी.याचिकाकर्ता आमिर जावेद की ओर से अधिवक्ता असलम अहमद और अधिवक्ता रईस अहमद ने याचिका दायर की है.

अपने मीडिया बयान में अधिवक्ता असलम अहमद ने कहा, अन्य राज्यों और विभागों में कार्यरत मुस्लिम कर्मचारियों को इस बार हज 2023 की अवधि के लिए प्रतिनियुक्ति टीम में सेवा देने से प्रतिबंधित कर दिया गया है.पीआईएल याचिकाकर्ता आमिर जावेद ने 23 मार्च, 2023 को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री को संबोधित एक विज्ञप्ति में मंत्रालय से अपील की थी कि वह विवादित कार्यालय ज्ञापन-आदेश में संशोधन करे और सभी राज्यो,केंद्र शासित प्रदेशों और विभागों के कर्मचारियों को इस उद्देश्य के लिए अनुमति दे.

इस संबंध में मंत्रालय से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.याचिका में आगे कहा गया है, आक्षेपित कार्यालय ज्ञापन,आदेश के संचालन से सरकारी कर्मचारियों में भेदभाव पैदा होगा.इस संबंध में दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य, दिल्ली उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रईस अहमद ने कहा, यदि सभी राज्यों से कर्मचारियों का चयन नहीं किया गया, तो हज यात्रियों को हज यात्रा अवधि के दौरान भाषाई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. भारत के विभिन्न राज्यों से लोग हज करने जाते है. वे सभी अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू नहीं जानते. कई हाजी क्षेत्रीय राज्यों की भाषाएं बोलते हैं. ऐसे में यह पता लगाना मुश्किल है कि ये क्षेत्रीय भाषा बोलने वाले हाजी कैसे होंगे .उन्होंने कहा, वास्तव में, हज समिति और जेद्दा में भारत के महावाणिज्य दूतावास को भी इस भाषाई समस्या के साथ असुविधा का सामना करना पड़ेगा, जिसका भारत से जाने वाले लाखों हज यात्रियों पर भारी प्रभाव पड़ेगा.