रूह अफ़ज़ा: एक बोतल नहीं, यादों की गुलाबी रवायत
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— मोहम्मद इक़बाद
भारत की भीड़-भाड़ वाली गलियों से लेकर गाँव की मिट्टी तक, एक नाम पीढ़ियों से अपनी मिठास और मोहब्बत के साथ घर-घर में मौजूद है — रूह अफ़ज़ा। इसे केवल एक शरबत कहना उसकी तौहीन होगी। यह एक एहसास है, एक रवायत है, जो बोतल से ज़्यादा दिलों में बंद रहती है।
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बाबा रामदेव और उनकी कंपनी चाहे जितने भी दावे करें, लेकिन हकीकत यही है कि हमदर्द का रूह अफ़ज़ा आज भी हिन्दुस्तानियों की दिल की धड़कन बना हुआ है। गर्मी की लू से लेकर रमज़ान की इफ्तारी तक, रूह अफ़ज़ा हर मौके पर मौजूद रहता है — कभी माँ के हाथों से, कभी दादी की यादों से और कभी बचपन की छुट्टियों से जुड़कर।
गर्मी का पहला हथियार: माँ की ममता में घुला रूह अफ़ज़ा
गर्मियों की पहली लहर जब माथे से पसीने की बूंदों को चुराती है, तो रसोई के एक कोने से अचानक एक परिचित गुलाबी बोतल सामने आ जाती है। माँ की ममता जैसे उस गर्मी के खिलाफ अपना सबसे प्यारा हथियार निकाल लाती है — रूह अफ़ज़ा।
एक पुरानी ट्रे, दो गिलास, बर्फ के टुकड़े और ऊपर से रूह अफ़ज़ा की मीठी धार। उस पल को देखना किसी विंटेज पेंटिंग को देखने जैसा होता है — सादगी, अपनापन और प्रेम से भरा हुआ।
“बच्चा, ज़रा रूह अफ़ज़ा बनाना” — मेहमाननवाज़ी की सबसे प्यारी पुकार
घर में जब कोई मेहमान आता, तो चाय या कॉफी से पहले आवाज़ आती — “बच्चा, ज़रा रूह अफ़ज़ा बनाना…”। यह सिर्फ़ एक ड्रिंक की तैयारी नहीं थी, यह उस संस्कृति का हिस्सा था जिसमें हर अतिथि को सम्मान, अपनापन और मिठास दी जाती है।
रूह अफ़ज़ा सिर्फ एक स्वाद नहीं, बल्कि हमारे सामाजिक ताने-बाने का हिस्सा बन चुका है। यह वो भाव है जो चाय के उबाल में नहीं, गुलाबी शरबत की ठंडक में उतरता है।
At RoohAfza, quality comes first! From sourcing raw materials to the final product, every bottle undergoes rigorous microbiological, chemical, and physical tests to ensure it retains its natural properties, consistency, and safety.#KnowYourRoohAfza #HamdardRoohAfza pic.twitter.com/vtVx7igucz
— Hamdard Foods India (@HamdardFoods) April 10, 2025
रमज़ान की इफ्तारी में एक रूहानी एहसास
रमज़ान का महीना आते ही हर शाम का सबसे खास मेहमान होता है — रूह अफ़ज़ा का गिलास। रोज़ा खोलने के उस पहले घूँट में सिर्फ़ मिठास नहीं होती, उसमें सुकून होता है।
वो घूँट जैसे दिन भर की थकान, भूख और प्यास को नहीं, रूह को ताज़ा कर देता है। बिना उस गिलास के इफ्तार की मेज़ अधूरी लगती है।
बचपन से आज तक — एक गुलाबी पुल
रूह अफ़ज़ा की बोतल में केवल एक गहरा गुलाबी लिक्विड नहीं होता, उसमें तैरती हैं यादें।
- स्कूल से लौटते हुए वो रूह अफ़ज़ा वाला ठंडा पानी।
- नानी के घर की दोपहरों में छत पर बैठकर पिया गया रूह अफ़ज़ा मिल्क शेक।
- शादी-ब्याह की मिठाइयों में रूह अफ़ज़ा का गुलाबी टच।
हर किसी की ज़िंदगी में रूह अफ़ज़ा के साथ जुड़ी हुई कुछ अनकही कहानियाँ हैं। वो एक पुल बन जाता है जो बचपन से लेकर आज तक जोड़ता है।
गुणवत्ता में भी अव्वल: एक परंपरा, एक ज़िम्मेदारी
हमदर्द का दावा है कि रूह अफ़ज़ा कोई आम प्रोडक्ट नहीं है — यह एक जिम्मेदारी है जिसे वे पूरी ईमानदारी और वैज्ञानिकता के साथ निभाते हैं।
हर बोतल माइक्रोबायोलॉजिकल, केमिकल और फिजिकल टेस्टिंग से गुजरती है ताकि इसकी गुणवत्ता, स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
यह सिर्फ़ एक स्वाद नहीं, बल्कि विश्वास की बोतल है — जिसे पीते हुए हर इंसान को लगता है कि इसमें माँ की तरह कोई देखभाल घुली हुई है।
रूह अफ़ज़ा: एक बोतल में बंद मोहब्बत
आज जब दुनिया इंस्टेंट कॉफी, एनर्जी ड्रिंक और नए-नए स्वादों की ओर भाग रही है, रूह अफ़ज़ा अब भी चुपचाप अपनी मोहब्बत और मिठास के साथ दिलों में बसा हुआ है।
यह सिर्फ़ एक ट्रेडिशनल ड्रिंक नहीं है — यह हमारी यादों का संग्रह, हमारी संस्कृति का आईना और हमारी रूह का ताजगी भरा हिस्सा है।
रूह अफ़ज़ा को सिर्फ़ पीया नहीं जाता — महसूस किया जाता है।
इसमें जो सुकून है, वो किसी दुकान में नहीं मिलता। यह माँ की मुस्कान, दादी की कहानी, और बचपन की दोपहरों जैसा है — गुलाबी, ठंडा और बहुत अपना।