Culture

रेफात अल-अरीर की पुस्तकें I refaat alareer books

मुस्लिम नाउ विशेष

गाजा में भयंकर जंग के मलवे में एक प्रतिभावान लेखक, कवि और पत्रकार रेफात अल-अरीर (refaat alareer) दफन हो गया. मगर उन्हांेने गाजा के हालात पर मरने से पहले तक जो किताबें, लेख, कविताएं लिखीं, वह रहती दुनिया तक न केवल कायम रहेंगे, उनकी बेमिसाल कृति से भविष्य में फिलिस्तीन को समझने में मदद मिलेगी.

रेफात अल-अरीर गाजा पट्टी के एकलौते लेखक हैं जिनकी किताबों का अनुवाद इटली भाषा में हो चुका है. यह आज भी एमेजन पर उपलब्ध है.एमेजन ने उनकी कहानी संग्रह ‘गाजा राइट्स बैक’ का परिचय कुछ यूं दिया है-‘‘गाजा राइट्स बैक गाजा के पंद्रह युवा लेखकों की लघु कहानियों का एक सम्मोहक संकलन है, जो एक ऐसी पीढ़ी के सदस्य हैं जिन्होंने इजराइल की घेराबंदी और नाकाबंदी के तहत अत्यधिक पीड़ा झेली है. उनके अनुभव, विशेष रूप से इजराइल के 2008-2009 के ‘ऑपरेशन कास्ट लीड’ के रूप में जाने जाने वाले आक्रमण के दौरान और उसके बाद, ने उनके जीवन और उनके लेखन को मौलिक रूप से प्रभावित किया है. उनके शब्द हमें उन माताओं, पिताओं, छात्रों, बच्चों और बुजुर्गों के घरों और दिलों में ले जाते हैं जो दुनिया के सबसे संकटग्रस्त समुदायों में से एक में सम्मान, करुणा और अर्थपूर्ण जीवन जीने का प्रयास कर रहे हैं. पाठक इन युवाओं के अच्छे लेखन से उभरे छोटे-बड़े संघर्षों और लेखकों से निकली आशा और साहस से प्रभावित होंगे.’’

इस कहानी संग्रह के अलावा भी रेफात अल-अरीर ने कई पुस्तकें लिखी हैं. इनमंे गाजा राइट बैक, गाजा अनसाइलेंस्ड प्रमुख हैं. रेफात अल-अरीर जब तक जीवित रहे, गाजा के युवा वर्ग को लेखन के प्रति प्रोत्साहित करते रहे. उनका मानना था कि साहित्य के जरिए भी आप अपने दुश्मन को काबू में कर सकते हैं या उनकी गतिविधियां नियंत्रित कर सकते हैं.

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रेफात अल-अरीर ने गाजा की कहानी के लिए अंग्रेजी को बनाया माध्यम

उन्हांेने गाजा की कहानी बताने के लिए अंग्रेजी भाषा को चुना. लेखक दोस्तों की समूह तैयार किया. उनके दोस्त उन्हें याद करते हुए हकते हैं रेफात अल-अरीर ने कसम खाई थी,‘‘ अगर उनके घर पर हमला हुआ तो अंतिम उपाय के रूप में वे अपनी कलम सैनिकों के चेहरे पर फेंक देंगे.’’ गाजा के उनके कवि साथी मोसाब अबू तोहा फेसबुक पर लिखते हैं, उन्हें याद कर मेरा दिल टूट गया है.’’ रेफात अल-अरीर

इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ गाजा में अंग्रेजी साहित्य के प्रोफेसर रहे हैं. अन्य विषयों के अलावा शेक्सपियर के उनके सबसे प्रिय थे. उन्होंने नवंबर में एक्स पर ‘इफ आई मस्ट डाई’ शीर्षक से एक कविता प्रकाशित की जिसे भारी प्रशंसा मिली थी. इस कवित की अंतिम पंक्ति थी, ‘‘ अगर मुझे मरना ही है, तो इसे आशा लाने दो, इसे एक कहानी बनने दो.’’

रेफात अल-अरीर ‘वी आर नॉट नंबर्स’ प्रोजेक्ट के सह-संस्थापका

रेफात अल-अरीर ‘वी आर नॉट नंबर्स’ प्रोजेक्ट के सह-संस्थापकों में से थे, जो गाजा के लेखकों को विदेश में सलाहकारों के साथ जोड़ने और अपने अनुभव दुनिया से साझा करने का अभियान चलाता है. ऐसे लोगों को अंग्रेजी में कहानियां लिखने में भी उन्होंने मदद की.

