Culture

Rahat Indori प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निधन पर क्यों नहीं जताया शोक !

ह जितने भारत में मशहूर थे, उससे कम दीवाने विदेशों में नहीं थे 

प्रधानमंत्री नरेंद मोदी के कट्टर आलोचक एवं प्रख्यात शायर राहत इंदौरी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। एक दिन पहले कोरोना संक्रमण के कारण उन्हें इंदौर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके निधन पर साहित्य जगत मर्माहत है। आम अवाम सहित देश के लगभग सभी क्षेत्रों की मशहूर हस्तियों ने इस घटना पर अफसोस प्रकट किया है। उनमें मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरीखे कई नेता भी शामिल हैं। मगर बॉलीवुड एक्टर ऋषि कपूर एवं इमरान खान के कोरोना से मौत पर अफसोस जताने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खबर लिखने तक दुनिया में उर्दू शायरी से भारत का रूतबा बुलंद करने वाले इस शायर के निधन पर एक शब्द नहीं कहा। यहां तक कि उनके दोनों ट्वीटर हैंडल पर इस बारे में एक शब्द नहीं है।

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   पिछले लगभग तीन-चार वर्षों से उर्दू शायर राहत इंदौरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम-काज से असंतुष्ट  थे, इसलिए मुशायरे के लगभग हर मंच से खुलकर सरकार की आलोचना करते थे। सोशल मीडिया पर ऐसी कई सामग्रियां अभी भी मौजूद हैं। पिछले वर्ष संशोधित नागरिकता कानून को लेकर होने वाले आंदोलनों में मोदी के खिलाफ उनके कई चर्चित शेर खूब पढ़े गए। सीएए, एनसीआर के विरोध में इंदौर के बड़वाली चौक पर आयोजित एक सभा में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कस्ते हुए कहा था-‘‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दरख्वास्त करना चाहता हूं कि वह संविधान पढ़ नहीं पाए हैं तो किसी पढ़े-खिले आदमी को बुला लें और उसे पढ़ावाकर संविधान को समझें।’’

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मोदी पर तल्ख होती शायरी

इस समय इतनी बेबाकी से राहत इंदौरी के अलावा उर्दू का कोई और शायर प्रधानमंत्री की आलोचना नहीं कर रहा था। इसके कारण उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं, जिसका जिक्र वह कई बार मुशायरे और कवि सम्मेलनों के मंच से कर चुके थे। केरल की एक जन सभा में एक नेता ने उनके कुछ शेर उद्धरित करते हुए उन्हें जेहादी तक कहा, जिसके जवाब में उन्होंने यह चर्चित शेर लिखा-‘‘ मैं जब मर जाउं तो मेरी अलग पहचान लिख देना, लहू से मेरी पेशानी पर हिंदुस्तान लिख देना।’’हाल के दिनों में उनकी शायरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कुछ ज्यादा तल्ख हो गई थी। उनके शेर को सुनकर समझ जाएंगे कि वह मोदी के काम-काज से कितने ज्यादा असंतुष्ट थे। इस क्रम में उनकी तकरीबन तीस साल पुरानी एक गजल इन दिनों खूब सुनी-पढ़ी जा रही थी-‘‘ सभी का खून शामिल है इस मिट्टी में, तेरे बाप का हिंदुस्तान थोड़े ही है।’’ उर्दू में पीएचडी राहत इंदौरी ने 40 से अधिक फिल्मों में गाने भी लिखे हैं। अभी उन जैसा शेयर-ओ-शायरी करने वाला कोई और नहीं। उनके कहने के अंदाज के लोग दिवाने थे। वह जितने भारत में मशहूर थे, उससे कम दीवाने विदेशों में नहीं थे।

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संपादक

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