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बढ़ती आतंकवादी वारदातों को लेकर फारूक अब्दुल्ला बोले, कश्मीर कहीं गाजा न बन जाए

मुस्लिम नाउ ब्यूरो,श्रीनगर

जम्मू-कश्मीर में जोर पकड़ती आतंकी घटनाआंे से पाकिस्तान की सीमा से सट इस प्रदेश का सियासी पारा उपर पहुंच गया है. बढ़ती सर्दी और बर्फबारी के चलते जहां कश्मीर के अधिकांश लोग घरांे में दुबके हैं, वहीं सियासी रहनुमा अपने तीखे बयानों से इलाके को गरमाए हुए हैं. इसी क्रम में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला का बड़ा कड़ा बयान आया है.

उन्हांेने कहा अगर भारत पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू नहीं करता है, तो कश्मीर गाजा बन जाएगा. बता दें कि पिछले तीन महीने से गाजा सुलग रहा है. हमास के लड़ाकों द्वारा 7 अक्टूबर को इजरायल पर अभूतपूर्व हमला करने के बाद से इजरायली सेना ने अपने तोप-मिसाइल का मुंह गाजा की ओर खोल दिया है. इजरायल के जमीनी और आसमानी हमले में गाजा में अब तक 21, 000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. मरने वालों में महिलाएं और बच्चे तकरीबन 70 प्रतिशत हैं. और यह सिलसिला थमा नहीं है.

इसी बीच गाजा के हवाले से अस्सी वर्षीय नेता के बयान ने कश्मीर को सियासी तौर पर गरमा दिया है. पत्रकारों से बात करते हुए कहा उन्हांेने, “वाजपेयी जी ने कहा था कि हम दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं बदल सकते. प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा था कि युद्ध कोई विकल्प नहीं है. प्रगति के लिए संवाद ही एकमात्र रास्ता है. फिर भी अगर भारत ने पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू नहीं की तो कश्मीर दूसरा गाजा बन जाएगा.“

डॉ. अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि गृहमंत्री ने चार साल पहले चेन्नई में कहा था कि अनुच्छेद 370 के कारण आतंकवाद है. इसे हटाए हुए चार साल हो गए, फिर भी आतंकवाद खत्‍म क्‍यों नहीं हो रहा है ? इस पर सोचना चाहिए.उन्होंने कहा, “अब चार साल बाद उन्हांेने संसद में अपने उस बयान का खंडन किया है. कहते हैं, हमने ऐसा नहीं कहा था. देखिए, वह कितना झूठ बोलते हैं.

डॉ. अब्दुल्ला ने पुंछ में 21 दिसंबर की मुठभेड़ के बाद सेना द्वारा कथित तौर पर मारे गए तीन नागरिकों की भी बात की. मुठभेड़ में चार सैनिक श्‍ाहीद हो गए थे.उन्होंने कहा, “हमारे सैनिक मारे गए और उसके बाद सेना निर्दोष नागरिकों के पीछे लग गई. उन्हें प्रताड़ित किया गया. उनके घावों पर मिर्च पाउडर छिड़का गया. वे यातना सहन नहीं कर सके और दम तोड़ दिया.“

उन्होंने आगे कहा, “आठ स्थानीय लोगों को उठाया गया. मुझे बताया गया है कि उनमें से तीन की मौत हो गई और पांच अस्पताल में भर्ती हैं.“डॉ. अब्दुल्ला ने कहा, “मारे गए तीन नागरिकों में से एक का भाई बीएसएफ में है. आज वह पूछ रहा है कि 24 साल तक देश की सेवा करने का क्या यही इनाम है?”

पुंछ में नागरिकों की हत्या के बाद एक ब्रिगेडियर के तबादले के बारे में पूछे जाने पर नेकां संरक्षक ने कहा, “हां, मुझे बताया गया है कि सेना प्रमुख ने उत्तरी कमान के जीओसी-एन-सी का भी तबादला कर दिया है. उन्हें देहरादून की किसी अकादमी में भेजा गया है. उनका तबादला करने से क्या होगा?”

डॉ. अब्दुल्ला ने कहा, “पीड़ितों को मुआवजा दे देने से मसला हल नहीं होगा. अगर हम यहां सामान्य स्थिति बहाल हो जाने का दावा करते हैं, तो यह जांच की जानी चाहिए कि ये नागरिक क्यों मारे गए.“

उन्होंने आरोप लगाया, “यह गांधी का भारत था. मगर रहा नहीं. वैसा रहने नहीं दिया गया. अब हालात इस हद तक खराब हो गए हैं कि हिंदू और मुस्लिम एक-दूसरे को दुश्मन समझते हैं.” बता दें कि हाल मंे सुरक्षाकर्मियों के अलावा कई पुलिसकर्मी भी आतंकवादियों के हाथों मारे गए हैं, जिसे लेकर कश्मीरी अवाम का आक्रोश बढ़ गया है. इससे संबंधित खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.