रेफात अल-अरीर ने गाजा अनसाइलेंस्ड 2015 में लिखा और गाजा राइट्स बैकः शॉर्ट स्टोरीज फ्रॉम यंग राइटर्स इन गाजा, फिलिस्तीन 2014 में. 2022 मंे प्रकाशित कहानी संग्रह लाइट इन गाजाः राइटिंग्स बॉर्न ऑफ फायर में भी उन्हांेने महत्वपूर्ण योगदान दिया था. ‘गाजा पूछता है, यह कब गुजरेगा?‘ शीर्ष से लिखा गया उनका लेख रेफैट की इस पुस्तक में प्रकाशित हुआ था.

रेफात अल-अरीर का पूरा परिवार बमबारी में मारा गया

रेफात अल-अरीर का जन्म 23 सितंबर 1979 को गाजा पट्टी के शुजैय्या में हुआ था.उनका निधन 6 दिसंबर 2023 को आयु 44 वर्ष में हुआ. उनकी पत्नी का नाम नुसायबा था और उनके बच्चे 6 थे, जो अब इस दुनया में नहीं हैं. उनका जन्म गाजा पट्टी पर इजरायली कब्जे के दौरान हुआ था, जिसके बारे में उनका कहना था कि इसने उनके हर कदम और निर्णय को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया. रेफात अल-अरीर ने 2001 में इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ गाजा से अंग्रेजी में बीए और 2007 में यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन से एमए किया. पीएच.डी. यूनिवर्सिटी आॅफ मलेशिया में अंग्रेजी साहित्य से कही.

रेफात अल-अरीर ने फिलिस्तीनी लघु कथाओं के दो खंड, गाजा राइट्स बैक (2014) और गाजा अनसाइलेंस्ड (2015) का संपादन किया. एक साक्षात्कार में, अलारेर ने कहा, गाजा राइट्स बैक भावी पीढ़ियों के लिए एक साक्ष्य प्रदान करने का एक प्रयास है. उन्होंने विश्व साहित्य और रचनात्मक लेखन में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. इसमें इजराइली कवि येहुदा अमीचाई का काम भी शामिल है. जिसे उन्होंने सुंदर लेकिन खतरनाक बताया. 2023 इजराइल-हमास युद्ध के दौरान उन्होंने बीबीसी और एबीसी न्यूज के लिए भी काम किया.

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इजराइल पर हमास के नेतृत्व वाले हमले के तुरंत बाद, उन्होंने हमले को वैध और नैतिक बताया था. कहा कि यह बिल्कुल वारसॉ यहूदी बस्ती विद्रोह जैसा है. उनकी पत्नी और छह, उनके भाई, हमादा, दादा, भाई, बहन और तीन भतीजियां 2014 के गाजा युद्ध के दौरान इजरायली बमबारी में मारे गए थे. कुल मिलाकर, इजराइल ने उनके और उसकी पत्नी के 30 से अधिक रिश्तेदारों को मार डाला है. 2021 इजराइल-फिलिस्तीन संकट के दौरान, रेफात अल-अरीर ने द न्यूयॉर्क टाइम्स में अपने बच्चों पर पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन करते हुए एक लेख लिखा था, जो काफी चर्चित रहा था.

रेफात अल-अरीर 6 दिसंबर को इजरायली हमले का बन गए निशाना

रेफात अल-अरीर 6 दिसंबर 2023 को इजरायली हवाई हमले में मारे गए. इस हमले में उनके भाई सलाह, भाई के बेटे मोहम्मद , उनकी बहन अस्मा, उनके तीन तीन बच्चे (अला, याहिया और मोहम्मद) भी इस हवाई हमले में मारे गए.यूरो-मेड मॉनिटर ने एक बयान में कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि रेफात अल-अरीर और उनके रिश्तेदारों को जानबूझकर निशाना बनाया गया. उन्हें कई हफ्तों से जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं.

गाजा सिटी के पूर्व में शेजैया में इतिहास के शिक्षक, उनके दोस्त मोहम्मद अल अरैर ने एक्स पर लिखा, रेफात अल-अरीर ने गाजा में इजरायली बमबारी के तहत दैनिक जीवन का दस्तावेजीकरण किया. उन्होंने इसराइल और हमास के बारे में अपनी टिप्पणियों से कई बार विवाद भी खड़ा किया.उन्होंने 4 दिसंबर को अपने आखिरी संदेशों में से एक में पोस्ट कहा, हम बारूद और सीमेंट की मोटी परतों में ढके हुए हैं. उन्होंने उसी दिन लिखा, शजैया में अभी भी कई लोग फंसे हुए हैं, जिनमें मेरे कुछ बच्चे और परिवार के सदस्य भी शामिल हैं.

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उनके दोस्त अराइर ने कहा, गाजा में कहीं भी सुरक्षित नहीं है, इसलिए उन्होंने अपने घर में रहने का फैसला किया था, पर मारे गए.एक अन्य मित्र, अहमद अलनाउक ने एक्स पर लिखा, “रेफात अल-अरीर की हत्या दुखद, दर्दनाक और अपमानजनक है. यह बहुत बड़ी क्षति है.”