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महमूद मदनी के बयान पर आरएसएस और कट्टरवादी हिंदू सोच रखने वाले उठा रहे हैं सवाल

मुस्लिम नाउ ब्यूरो, नई दिल्ली

जमीयत उलेमा ए हिंद को अब यह गलतफहमी दूर कर लेनी चाहिए कि वह राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से हाथ मिलाएगा तो वह उसके साथ जा जाएगा. नई दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत उलेमा ए हिंद के 34 वें राष्ट्रीय अधिवेशन में मौलाना मदनी ने जो बातें कहीं, अब हिंदूवादी सोच रखने वाले और राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से जुड़े लोग इसपर सवाल खड़े करने लगे हैं.

मदनी की बातों पर सवाल उठाने के लिए आरएसएस की पत्रिका पांचजन्य के ट्विटर हैंडल से सवाल पूछकर लोगों से उसपर जवाब मांग गया है. पांचजन्य ने ट्विट किया-मौलाना मदनी की इन बातों पर क्या कहंेग आप ? इस्लाम बाहर से नहीं आया,हिंदुस्तान ही उसकी जन्मभूमि है.’’

हालांकि धर्म-मजहब की उत्पत्ति पर पूरी बहस हो सकती है. बौद्ध धर्म पुराना है या सनातन धर्म अथवा इस्लाम ? सनातन धर्म कब और कैसे भारत आया ?

महाअधिवेशन के पहले दिन शुक्रवार को महमूद मदनी ने देश के मुसलमानों की भारतीयता पर संदेह जाहिर करने वालों को कटघरे में खड़ा करने के लिए उदाहरण देने की नियत से कहा था कि उनका भी भारत पर उतना ही हक है जितना संघ प्रमुख या किसी अन्य का. चूंकि वह भारतीय हैं, इसलिए वह जिस इस्लाम को मानते हैं वह दरअसल इसी भारत की देन है.

मगर इस मामूली बात को अब आरएसएस और कट्टरवादी हिंदूवादी विवाद का विषय बना रहे हैं. संघ की पत्रिका ने तो बजाब्ता इसपर लोगों के विचार मांग लिए. इसी तरह कट्टर हिंदुत्व की वकालत करने वाले विवादास्पद सुदर्शन न्यूज चैनल के मालिक सुरेश चैहाणके ने महमूद मदनी के बयान को चैलेंज करते हुए ट्विट किया है- झूठ का सर-पैर भले नहीं होता, लेकिन झूठ का मौलाना मदनी जरूरी होता है. मैं इसपर खुले मंच से बहस की चुनौती देता हूं. हिंदुओं जागो, नहीं तो यह कल कहेंगे सब कुछ हमारा था.’’ यहां तक कि चैहान ने बातचीत की मर्यादा भी नहीं रखी. महमूद मदनी को झूठ का मौलाना की संज्ञा दे दी.

मौलाना महमूद मदनी के इस बयान पर आरएसएस तब सवाल खड़े कर रहा है, जब उन्हांेने खुले मंच से देश को सुपर पाॅवर बनाने के लिए संघ के साथ काम करने की इच्छा जताई थी.

जाहिर है जो संघ मौलाना के एक मिसाल को नहीं झेल सकता, वह भला मुसलमानांे के साथ मिलकर देश की उन्नति और भाईचारा बढ़ाने के लिए क्या काम करेगा ? इस गलत फहमी को नए-नए संघ के साथ पींगे बढ़ाने वाले एस वाई कुरैशी, नजीब जंग, शाहिद सिद्दीकी, जमीरूद्दीन शाह जैसों को भी समझ लेनी चाहिए. आपकी बातें कोई जब मानेगा जब आप एकजुट होंगे. स्वार्थ के चलते जो लोग अलग-अलग खेल खेल रहे हैं, दरअसाल, जाने-अनजाने मुस्लिम कौम का सौदा कर रहे हैं. मजबूती झुका सकती है कमजोरी नहीं.