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हिजाब के साथ माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराना चाहती हैं रिजवाना खान सैफी

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली रिजवाना खान सैफी सभी बाधाओं को पार कर आखिरकार सफल पर्वतारोही बन ही गईं हैं और अब हिजाब में माउंट एवरेस्ट फतह कर देश की पहली मुस्लिम महिला बनना चाहती हैं. अपने सपने को साकार करने के लिए वह कड़ी मेहनत कर रही हैं.

रिजवाना बताती हैं, माउंट एवरेस्ट को फतह कर अपने को पूरा करने से पहले उन्हांेने 25 सितंबर 2022 को हिमाचल प्रदेश में 5,158 मीटर की दूरी तय कर माउंट डांगमाचन को फतह किया. यह एक तरह से अभ्यास था.चोटी पर पहुंचने के रास्ते में दो बार अशांत जलवायु और ओलावृष्टि का सामना करने के बावजूद उन्होंने 19 सितंबर को यात्रा की शुरूआत की.

रिजवाना छह भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर हैं. वह अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला को अपना आदर्श मानती हैं. कहती हैं, अगर चावला अंतरिक्ष में पहुंच सकती हैं तो मैं पहाड़ क्यों नहीं फतह कर सकती?

उनके अनुसार, 2013 में 18 साल की उम्र में उन्होंने जवाहर पर्वतारोहण और शीतकालीन खेल संस्थान, जम्मू और कश्मीर से प्रशिक्षण लिया. पहले वर्ष में ही उन्हांेने अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से सहनशक्ति पुरस्कार जीता. बाद में, उन्होंने पिता से भविष्य में पर्वतारोही बनकर माउंट एवरेस्ट फतह करने की इच्छा जताई. वह बिना किसी प्रतिरोध के सहमत हो गए. तब से वह सपने को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रहीं हैं.

रिजवाना के पिता इंतेजार अली सैफी, जो एक बैग फैक्ट्री में मैकेनिक थे, अब उन्हंे रिजवाना के पर्वतारोहण के कारण जाना जाता है. वह नौकरी छोड़कर रिजवाना के साथ ही रहते हैं. न केवल उसके पिता, उसके छोटे भाइयों में भी अब पहाड़ चढ़ने का शौक पनपने लगा है. वे भी रिजवाना को अपना लक्ष्य हासिल करने में मदद करते हैं. 25 सितंबर को गंतव्य पर पहुंचकर उन्हांेने भारतीय ध्वज फहराया था.

बेटी का सपना, पिता का विश्वास 25 साल की रिजवाना खान सैफी ने कई पहाड़ फतह किए हैं. अब, उनका सपना माउंट एवरेस्ट फतह करने का है. ऐसा कर वह पहली भारतीय मुस्लिम महिला बनना चाहती हैं. लेकिन संसाधनों की कमी उनके लक्ष्य के बीच बाधा बनी हुई है.

रिजवाना ने अकादमी में रहते हुए 2013 से 2016 तक जवाहर इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड विंटर स्पोर्ट्स, जम्मू और कश्मीर से अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण प्राप्त किया है. चूंकि उनके लिए अपने खर्चों को पूरा करना मुश्किल हो रहा था, इसलिए उन्हें अकादमी छोड़कर वापस लौटना पड़ा. वह उत्तर प्रदेश के हापुड़ के पिलखवा की रहने वाली हैं.

हालांकि रिजवाना ने धैर्य, संकल्प और इच्छाशक्ति नहीं खोई है. उन्होंने उपलब्ध संसाधनों के साथ ही अपने शहर में अभ्यास जारी रखा है.

मगर पर्वतारोहण में करियर बनाने के बीच उन्हें और उनके परिवार को रिश्तेदारों और अपने समुदाय की आलोचना झेलनी पड़ रही है. उनके आलोचकों की नजर में पर्वतारोहण एक लड़की के लिए आदर्श करियर नहीं है. यह समुदाय को शर्मसार करने वाला भी है.

बार-बार उसे याद दिलाया जाता है कि वह एक लड़की है, इसलिए उसे समाज द्वारा लड़की के रूप में जो मान्यता मिली हुई है, उससे परे नहीं सोचना चाहिए.

लोग उसकेे पिता से कहते हैं, तुम उसे इतनी आजादी क्यों दे रहे हो? वह लड़का नहीं, लड़की है. आपको उसे पंख नहीं लगाने चाहिए.रिजवाना कहती हैं, रिश्तेदार मुझसे कहते हैं कि मैं उनका नाम शर्मसार कर रही हूं. यह वह नहीं है जो आपको करना चाहिए! लड़कियां ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होतीं. सड़कों पर दौड़ने या पहाड़ों पर चढ़ने से आपको क्या मिलेगा?”

रिश्तेदार उसके पिता को उसकी शादी करने की भी सलाह देते हैं. उनके अनुसार, लड़की किसी और की अमानत होती है. उन्हें जल्द से जल्द वास्तविक घर भेज देना चाहिए.

हालांकि, रिजवाना और उसके परिवार ने इस तरह की चेतावनियों पर कभी ध्यान दिया. उसके पिता, जो उसके लिए एक प्रेरणा हैं, ने हमेशा उसकी पसंद, गतिविधियों और उपलब्धियों के लिए उसे प्रोत्साहित, समर्थन और सराहना की है.

वह अपनी बेटी को अपना गौरव बताते हैं. अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए अपनी क्षमता के भीतर कुछ भी करने के लिए खुद को तैयार रखते हैं.

रिजवाना, जो अपनी दृष्टि और अपनी महत्वाकांक्षा के प्रति प्रतिबद्धता में स्पष्ट दिखती हैं, ऐसे लोगों पर बहुत कम ध्यान देती हैं. वह केवल अपने सपने और कड़ी मेहनत पर विश्वास करती हैं.

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वे कहती हैं, “मैं इस तरह के किसी भी हतोत्साहन से कभी विचलित नहीं होती. यह तो तय है कि जब भी कोई कुछ हासिल करने की कोशिश करता है तो लोग उसे नीचे खींचने की कोशिश करते हैं. लेकिन मुझे कहना है कि उनकी भूमिका भी महत्वपूर्ण है. क्योंकि यह लक्ष्य को हासिल करने के मेरे दृढ़ संकल्प को और मजबूत बनाता है.

उन्होंने कहा, एक दिन, वे सभी मेरे साथ खड़े होंगे और मुझे बधाई देंगे. वह दिन होगा जब मैं अपने सपने को पूरा करूंगी, तब तक मैं केवल अपने काम पर ध्यान दूंगी, उन पर नही.

उपलब्धियां

2013 के बाद से, रिजवाना ने कई प्रतियोगिताओं और टूर्नामेंटों में भाग लिया है, जिसके लिए उन्हें एक ब्रो सहित सराहना और पुरस्कार प्राप्त हुए हैं.