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अर्चना मकवाना को स्वर्ण मंदिर में योग करने से रोकने पर कट्टरवादी मुसलमानों को बना रहे निशाना

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

कुछ सियासी और कट्टरवादी संगठनांे ने अपनी नाकामी का ठिकरा मुसलमानों के सिर फोड़ने की आदत बना ली है. 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान देख चुके हैं. कैसे एक सियासी दल दावे से कहीं अधिक कम सीटें मिलती देखकर मुसलमानों के खिलाफ दुष्प्रचार में लग गया था.

अब कट्टरवादी सिखों के पवित्र स्थल स्वर्ण मंदिर में अर्चना मकवाना नाम की एक हिंदू महिला को योग करने से रोकने पर इसका ठिकरा मुसलमानों के सिर पर फोड़ रहे हैं.सबकी अपनी-अपनी आस्था है. यदि कोई धर्मावलंबी किसी अन्य धर्म या संस्कृति को नहीं अपनाना चाहता तो भारत के संविधान के अनुसार, इसके लिए जोर-जबर्दती नहीं की जा सकती.

सिखों का एक वर्ग यदि योग से दूरी बनाए रखना चाहता है, उसके खिलाफ अनर्गल प्रचार करने का किसी को हक नहीं. पहले मुस्लिम भी योग से दूरी बनाए हुए थे. उन्हंे अब समझ आ गया है कि ऐसा करना उनके स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है तो उन्हांेने भी योग करना शुरू कर दिया है. यहां तक कि तमाम मुस्लिम देश भी स्वस्थ्य रहने की इस कला को अपना रहे हैं. स्थिति यह है कि इस बार योग दिवस पर लखनउ की एक मस्जिद परिसर में इसका आयोजन किया गया.

इस दिशा में प्रयास करते हुए सिखांे को भी योग के करीब लाने की बजाए, कट्टरवादी उन्हें ‘खालिस्तानी’ बता रहे हैं.

2024 के लोकसभा चुनाव में एक पार्टी का आंख मंूदकर स्पोर्ट करने वाले मिस्टर सिन्हा नामक एक एक्स हैंडल द्वारा अर्चना मकवाना को स्वर्ण मंदिर में योग करने से सिखों के रोकने पर उन्हें न केवल खालिस्तान से जोड़ा गया. बेवजह इसमें मुसलमानों को भी घसीटने की कोशिश की गई.

मिस्टर सिन्हा नामक इस एक्स हैंडल ने सोशल मीडिया में शेयर किया-‘‘स्वर्ण मंदिर परिसर में योग प्रतिबंधित है.
यहा मुसलमानों द्वारा वहां नमाज अदा करने का एक वीडियो है.तो नमाज स्वीकार्य है?और योग अस्वीकार्य है?
एसजीपीसी खुलेआम हिंदुओं के प्रति नफरत को बढ़ावा दे रही है और आईएसआई के एजेंडे पर काम कर रही है… वे खालिस्तान आंदोलन को भी खुलेआम बढ़ावा दे रहे हैं. ’’

इसी सुर में कई और कट्टरपंथियों ने ट्विट किया है. एक ने तो ट्विट कर आरोप लगाया है-‘‘अर्चना मकवाना को स्वर्ण मंदिर में योग करने के लिए सिखों द्वारा अपमानजनक संदेश और कॉल मिल रहे हैं.इसमें हिंदुआंे को ललकारते हुए कहा गया है-‘‘हिंदुओं से बस एक सवालः आप लाखों हिंदू मंदिरों, ज्योतिर्लिंगों और शक्तिपीठों में क्यों नहीं जाते? धर्मनिरपेक्ष दिखने के लिए मस्जिदों और गुरुद्वारों में जाना बंद करें!

हालांकि, इस मामले में कुछ लोग सोशल मीडिया पर समझदारी दिखा रहे हैं. ऐसे ही लोगों में एक हैं स्टैजिक थिंकर सोनम महाजन. उन्हांेने अपने एक्स हैंडल पर लिखा-‘मैं गुरप्रीत बरार जी से पूरी तरह सहमत हूँ.हिंदुओं को सिख भावनाओं का सम्मान करना सीखना चाहिए और उनके पवित्र तीर्थस्थलों पर जाकर उन्हें अपवित्र करने से बचना चाहिए. सिखों को बस रहने दें.

जम्मू, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बहुत सारे खूबसूरत मंदिर हैं. उनमें जाएँ और उदारता से दान करना न भूलें,अपने और अपने परिवार के लिए चीजों को जटिल क्यों बनाएँ?इसे आसान रखें. आखिरकार, आपसे दूरी चाहने वालों को अकेला छोड़ देने से ज्यादा सम्मान की कोई बात नहीं है. सम्मानजनक दूरी बनाए रखते हुए सह-अस्तित्व में रहना बिल्कुल संभव है. ‘‘

दरअसल, एक वर्ग सांप्रदायिकता का जहर घोल कर देश का माहौल बिगाड़ाना चाहता है. ऐसे लोगांे को न केवल रोकने की जरूरत है, इनके ‘नरेटिव’ को ध्वस्त करने के लिए समझदार लोगांे को भी आगे आना होगा.