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राजस्थान : सामूहिक मौत से उठे सवाल, क्या कायमखानी बुजदिल हो गए ?

अशफाक कायमखानी,जयपुर

राजस्थान की शेखावाटी व मारवाड़ मुस्लिम बेरादरी कायमखानी की बहादुरी की मिसल दी जाती है. मगर एक घटना के बाद बिरादरी में नैतिक पतन और बुजदिली को लेकर सवाल उठने लगे हैं.पहले कायमखानी नैतिक पतन या कायरता जैसी सामाजिक बुराई से दूर माने जाते थे. मगर पंद्रह-बीस सालों से कभी कभार ही सही ऐसी सामाजिक बुराईयां बिरादरी मंे दिखने लगी हैं.

तलाक व बहु को बेटी समान नहीं मानने व आपसी विचारों में मतभेद के चलते डीडवाना के नुआ गावं में अजीम खां के यहां दो महिलाओं व दो बच्चों की एक साथ जान चली गई. इस घटना ने पूरी बिरादरी को हिलाकर रख दिया है.

पहले मजबूत था नैतिक बल

पहले पुलिस-फौज की नौकरी व खेतीबाड़ी करके घर चलाने वाली कायमखानी बिरादरी का नैतिक बल इतना मजबूत था कि उन पर भरोसा करके सेठ-साहुकार ऊंटों की सवारी के मार्फत अपनी बहु-बेटियों को इधर से उधर लाने लेजाने की जिम्मेदारी देने व धन की चोकीदारी की जिम्मा सौंपते थे. कायमखानियों के नैतिक बल व बहादुरी के बल पर भारतीय फौज में कायमखानियों की विशेष भर्ती व अलग से बटालियन बनाना तक तय हो गया था. बाद में इनके भीतर तमाम तरह की बुराईयां आ गईं. यहां तक कि संयुक्त का चलन व बुजुर्गों का आदर-सम्मान भी खत्म होने लगा है.

मौतों की क्या है वजह ?

सीकर जिले के सिंगरावट गावं की दो बहनों की शादी सात किलोमीटर दूर डीडवाना के नुआ गावं के दो सगे भाइयों से 2015 में धूमधाम से हुई थी. शादी के बाद दोनांे लड़के अरब में मजदूरी करके घर चलाने लगे. एक लड़की के एक बच्ची व एक बच्चा हुआ. मगर मर्द व औरतों में अनबन व फिर भारी मनमुटाव व पुलिस में शिकायत की नौबत आ गई. बताते हैं कि तलाक तक बात चली गई. फिर अचानक चार लोगो की सामूहिक मौत की खबर आई. नुआ की इस घटना की वास्तविकता तो पुलिस की मुकम्मल जांच के बाद सामने आएगी कि यह सामुहिक हत्या है या आत्महत्या ? मबा इन मौतों से पूरी बिरादरी सदमें में है.

बिरादरी में संयुक्त परिवार की समाप्त होती व्यवस्था और एकाकी जीवन जीने की चाह से समाज का ताना-बाना बिगड़ रहा है. पहले कायमखानी बिरादरी की कायमखानी महासभा हुआ करती थी. इसके बैनर तले एकत्रित होकर बिरादरी मंे उत्पन्न समस्या का हल ढूंढा जाता था. इसकी मदद से गंभीर मामले भी आपसी सहमति व खुशमिजाजी से चुटकियों मंे निपटा दिए जाते थे. एक लम्बे अर्से से महसभा भी निष्क्रिय है.

कायमखानियों में बढ़ती बुराई

स्थिति यह है कि आजकल कायमखानी युवा पीढी में बरदाश्त की कमी व ऊंच नीच के फर्क का अभाव देखा जा रहा हैः बुजुर्गों का सम्मान व आदर युवाओं में हो रहा हैः तरबियत व परवरिश के तरीकों मे गिरावट आई है. सूद का लेनदेन बढने लगा है. हराम-हलाल का फर्क मिट सा गया है. रिश्तांे मे बराबरी का आभाव है। बच्चियां शादी के पहले दिन से पति को केवल अपने तक सीमित रखने की कोशिश करने लगी हंै. इससे ससुराल पक्ष में तनातनी बढ़ जाती है. ससुराल पक्ष बहु को बेटी ना मानकर उसे पराई मानने लगा है. मनमुटाव बढ़ रहे हैं. समाज मंे भौतिकवाद बढ़ा है.डीडवाना के नुआ गावं में चार जानें इस तरह चली जाने से बिरादरी सोंचने को मजबूर है.