Rahul Gandhi के ऐलान से सीएए के विरोध में बड़े आंदोलन के संकेत
केंद्र की मोदी सरकार के लिए लगता है एक और बड़ी समस्या इंतजार कर रही है। किसान आंदोलन के चलते बुरी तरह उलझी सरकार को निकट भविष्य मंे संशोधित नागरिकता कानून यानी सीएए को लेकर दोबारा बड़े आंदोलन से दो-चार होना पड़ सकता है। असम की जनसभा में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसके संकेत दिए हैं।
राहुल गांधी ने रविवार को एक जनसभा में ऐलान किया कि सीएए किसी भी हालत में देश में लागू नहीं होने दिया जाएगा।
तकरीबन एक वर्ष पहले सीएए कानून के विरोध में तीन महीने तक चले आंदोलन से कांग्रेस ने एक तरह से दूरी बनाई हुई थी। आंदोलन का समर्थन तो था, पर किसी बड़े मंच से कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इसकी मुखालाफत से बचता रहा था।
अब राहुल गांधी ने इसके विरोध में खुला ऐलान-ए-जंग किया है। कोरोना के चलते सीसीए विरोधी आंदोलन एक तरह से समाप्त कर दिया गया था। किसान आंदोलन की शुरूआत में इसकी सुगबुगाहट दिखी थी। फिर सरगर्मी ठंडी पड़ गई थी।
पश्चिम बंगाल एवं असम में इस वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने देश में वैक्सीनेशन का काम मुक्कल होने तक सीएए कानून लागू नहीं होने की बात कही है। इस हिसाब से देखा जाए तो देश में पूरी तरह वैक्सीनेशन का काम डेढ़ साल बाद ही पूरा हो पाएगा। यानी अगले साल-सवाल साल तक देश में संशोधित नागरिकता कानून लागू नहीं होगा। इस कानून को कैसे अमल में लाया जाए, अभी यह काम भी पूरा नहीं हुआ है। कायदे से इसे 31 दिसंबर 2020 तक पूरा कर लिया जाना चाहिए था।
इन तमाम बातों के मददेनजर उम्मीद की जा रही थी कि कम से कम अगले एक साल तक सीएए का जिन बोतल में बंद रहेगा। मगर असम की जनसभा में इसके विरोध में बगावत के सुर उठाकर राहुल गांधी ने जता दिया कि सियासी तौर इसी बहाने फिर बवंडर खड़ा करने की तैयारी है। यानी किसान आंदोलन से परेशान केंद्र सरकार अभी उबर भी नहीं पाई है कि उसे सीएए के विरोध में आंदोलन पार्ट-दो का सामाना करना पड़ सकता है।
अंग्रेजी के चर्चित अखबार ‘द हिंदू’ के पूर्व प्रधान संपादक एन राम ने भी सीएए आंदोलन शुरू करने के समर्थन में एक लेख लिखा है, जिसे सोशल मीडिया पर शेयर कर आंदोलन का माहौल तैयार करने की कोशिश चल रही है।