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‘टेल मामा’ की रिपोर्ट में खुलासा-ब्रिटेन में मुस्लिम विरोधी नफरत के मामले एक दशक में दोगुने से भी ज्यादा

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

एक निगरानी समूह की रिपोर्ट में चैकाने वाला खुलासा किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन में मुस्लिम विरोधी नफरत की घटनाएं एक दशक में दोगुनी से अधिक हो गई हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटेन में ऐसे हमलों का विस्तृत अध्ययन करने के बाद यह नतीजा निकाला गया है.

‘टेल मामा’ नामक संगठन मुस्लिम विरोधी भावना और दुर्व्यवहार पर नजर रखता है. साथ ही मुसलामनों को ऐसी मुसीबतों से छुटकारा दिलाने भी सहायता करता है. इसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि मुस्लिम विरोधी नफरत के सत्यापित मामले 2012 में 584 से बढ़कर 2021 में 1,212 हो गए.

हालांकि इसमें यह भी कहा गया है कि हाल के दिनों में ‘ टेल मामा’ के अपनी पहचाने व्यापक बना लेने से संगठन के साथ लोग अपनी समस्याएं साझा करने आने लगे हैं. वे अपने साथ पेश होने वाली नफरत और कट्टरता की रिपोर्ट संगठन में दर्ज कराते हैं.

हालांकि यह रिपोर्ट में यह कहा गया है कि मुस्लिम विरोधी नफरत से बैचने के लिए भी मामल दर्ज करवा रहे हैं.संगठन का कहना है कि हमें उम्मीद है कि यह डेटा दूसरों को इस क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करेगा. साथ ही लोगों में जागरूकता लाएगा.

टेल मामना ने बताया कि संगठन ने 2012 के बाद से मुस्लिम विरोधी घृणा और कट्टरता के 16,000 से अधिक मामलों में मदद और समर्थन किया है. इस दौरान 20,000 से अधिक लोगों ने रिपोर्ट दर्ज कराई है.संगठन ने कहा कि 2020 में ऑनलाइन नफरत चरम पर पहुंच गई, जिससे पता चलता है कि इंटरनेट पर इस तरह के दुरुपयोग में महामारी की गति बढ़ी है.

उसी वर्ष पड़ोसी-संबंधित विवादों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई जो दरअसल मुस्लिम विरोधी हरकत है. संगठन ने सभी ऑफलाइन मामलों में से एक चैथाई से अधिक को इस श्रेणी में दर्ज किया है.संगठन ने कहा कि लॉकडाउन ने घरेलू और पड़ोसी से संबंधित मामलों में बाधा के रूप में काम किया.टेल मामा ने कहा कि 2020 में ऑनलाइन और ऑफलाइन मिलाकर 1,318 सत्यापित मामले दर्ज किए गए.

समूह ने कहा कि सत्यापित ऑफलाइन मामलों की उच्चतम आवृत्ति 2016, 2017 और 2019 के बीच हुई, जो कि यूनाइटेड किंगडम में आतंकवादी हमलों के एक समूह, न्यूजीलैंड में क्राइस्टचर्च आतंकवादी हमलों और ब्रेक्सिट जनमत संग्रह के अनुरूप है.

‘टेल मामा’ के अनुसार, मुस्लिम विरोधी हमलों और नफरत के पीछे दरअसल, दक्षिणपंथियों की बढ़ती गतिविधियां, वैश्विक स्तर पर मुस्लिम विरोधी हमले, राजनीतिक विमर्श, ब्रेक्जिट जनमत संग्रह के परिणाम, तथाकथित इस्लामिक स्टेट की गतिविधियां, आतंकवाद, उग्रवाद, घोटालों को बढ़ावा देना और मुस्लिम विरोधी अभियान मुख्य कारण हैं.

इसने 2018 के ‘मुस्लिम को सजा दो’ अभियान का हवाला देते हुए कहा कि इससे ब्रिटिश मुस्लिम समुदायों में चिंता पैदा हो गई. रिपोर्ट में यह भी कहा कि इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष 2021 में एक बार फिर मुस्लिम विरोधी मामलों में वृद्धि की वजह बनी.क्रिकेटर अजीम रफीक भी अपने साथ हुए नस्लवादी दुर्व्यवहार को उजागर कर चुके हैं.

टेल मामा समूह के निदेशक, इमान अट्टा ने कहा, हमने 2012-2022 तक एक दशक को कवर करते हुए मुस्लिम विरोधी नफरत के मामलों की वास्तविक संख्या और वर्गीकरण के साथ यूके में सबसे विस्तृत अध्ययनों में से एक का उत्पादन किया है. ब्रिटिश मुसलमानों को न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने में सहायता, समर्थन और सुनिश्चित करने के लिए यह एक दशक के लायक डेटा है.

उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि यह डेटा दूसरों को कार्य के इस क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करेगा और कई लोगों में जागरूकता लाएगा कि मुस्लिम विरोधी नफरत को शांतिपूर्वक चुनौती देने, निगरानी करने और जहां भी यह प्रकट हो, उसका मुकाबला करने की आवश्यकता है.वह कहते हैं,अगर हमें एक ऐसा समाज सुनिश्चित करना है जहां सामाजिक एकता मजबूत हो, तो मुस्लिम विरोधी नफरत से निपटने का काम एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिसके लिए हमारे सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है.