रमजान 2025: बांग्लादेश में खाद्य पदार्थों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि, रोजेदार परेशान
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली/ढाका/इस्लामाबाद
रमजान का महीना शुरू होते ही एशियाई मुस्लिम बहुल देशों में खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ गई हैं, लेकिन बांग्लादेश में इस वर्ष महंगाई ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पहले ही दिन नींबू, खीरा और फल-सब्जियों के दाम आम उपभोक्ताओं की पहुंच से बाहर हो गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत के साथ खराब संबंधों और पिछले दिनों हुई भारी बारिश इस स्थिति के मुख्य कारण हैं।
नींबू और खीरे के दाम आसमान पर
ढाका के आजमपुर कच्ची मंडी में विक्रेताओं और ग्राहकों से बातचीत में पता चला कि एक छोटे आकार के नींबू के चार टुकड़े 50-60 टका में बिक रहे हैं। मध्यम आकार के नींबू की कीमत 70-80 टका, बड़े नींबू 90-110 टका और गोल आकार के बड़े नींबू 100-130 टका प्रति पीस तक पहुंच चुके हैं।
स्थानीय और संकर खीरे की कीमत 60-80 टका प्रति किलोग्राम तक हो गई है। रमजान के दौरान इफ्तार के लिए नींबू और खीरे की मांग अत्यधिक बढ़ जाती है, जिससे इनके दामों में भारी इजाफा हुआ है। विक्रेताओं के अनुसार, नींबू का सीजन न होने और पहाड़ी नींबू के देर से आने के कारण यह स्थिति बनी हुई है।
सब्जियों के दामों में वृद्धि
हरी मिर्च, टमाटर और अन्य सब्जियों की कीमतों में भी बढ़ोतरी देखी गई है। हरी मिर्च 70-80 टका प्रति किलो बिक रही है, जो पिछले सप्ताह 60 टका थी। टमाटर की कीमत 25 टका से बढ़कर 30 टका हो गई है। अन्य सब्जियों की स्थिति भी चिंताजनक है:
- बीन्स: 60 टका प्रति किलो
- लौकी: 40-60 टका प्रति किलो
- बैंगन: 80-100 टका प्रति किलो
- करेला: 100 टका प्रति किलो
- गाजर: 30 टका प्रति किलो
फलों की कीमतों में उछाल
रमजान की शुरुआत में फल बाजार भी महंगाई की मार झेल रहा है।
- माल्टा: 300-320 टका प्रति किलो
- संतरा: 270-280 टका प्रति किलो
- सेब: 310-450 टका प्रति किलो (प्रकार के अनुसार)
- केला: 40-60 टका प्रति दर्जन
- अनानास: 100-120 टका प्रति जोड़ा
- अमरूद: 100-110 टका प्रति किलो
विदेशी फलों पर टैक्स और ड्यूटी बढ़ने से इनकी कीमतें और बढ़ गई हैं। स्थानीय फलों के दाम भी बढ़ने से गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार इनका सेवन करने से वंचित हो रहे हैं।
सोयाबीन तेल संकट: दुकानों से गायब बोतलबंद तेल
रमजान के दौरान तले हुए खाद्य पदार्थों की अधिक मांग होती है, लेकिन इस बार बोतलबंद सोयाबीन तेल बाजार से लगभग गायब है। न्यू मार्केट, आजमपुर और उत्तरा की कच्ची मंडियों में तेल की किल्लत देखी गई। दुकानदारों ने बताया कि कंपनियां मांग के अनुसार तेल की आपूर्ति नहीं कर रही हैं।
स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि उन्हें तेल खरीदने के लिए अन्य खाद्य पदार्थों की बोरियां भी खरीदनी पड़ रही हैं, जिससे बाजार में काला बाजारी हो रही है। कई दुकानों पर स्थानीय नामों से बोतलबंद तेल बेचा जा रहा है, लेकिन पारंपरिक ब्रांड्स का तेल पूरी तरह से गायब है।
बैंगन की कीमतों में सेंचुरी
रमजान के पहले दिन बैंगन की कीमतें अचानक 100 टका प्रति किलो तक पहुंच गईं। एक दिन पहले तक यह 60 टका प्रति किलो था। दुकानदारों का कहना है कि इफ्तार में बैंगन पकौड़े बनाने के कारण इसकी मांग बढ़ गई है, जिससे कीमतों में भारी उछाल आया है।
दाल बाजार में स्थिरता
जहां अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ी हैं, वहीं दालों का बाजार अपेक्षाकृत स्थिर रहा है। पिछले तीन महीनों से दालों की कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है। हालांकि, अगले सप्ताह चने की कीमत में 5 टका प्रति किलो बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
- मसूर दाल: 130-140 टका प्रति किलो
- मूंग दाल: 170-180 टका प्रति किलो
- चना दाल: 110-120 टका प्रति किलो
- खेसारी दाल: 115 टका प्रति किलो
- बेसन: 140 टका प्रति किलो
महंगाई से त्रस्त जनता, सरकार पर उठ रहे सवाल
बांग्लादेश के उपभोक्ता संघ (CAB) के उपाध्यक्ष एसएस नाज़र हुसैन ने सरकार की लापरवाही को इस संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि सरकार की बाजार पर निगरानी की कमी के कारण व्यापारी मनमानी कर रहे हैं और कृत्रिम संकट पैदा कर रहे हैं। उपभोक्ताओं ने मांग की है कि सरकार तुरंत बाजार पर नियंत्रण करे और महंगाई पर लगाम लगाए।
निष्कर्ष
रमजान 2025 के पहले ही दिन बांग्लादेश में खाद्य पदार्थों की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि ने रोजेदारों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। नींबू, खीरा, बैंगन, फल और तेल जैसी आवश्यक वस्तुएं महंगी होने से गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए इफ्तार और सेहरी की तैयारी मुश्किल हो गई है। सरकार और प्रशासन को जल्द से जल्द इस स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि लोग इस पवित्र महीने को शांति और सुकून के साथ मना सकें।