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जयपुर के रोजेदारों को रमजान का तोहफा, दुनिया की सबसे बड़ी और भारी कुरान शरीफ

अहमद हुसैन जयपुर

रमजान बरकतों का महीना होता है. राजस्थान, खासकर इस प्रदेश के लोग इसे बेहद करीब से महसूस कर रहे हैं. वह है दुनिया की सबसे बड़ी और भारी कुरान शरीफ की अनोखी प्रति का करीब से दीदार करना. इसे देखने के लिए लोग बड़ी संख्या में जुट रहे हैं.

यह मौका उपलब्ध कराया है जयपुर के रवींद्र मंच ने. उसकी ओर से दुनिया की यह सबसे बड़ी कुरान ए करीम रवींद्र मंच की हीरक जयंती पर प्रदर्शन के लिए रखी गई है. इसका दीदार चार दिनों तक कर सकते हैं. आयोजकों का दावा है कि
यह दुनिया की सबसे बड़ी कुरान शरीफ है. इस खास कुरान की खासियत यह है कि इसकी छपाई में जर्मनी स्याही का इस्तेमाल किया गया है. इसे तैयार किया है
टोंक के रहने वाले मौलाना जमील और उनके परिवार के सदस्यों ने. मौलाना के अनुसार, इसके निर्माण में दो साल से अधिक समय लगा.

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यह कुरान शरीफ जयपुर के सांगानेरी कागज पर प्रिंट की गई. इसका वजन ढाई कुंतल, लंबाई 10.5 फीट और चैड़ाई 7.6 करीब फीट है. मजे की बात है कि इसे आसानी से उठाया नहीं जा सकता. इसके उठाने के लिए 20-25 लोग लगते हंै. इस खास आकार को पढ़ने के लिए सीढ़ी लगानी पड़ती है. 64 पेज की इस कुरान में 32 वर्ग है. हर वर्ग का डिजाइन अलग और अनूठा है. वही हैंडमेड पेपर से 18 सीट को जोड़कर एक पेज बनाया गया है और हर पेज पर 41 लाइन लिखी हुई हैं. जिसमें हर लाइन को अलिफ से शुरू किया गया है, जिसे जर्मनी की स्याही से लिखा गया हैं.

कुरान को बनाने वाले मौलाना जमील अहमद ने मुस्लिम नाउ संवाददाता से एक मुलाकात में बताया कि ख्वाजा बाघ सेवा डिस्ट्रिक्ट, चित्तौड़गढ़ के हाजी मोहम्मद शेर खान की देखरेख में उनके परिवार के सदस्यों ने दो साल में तैयार किया है. इसके हर पेज पर अलग-अलग फूल और नक्काशी है.कुरान के हाथ से बने पेजों का निर्माण विशेष देखभाल के साथ किया गया है. सभी वर्क पर नस्ख शैली में लिखा गया ह.।

मौलाना जमील अहमद ने बताया कि इस पाक कुरान की हर लाइन अरबी के अलिफ अक्षर से शुरू होती है, इसलिए इसे अल्फी कुरान का नाम दिया है.कुरान शरीफ के जिल्द पर चांदी के कोने और गोल्डन प्लेट लगी हुई है. खोलने और बंद करने के लिए पीतल के कब्जों का इस्तेमाल है. कुरान शरीफ के एक पेज को पलटने में या खोलने में 2 शख्स को जुटना पड़ता है, जबकिजिल्द खोलने के लिए 6 लोग लगते हैं.

मौलाना जमील अहमद का दावा है कि यह हाथ से लिखी हुई दुनिया की सबसे बड़ी और भारी कुरान मजीद है.इसका डिजाइन कम्प्यूटकृत नहीं है. सब कुछ हाथ से किया गया है. कागज भी हैंडमेड हैं, जो जयपुर ई सांगानेर से बने हैं. इसे लिखा है टोंक के गुलाम अहमद ने. कुरान मजीद को तैयार करने में मौलाना जमील की बेटियों ने भी अपने भाइयों, चाचा का साथ दिया. मौलाना जमील अहमद के अनुसार, वर्ष 2012 में इसे बनाना शुरू किया था. पूरा हुआ 22 जनवरी 2014 को. तब से यह टोंक शहर के अरबी फारसी शोध संस्थान में रखा हुआ है. 10 साल में पहली बार इसे टोंक शहर से बाहर लाया गया.