रमज़ान: आत्म-संघर्ष, धैर्य और करुणा का महीना : सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,नई दिल्ली
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने रमज़ान की पवित्रता, इसकी आध्यात्मिकता और समाज में इसके प्रभाव पर विशेष रूप से जोर देते हुए कहा कि यह महीना धर्मपरायणता, करुणा, धैर्य और आत्म-संघर्ष का संदेश देता है। वह जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के मुख्यालय में आयोजित इफ्तार पार्टी के अवसर पर एक बड़ी सभा को संबोधित कर रहे थे, जिसमें राजनीतिक, सामाजिक क्षेत्र की प्रमुख हस्तियों सहित दिल्ली के आठ सौ से अधिक विशिष्ट व्यक्तित्व उपस्थित थे।
रमज़ान: कुरान और तक़वा का महीना
उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “रमज़ान केवल भूख और प्यास सहने का महीना नहीं है, बल्कि यह आत्मसंयम, आत्म-सुधार और ईश्वर की निकटता प्राप्त करने का अवसर है।” उन्होंने कुरान की एक आयत का हवाला देते हुए कहा कि, “रोज़ा अनिवार्य किया गया है ताकि लोग तक़वा (धर्मपरायणता) हासिल करें।” यह महीना खुद को बुराइयों से दूर करने, नेकी और ईमानदारी के मार्ग पर चलने का प्रशिक्षण देता है।
रमज़ान: धैर्य और संघर्ष की परीक्षा
अमीर जमाअत ने रमज़ान को धैर्य (सब्र) और संघर्ष (जिहाद) का महीना बताते हुए कहा कि इस्लामी इतिहास में कई महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ, जैसे कि बद्र की जंग, इसी महीने में हुईं। उन्होंने कहा, “यह महीना केवल इबादत का नहीं, बल्कि आत्म-संघर्ष और कड़ी मेहनत का भी है।”
उन्होंने पैगंबर हज़रत मुहम्मद (स.अ.स) के एक साथी की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा, जब उन्होंने इस्लाम का सार पूछने पर जवाब दिया, “कहो कि मैं अल्लाह पर ईमान लाया और फिर उस पर दृढ़ रहो।” यही संदेश रमज़ान हमें देता है – धैर्य और विश्वास के साथ अपने मूल्यों पर अडिग रहना।

भारत के मुसलमानों के लिए विशेष संदेश
भारत में मुसलमानों की वर्तमान स्थिति को लेकर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने विशेष रूप से धैर्य और संघर्ष की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हम कठिनाइयों से गुजर रहे हैं, लेकिन हमें अपने सिद्धांतों और मूल्यों से समझौता नहीं करना चाहिए। संघर्ष और संयम के साथ आगे बढ़ने की ज़रूरत है।”
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस्लाम शांति, सौहार्द और न्याय का धर्म है और रमज़ान का महीना हमें समाज में सद्भाव और करुणा बढ़ाने की सीख देता है।
विशिष्ट हस्तियों की उपस्थिति
इस आध्यात्मिक इफ्तार पार्टी में कई राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक हस्तियों ने भाग लिया। यह आयोजन धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक समरसता का प्रतीक बना, जहाँ विभिन्न समुदायों के लोग एक साथ आए और रमज़ान के संदेश को साझा किया।
काबिल ए गौर
रमज़ान केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह संयम, ईमानदारी, समाजसेवा और आत्म-संघर्ष का महीना भी है। सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी के अनुसार, यह हमें धैर्य, करुणा और संघर्ष के माध्यम से खुद को और समाज को बेहतर बनाने का अवसर देता है। भारत के मुसलमानों के लिए, यह समय अपने मूल्यों पर अडिग रहते हुए चुनौतियों का सामना करने का है।