चंद्रमा का दुर्लभ तोहफ़ा: अबू धाबी के संग्रहालय में प्रदर्शित होगा चंद्र उल्कापिंड
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मुस्लिम नाउ ब्यूरो,अबू धाबी
नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम अबू धाबी, विज्ञान प्रेमियों और खगोलविदों के लिए एक अद्वितीय अवसर लेकर आया है. यहां जल्द ही एक दुर्लभ चंद्र उल्कापिंड, जिसे नॉर्थवेस्ट अफ्रीका 12691 (NWA 12691) के नाम से जाना जाता है, प्रदर्शित किया जाएगा. यह उल्कापिंड 2017 में पश्चिमी सहारा के रेगिस्तान में खोजा गया था.
इसका वैज्ञानिक महत्व अद्वितीय है, क्योंकि यह चंद्रमा के भूवैज्ञानिक इतिहास और उसकी सतह की संरचना की गहरी जानकारी प्रदान करता है..
चंद्र उल्कापिंड का महत्व
चंद्र उल्कापिंड खगोलशास्त्रियों के लिए सबसे दुर्लभ और मूल्यवान खगोलीय खजानों में गिने जाते हैं. ये प्राकृतिक रूप से चंद्रमा की सतह से पृथ्वी तक पहुंचते हैं और हमें वहां की सतह की संरचना को समझने का अवसर देते हैं. जहां अब तक कोई अंतरिक्ष यान नहीं पहुंच पाया है. ये उल्कापिंड आमतौर पर क्षुद्रग्रह या धूमकेतु के प्रभाव से चंद्रमा की सतह से बाहर निकलते हैं और पृथ्वी पर गिरते हैं.
इन्हें चंद्रमा से पृथ्वी को मिला एक अद्भुत उपहार कहा जा सकता है, जो अंतरिक्ष अभियानों की महंगी लागत के बिना ही उपलब्ध हो जाते हैं.
एक असाधारण खोज की कहानी
NWA 12691, जो 13.5 किलोग्राम वजनी है, जनवरी 2017 में पश्चिमी सहारा के रेगिस्तान में खोजा गया. इसकी खनिज संरचना चंद्रमा की सतह पर हुए कई प्रभावों के प्रमाण देती है. नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के सहायक क्यूरेटर हमद यूनिस अल मरज़ूकी के अनुसार, यह उल्कापिंड हजारों वर्षों तक अंतरिक्ष में रहा होगा और फिर धरती पर गिरने के बाद लंबे समय तक रेगिस्तान में पड़ा रहा. अल मरज़ूकी बताते हैं, “इस प्रकार के उल्कापिंड को हम ब्रेशिया कहते हैं, क्योंकि यह विभिन्न खनिज और चट्टानों के टुकड़ों से मिलकर बना होता है. ये टुकड़े चंद्रमा पर हुए प्रभावों के दौरान जुड़े और अंततः पृथ्वी पर गिरे..”
रेगिस्तान में क्यों मिलते हैं उल्कापिंड?
रेगिस्तान में उल्कापिंड मिलने की संभावना अधिक होती है. शुष्क वातावरण उन्हें क्षरण से बचाता है. इसके अलावा, उल्कापिंड अक्सर अपने गहरे रंग के कारण आसपास की भूमि से अलग दिखाई देते हैं. अल मरज़ूकी बताते हैं, “ऐसा नहीं है कि ये केवल रेगिस्तान में गिरते हैं. फ्रांस में एक टेनिस कोर्ट पर उल्कापिंड मिलने की घटना इसका उदाहरण है. लेकिन रेगिस्तान में ये अधिक स्पष्ट और आसानी से पहचान में आते हैं.”
पृथ्वी की कहानी गैलरी का आकर्षण
NWA 12691 के अलावा, नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम की “स्टोरी ऑफ अर्थ गैलरी” में और भी कई दुर्लभ उल्कापिंड प्रदर्शित होंगे. इनमें वह प्रसिद्ध उल्कापिंड भी शामिल है, जो 1969 में ऑस्ट्रेलिया के मर्चिसन शहर के पास गिरा था. इस उल्कापिंड में प्रीसोलर ग्रेन पाए गए, जिन्हें स्टारडस्ट के रूप में जाना जाता है। यह कण हमारे सौर मंडल के निर्माण से पहले तारों के विस्फोट से बने थे.
अल मरज़ूकी का अंतरिक्ष प्रेम
संग्रहालय के सहायक क्यूरेटर, हमद यूनिस अल मरज़ूकी, बचपन से ही अंतरिक्ष और खगोल विज्ञान के प्रति गहरा लगाव रखते थे. प्राथमिक विद्यालय में खगोल विज्ञान का पहला पाठ पढ़ने के बाद से वे ग्रहों और तारों की दुनिया से मोहित हो गए. हालाँकि उन्होंने भूविज्ञान और जीवाश्म विज्ञान में डिग्री हासिल की, लेकिन उनका खगोल विज्ञान के प्रति प्रेम कभी कम नहीं हुआ. अल मरज़ूकी ने एरिज़ोना विश्वविद्यालय और इटली के उम्ब्रिया में अध्ययन किया, जिससे उन्हें पृथ्वी और ब्रह्मांड के विकास के बारे में गहन समझ मिली.
भविष्य की योजना और संग्रहालय की भूमिका
नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम अबू धाबी न केवल चंद्र उल्कापिंड बल्कि ब्रह्मांड के विकास की पूरी कहानी को जीवंत रूप से प्रस्तुत करेगा. संग्रहालय बिग बैंग थ्योरी से लेकर सौर मंडल और पृथ्वी के निर्माण तक की यात्रा को दर्शाएगा.
अल मरज़ूकी का मानना है कि यह संग्रहालय विज्ञान, खगोलशास्त्र और इतिहास के छात्रों के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत बनेगा. उनकी टीम आने वाले वर्षों में और अधिक खगोलीय नमूने संग्रह करने की योजना बना रही है, जिससे संग्रहालय की समृद्धि और बढ़ेगी.
अबू धाबी का नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम, चंद्रमा की इस दुर्लभ धरोहर को प्रदर्शित करके खगोल विज्ञान और भूविज्ञान के प्रति लोगों की जिज्ञासा को बढ़ाने का एक उत्कृष्ट प्रयास कर रहा है. यह संग्रहालय न केवल पृथ्वी और चंद्रमा के इतिहास को उजागर करता है, बल्कि यह दर्शकों को ब्रह्मांड की अनंतता का अनुभव भी कराता है