राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023: बीजेपी बागी यूनुस जीते, वसुंधरा मुख्यमंत्री बनीे तो आ सकते हैं काम
मुस्लिम नाउ ब्यूरो, जयपुर
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में भारतीय जनता पार्टी के एक बागजी उम्मीदवार यूनुस खान ने भी जीत दर्ज की है. यूनुस खान पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान बीजेपी की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं. यूनुस वसंुधरा कैबिनेट के सदस्य भी रहे हैं.यूनुस खा डीडवानी से टिकट मांग रहे थे, पर उनकी जगह जितेंद्र सिंह जोधा को टिकट दे दिया गया. इसके बाद यूनुस खान के सचिन पायलट के साथ जाने की चर्चा हुई, पर यह चर्चा ही रही. यूनुस खान डीडवानी से निर्दलीय ही चुनाव में उतर गए.
इनके अलावा डीडवाना विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के जितेंद्र सिंह जोधा, कांग्रेस के चेतन सिंह चैधरी भी मैदान में थे. यहां से आप ने भी अपना प्रत्याशी खड़ा किया था. राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में डीडवाना विधानसभा क्षेत्र से मतदाताओं 73.43 प्रतिशत वोट डाले थे.2018 में कांग्रेस के चेतन सिंह चैधरी ने भारतीय जनता पार्टी के जितेंद्र सिंह को 40602 वोटों के अंतर से हराकर सीट हराया था.
डीडवाना विधानसभा क्षेत्र नागौर लोकसभा क्षेत्र मंे आता है. 2019 के लोकसभा चुनाव में, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल नागौर लोकसभा (एमपी) सीट से 181260 वोटों के अंतर से जीते थे. उन्होंने कांग्रेस की ज्योति मिर्धा को परास्त किया था. इस बार डीडवाना से निर्दलीय यूनुस खान 70952 वोटों से जीत दर्ज की है.डीडवाना में वोटों की गिनती खत्म हो गई है. डीडवाना सीट पर निर्दलीय यूनुस खान को विजयी घोषित कर दिया गया है.
कौन हैं पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर यूनुस खान
यूनुस खान राजस्थान के दमदार मुस्लिम नेता हैं. लंबे समय से बीजेपी की राजनीति करते आ रहे हैं. इनके चुनाव जीतने से सबसे ज्यादा कोई प्रसन्न होगा तो वह हैं वसुंधरा राजे सिंधिया. यूनुस खा वसुंधरा के बेहद खास माने जाते हैं. खबरों के अनुसार,पूर्व केबिनेट मंत्री यूनुस खान सीकर जिले के गणेदी गांव के रहने वाले हैं. यूनुस खान का जन्म 1 अगस्त 1964 को हुआ. इन्होंने डीडवाना से स्नातकोत्तर किया और एलआईसी में काम करने जयपुर चले गए. यूनुस कायमखानी मुस्लिम हैं.जिनके बारे में कहा जाता कि वे राजपूत से इस्लाम में कनर्वट हुए हैं. कायमखानियों का राजस्थान की सियासत और प्रशासन में खासा दबदबा है.
भैरोसिंह शेखावत के रास्ते बीजेपी में आए
कहते हैं 80 के दशक में यूनुस खान का संपर्क पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत के कैबिनेट मंत्री रहे रमजान खान से हुआ. वह इन्हें राजनीति में लेकर आए. इस दौरान शेखावत डीडवाना और लाडनू क्षेत्रों से किसी कायमखानी मुस्लिम उम्मीदवार की तलाश में थे. रमजान खान ने शेखावत को यूनुस खान का नाम सुझाया.शेखावत ने 1998 में डीडवाना से यूनुस को मौका दिया. 2003 में बीजेपी ने उन्हंे टिकट दिया. यूनुस खान ने कांग्रेस के रूपाराम डूडी को हराकर पहली बार विधानसभा पहुंचे. इसके बाद यूनुस खान वसुंधरा राजे सरकार में परिवहन मंत्री बने. तब वह वसुंधरा राजे के वफादार हैं.
पायलट यूनुस खान को 54 हजार वोटों से हरा चुके हैं
सचिन पायलट को कांग्रेस ने पिछले 2018 के चुनाव में टोंक विधानसभा क्षेत्र से उतारा था. इस दौरान भाजपा ने अजीत मेहता का टिकट काटकर वसुंधरा राजे के करीबी यूनुस खान को मैदान में उतारा. इसके पीछे बीजेपी की गणित टोंक में मुस्लिम बाहुल्य वोटर्स को साधना था. इसके चलते भाजपा ने डीडवाना की बजाय यूनुस खान को टोंक से उतारा. मगर ऐसा नहीं हो सका. पायलट ने यूनुस खान को हराकर 54,179 वोटों से जीत हासिल की. अब वसंुधरा के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा हो रही है. ऐसे में यूनुस सरकार से बाहर रहकर सरकार का समर्थ कर सकते हैं. बदले में उन्हें कोई लाभ वाला पद तोहफे में मिल सकता है.